Thursday, July 20, 2017

दुष्कर्म के बाद मारकर फेंकी गई युवती की फेसबुक से हुई पहचान, कातिलों का भी चला पता


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नई दिल्ली।कौशांबी जिले में बीते दिनों गोली मारकर फेंकी गई युवती की शिनाख्त हो गई है। बताया की युवती की पहचान हिना तलरेजा के रूप में हुई है। वह एक हुक्का-बार में काम करती थी और इलाहाबाद के मीरापुर इलाके की रहने वाली है। पुलिस के अनुसार, कातिलों का भी पता चल गया है। फिलहाल आरोपी घर से फरार हैं। युवती अपनी बुजुर्ग मां नीलिमा तलरेजा के साथ मीरापुर में किराए का कमरा लेकर रहती थी। उसके पिता बाबूराम तलरेजा की मौत हो चुकी है। कौशाम्बी जिले के कोखराज थानाक्षेत्र में 45 जुलाई को उसकीलाश बरामदहुई थी। हिना 4 जुलाई की शाम को 7 बजे अपने कमरे से निकली थी। इसी दिन रात को उसने फेसबुक पर 10:44 और 10:45 बजे अपनी दो फोटो शेयर की थी। उसके बाद से उसके फेसबुक एकांउट पर कोई अपडेट नहीं था। और मां का संपर्क भी बेटी से नहीं हुआ। नीलिमा देवी अब तक यही समझती थी कि उनकी बेटी दिल्ली गई है।



हिना के शव की फोटो जब व्हाटसएप, फेसबुक और सोशल मीडिया पर प्रसारित हुई तो एक अनजान शख्स ने क्राइम ब्रांच इलाहाबाद को फोन किया और उसी ने लड़की का फेसबुक एकाउंट बताया। फेसबुक एकाउंट से ही पुलिस को हिना का मोबाइल नंबर मिला, जो बंद था। उसकी अंतिम लोकेशन मीरापुर से सटे दरियाबाद मोहल्ले की थी। क्राइम ब्रांच ने मोबाइल नंबर की आईडी निकाली तो वह मीरापुर के पते पर थी।पुलिस जब वहां संपर्क किया तो मकान मालिक ने हिना की फोटो देखकर पहचान लिया। उसने बताया कि दोनों उसके यहां किराए पर रहती थीं। लड़की रात में देर से आती थी, जिससे दरवाजा खोलने और बंद करने में दिक्कत होती थी। इसलिए एक महीने पहले उसने मां-बेटी को निकाल दिया था।



उसके बाद उसे कुछ नहीं पता।क्राइम ब्रांच ने एसओ कोखराज बृजेश द्विवेदी से संपर्क किया, वहां से डिटेल खंगाली गई। मंगलवार को देर शाम हिना की मां नीलीमा का पता चला। वह मीरापुर में ही दूसरी जगह किराए पर रहती हैं। बुजुर्ग नीलिमा को फोटो दिखाया तो उन्होंने बताया कि वह उनकी बेटी हिना तलरेजा है।इसके बाद पुलिस ने हिना के मोबाइल नंबर की कॉल डिटेल्स निकाली, जिसमें अंतिम बार रोशनबाग और करेली के दो युवकों से बातचीत हुई थी। पुलिस ने उन दोनों के मोबाइल नंबर को ट्राई किया, तो वो बंद मिले। उनके घर पर छापा मारा तो वो घर से फरार थे। ऐसे में पुलिस को आशंका है कि हिना की हत्या में वही दोनों लड़के शामिल हैं।

प्याज के नाम पर 5 लाख की रिश्वत मांगने वाला रिश्वतखोर GM श्रीकांत सोनी सस्पेंड

खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम के जीएम श्रीकांत सोनी।
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भोपाल. सरकारी अफसर सरकारी माल को अपने बाप की बपौती समझकर इसी तरह सेंध लगाकर अपनी जेबे भरते रहते हैं इनको ना तो सरकारी योजनाओं से कोई लेना-देना होता है ना ही जनता से .खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम के महाप्रबंधक श्रीकांत सोनी को सरकार ने बुधवार को निलंबित कर दिया। 

