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नरसिंहपुर, 10 जुलाई 2017. आकाशीय बिजली से सुरक्षा के लिए आम लोगों और किसानों को सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। इस सिलसिले में आकाशीय बिजली से सुरक्षा के लिए लोगों को सलाह दी गई है कि वे ऊंचे पेड़ के नीचे खड़े नहीं हों। आसपास की सबसे ऊंची चीज न बनें (नाव, मैदान में या पहाड़ी की चोटी पर खड़े हों, तो दुबक जायें)।
धातु की वस्तुयें जैसे गोल्फ का बल्ला, मछली पकड़ने की छड़ व बंदूक आदि दूर झटक दें। जूतों में नाल या कील लगी हो, तो उतार दें। साइकिल से उतर जायें। सिर के बाल खड़े होने लगें या आपकी त्वचा सिहरने लगे, तो समझें बिजली गिरने ही वाली है। ऐसे हालात में फौरन जमीन पर बैठकर सिर आगे झुका लें और घुटने बांहों में भींच लें। किसी बड़ी इमारत, घर या कार में छिप जायें।
घर में पहुंचने के बाद सबसे सुरक्षित स्थान है, सबसे निचली मंजिल के सबसे बड़े कमरे का मध्य भाग, जो फायर प्लेस और चिमनी से दूर हो। दरवाजे, खिड़की, रेडियेटर और बिजली के चूल्हे आदि से दूर रहें। किसी मकान में चले जायें, खुले में रहने से बचने का प्रयास करें। खुले में इकलौते एवं लम्बे पेड़ के नीचे नहीं जायें तथा निचली सतह पर रहें। नदी या तालाब में हैं, तो उससे निकलकर तत्काल जमीनी सतह पर आ जायें।
यदि आपका घर ऊंचाई पर है या अधिक ऊंचा है, तो तड़ित चालक अवश्य लगवायें। बादलों के गरजते समय खुले आसमान में मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं करें और उसे बंद कर दें। साथ ही अपने सभी बिजली के उपकरण भी बंद रखें। बिजली गिरने पर यदि तुरंत उपचार किया जाये, तो घायल व्यक्ति के पूरी तरह ठीक होने की संभावना होती है। यह भी महत्वपूर्ण है कि यदि आपने बिजली चमकती देख ली तो समझिये आप बच गये।
क्यों गिरती है आकाशीय बिजली
तूफानी बादलों में विद्युत आवेश पैदा होता है। इनकी निचली सतह ऋणावेशित और ऊपरी सतह धनावेशित होती है, जिससे जमीन पर धन आवेश उत्पन्न होता है। बादलों और जमीन के बीच लाखों वोल्ट का विद्युत प्रभाव होता है। धन और ऋण एक- दूसरे को चुम्बक की तरह अपनी- अपनी ओर आकर्षित करते हैं। बिजली आवेश में रूकावटें आती हैं और बादल की ऋणावेशित निचली सतह को छूने की कोशिश करती धनावेशित तरंगें (जो बादल के पीछे छाया की तरह लगी रहती हैं) पेड़ों, पहाड़ियों, इमारती शिखरों, बुर्ज, मीनारों और राह चलते लोगों पर टूट पड़ती है।
प्राय: बरसात के समय आकाशीय बिजली गिरने से मृत्यु होने के प्रकरण बढ़ रहे हैं, जो चिंता का विषय है। इसको कम करने के उपाय एवं निदान जरूरी है।
प्रकाश की गति तीन लाख किलोमीटर प्रति सेकेंड है, अर्थात बिजली की चमक आप तत्काल देख सकते हैं। ध्वनि लगभग तीन सेकेंड में एक किलोमीटर चलती है। चमक देखने के बाद सेकेंड गिनने लगिये। गरज सुनने पर गिनती बंद कर दीजिये। सेकेंडों को तीन से भाग देकर आप पता लगा सकते हैं कि बिजली कितनी दूर चमकी। आकाशीय बिजली को पृथ्वी तक पहुंचने में 0.002 सेकेंड का समय लगता है तथा इसका करेंट 10 करोड़ वोल्ट तक हो सकता है।
प्रकाश की गति तीन लाख किलोमीटर प्रति सेकेंड है, अर्थात बिजली की चमक आप तत्काल देख सकते हैं। ध्वनि लगभग तीन सेकेंड में एक किलोमीटर चलती है। चमक देखने के बाद सेकेंड गिनने लगिये। गरज सुनने पर गिनती बंद कर दीजिये। सेकेंडों को तीन से भाग देकर आप पता लगा सकते हैं कि बिजली कितनी दूर चमकी। आकाशीय बिजली को पृथ्वी तक पहुंचने में 0.002 सेकेंड का समय लगता है तथा इसका करेंट 10 करोड़ वोल्ट तक हो सकता है।
बिजली कब गिरती है
लोगों को बताया गया है कि सूर्योदय की अपेक्षा सूर्यास्त के समय अधिक बिजली गिरती है, जबकि सागर में इसका उल्टा होता है। इसी प्रकार गर्मियों में सर्दियों की अपेक्षा अधिक बिजली गिरती है। बिजली की चपेट में आने वाले दो तिहाई से अधिक व्यक्तियों पर बिजली तब गिरती है, जब वे घर से बाहर खुले में होते हैं। इसके तीन में से दो शिकार बच जाते हैं। मरने वालों में से 85 प्रतिशत पुरूष और उनमें से भी अधिकांश 10 से 35 वर्ष की आयु के लोग होते हैं। इनमें से भी उन लोगों को मौत ज्यादा दबोचती है, जो पेड़ों के नीचे शरण लेते हैं।
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