सोनी एक टीवी चैनल के स्टिंग में प्याज की नीलामी को बेहद कम दामों में मैनेज कराने के लिए रिश्वत मांगते रिकॉर्ड हो गए थे। वीडियो सामने आने के बाद यह कार्रवाई की गई। सोनी ने मंडियों से प्याज 2.10 रुपए/किलो तक नीलामी को मैनेज करके देने के बदले 4-5 लाख रुपए की रिश्वत मांगी थी। चैनल के रिपोर्टर से बातचीत में दो रुपए प्रति किलो प्याज का दाम तय हुआ। 
अधिकतम 10 पैसे ऊपर होने की बात कही गई। यह प्याज सरकार ने 8 रुपए प्रति किलो खरीदी है। वीडियो में सोनी ने कहा- शाजापुर, मक्सी, शुजालपुर मंडियों को मैं मैनेज कर लूंगा।


5 लाख के बदले 2 रु./किलो में किया एक रैक प्याज का सौदा, आपूर्ति निगम के जीएम सस्पेंड


खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम के जीएम श्रीकांत सोनी।

भोपाल. सरकार की आठ रुपए में प्याज खरीदी योजना में भी अफसरों ने कमीशन का खेल शुरू कर दिया। बुधवार को एक टीवी चैनल के स्टिंग में यह खुलासा हुआ। वीडियो में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम के जीएम श्रीकांत सोनी पांच लाख रुपए कमीशन लेकर दो रुपए प्रतिकिलो में रेलवे की एक रैक प्याज का सौदा कर रहे हैं। जबकि सरकार ने प्याज को खुली नीलामी में बेचने की योजना बनाई है।
सरकार का मानना है कि नीलामी में प्याज के दाम 2 रुपए से अधिक मिल जाएंगे, जिससे घाटे की कुछ भरपाई हो जाएगी।   स्टिंग सामने आने के बाद देर शाम खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम के जीएम श्रीकांत सोनी को सस्पेंड कर दिया गया। इस स्टिंग में शाजापुर के प्याज के दो थोक व्यापारियों राजेश पाटीदार और विनोद पाटीदार का भी नाम है। ये इस खेल में शामिल बताए जा रहे हैं। खाद्य विभाग के प्रमुख सचिव केसी गुप्ता ने कहा कि सोनी को सस्पेंड कर दिया गया है। मामले की पूरी जांच की जाएगी।
 700 करोड़ रुपए की प्याज खरीदी पर सवाल
मार्कफेड ने इस बार 700 करोड़ रुपए लगाकार 8 लाख 76 हजार टन प्याज की खरीदी की है। खरीदी गई प्याज के परिवहन का जिम्मा आपूर्ति निगम के पास है, जबकि भंडारण वेयर हाउसिंग कॉरपोरेशन को करना है। बताया जा रहा है कि प्याज के परिवहन के लिए ट्रकों के अलावा रेलवे की अब तक 30 रैक का इस्तेमाल किया जा चुका है। इनसे 5.71 लाख टन प्याज का परिवहन हुआ। तीन लाख टन से अधिक प्याज अभी मंडियों में ही पड़ी है या खराब हो गई है। 1
फोन पर हुई बातचीत के अंश
रिपोर्टर- सर, बिना बोली के प्याज मिल जाए, गाइड करिए।
श्रीकांत सोनी : अरे, बोली मैनेज कर देंगे ना....वही तो कह रहा हूं। शाजापुर से मैनेज करा सकता हूं। मक्सी या शुजालपुर से भी।
रिपोर्टर- शुजालपुर से करा दीजिए। नजर में भी नहीं है लोगों के।
सोनी : दो रुपए 10 पैसे में कराता हूं। इतने तक नहीं मिली तो देखते हैं, जितनी आसानी से मिल जाए ठीक है।
रिपोर्टर- मुझे क्या करना होगा?
सोनी : खर्चा-पानी तो लगेगा।
रिपोर्टर- वो कितना होगा?
सोनी  : समझो...तीन, साढ़े तीन, चार लाख तो लगेगा। वो तो आपको देना पड़ेगा ना। पहले करना पड़ेगा वो। पांच लाख में सब हो जाएगा।        
रिपोर्टर - सर, कैश में या कोई अकाउंट में।
सोनी  : कैश में कराना होगा। ये बात बहुत ही गोपनीय रखनी होगी। वो मैं बताऊंगा.. ऑफिस में ही दे देना। कोई दिक्कत नहीं।
रिपोर्टर - ठीक है सर।
सोनी  : पेमेंट जरूर रहेगा। क्योंकि वहां (शुजालपुर) पर भी मुझे कुछ देना होगा। वो मैं बात कर लूंगा। लोकल में भी थोड़ा देना पड़ेगा। करना पड़ता है। ट्रेडर्स भी लेते हैं।
सोनी  : रैक लेने वालों को वहां पहुंचने नहीं देते ट्रेडर्स। उनको बोल देते रैक नहीं बेच रहे। बेचारे सारे ट्रक में उलझ जाते हैं।
रिपोर्टर - हां..हां..
सोनी  : सिस्टम की बात है, मैनेज करना पड़ता है। बाकी आप अपना सामान साथ रखना।

राजेश पाटीदार (व्यापारी)
पूरी रैक की सेटिंग करते हैं। उसका खर्च आठ लाख रुपए तक होता है। उसका खर्च देना पड़ता है। पूरे एमपी स्टेट के जीएम हैं, उन्हीं ने पूरी सेटिंग की है। अपना लिंक है उनके साथ। उनका क्या जाता है...रैक दे देते हैं। बाद में बोल देंगे कि डैमेज हो गई प्याज। आठ लाख 50 हजार रुपए पूरी रैक का लेंगे। (स्टिंग के दौरान बोलते हुए)
विनोद पाटीदार (व्यापारी व दलाल)
25 से 30 रुपए प्रतिक्विंटल का खर्च आता है। यह देना पड़ेगा। (स्टिंग में कहा)

भ्रष्टाचार का यह पहला मामला नहीं है... आईपीएस, आईएफएस समेत कई मामले लंबित
श्रीकांत सोनी की तरह रिश्वत और भ्रष्टाचार में पकड़े गए कई अधिकारियों की लंबी सूची है। इसमें आईपीएस, आईएफएस से लेकर इंजीनियर, स्वास्थ्य, बिजली, निकाय, राजस्व, पीडब्ल्यूडी, वाटर रिसोर्स, ट्राइबल, एक्साइज समेत कई विभाग के कर्मचारी शामिल हैं। इनके मामले पांच-पांच साल से लंबित हैं।

कुछ अंश भास्कर न्यूज़ से

Wednesday, July 19, 2017

एक्ट्रेस का न्यूड वीडियो हुआ लीक, मूवी से सेंसर बोर्ड ने हटा दिया था ये सीन

न्यूड सीन अभिनेत्री संजना गलरानी के लिए चित्र परिणाम
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फिल्मो में वैसे भी आजकल खूब अश्लीलता देखने को मिल ही जाती है, परन्तु अबकी बार जिस फिल्म के बारे में हम आपको बताने जा रहे है वह तो एक प्रकार से सभी फिल्मो की न्यूड अवस्था को पीछे छोड़ रही है. जी हां आजकल कन्नड़ फिल्म 'दंडुपाल्या 2' का एक न्यूड सीन सोशलमीडिया साइट्स की सनसनी बना हुआ है. आपको बता दे की फिल्म में हमे कन्नड़ अभिनेत्री संजना गलरानी जो के पूरी तरह से न्यूड नजर आ रही है.
अभिनेत्री संजना गलरानी के लिए चित्र परिणाम
जिसके बाद पुलिस वाले भी उसके न्यूड अंग के साथ मे कंचो से खेलते हुए नजर आ रहे है आप भी अगर फिल्म के इस शॉट को देखेंगे तो आपके भी रोंगटे खड़े होना लाजमी है.
अब इस हॉट सीन पर अगर बात कर ली जाए तो जनाब बता दे कि, पहले यह सीन फिल्म के लिए शूट किया गया था लेकिन बाद में रीजनल सेंसर बोर्ड की आपत्ति के बाद इस सीन को हटा दिया गया था. एक्ट्रेस संजना का कहना है कि यह कोई पब्लिसिटी स्टंट नहीं है. उन्होंने कहा कि डायरेक्टर श्रीनिवास राजू फिलहाल बाहर हैं और वो जैसे ही लौटेंगे हम इस मामले पर बैठकर बात करेंगे.
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फिल्म के ऑनलाइन लीक वीडियो में जेल के अंदर कुछ पुलिसवाले संजना को फिजिकली टॉर्चर करते हैं. इसके बाद एक पुलिस ऑफिसर आता है और संजना को न्यूड कर देता है. बाद में वह गुलेल से संजना के बदन पर कंचे से हमले करता है. इससे संजना चीख उठती है. फिल्म 'दंडुपाल्या 2' एक ऐसे गैंग की कहानी है, जो दंडुपाल्या (बेंगलुरु का एक रुरल एरिया) में रहता है और खतरनाक क्राइम में लिप्त है. दंडुपाल्या के गैंग के कुछ लोगों ने फिल्म का नाम बदलने के लिए फिल्ममेकर पर भी दबाव बनाया था.

GST के लिए रात 12 बजे संसद खोला, पर किसानों को एक मिनट नहीं देते मोदी: राहुल

पर किसानों को एक मिनट नहीं देते मोदी: राहुल के लिए चित्र परिणाम
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राजस्थान के बांसवाड़ा में किसान आक्रोश रैली में कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भाजपा पर जमकर निशाना साधा। राहुल ने भाजपा को किसान विरोधी बताते हुए कांग्रेस राज्यों में किसानों के हित में लिए गए निर्णयों के बारे में बताया। 

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी आज राजस्थान के जयपुर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए किसान हित के मुद्दे पर नरेंद्र मोदी सरकार पर जमकर प्रहार किया. उन्होंने किसानों से कहा कि आपके मन में जो दुख है और सिर्फ यहां के नहीं बल्कि पूरे हिंदुस्तान के हर किसान के दिल में दु:ख है, उसके बारे में हम लोकसभा में बोलना चाहते थे, बात करवाना चाहते थे, दो-तीन घंटे की बात नहीं करना चाहते थे. 10-15 मिनट हम किसान के बारे में बोलना चाहते थे. प्रधानमंत्री जी बैठे थे, मिनिस्टर बैठे थे, लेकिन हमें पार्टिलयामेंट में किसान की बात नहीं उठाने दिया गया. एक मिनट हमें नहीं बोलने दिया गया.
अभी एक व्यापारी भाई आये थे उन्होंने जीएसटी के बारे में बोला. जीएसटी के लिए पार्लियामेंट को 11 बजे रात में खोला जा सकता है, लेकिन किसान के मुद्दे के लिए संसद में एक मिनट बात नहीं हो सकती है, यह है एनडीए-बीजेपी की सच्चाई. मैं आपको जीएसटी के बारे में बोलना चाहता हूं. उन्होंने कहा कि इससे छोटे व्यापारियों का परेशानी होगी.
राहुल गांधी ने कहा कि मोदी जी किसान दु:खी हैं. इस देश की पूरी दुनिया में पहचान किसान से है और इन्हीं से दुनिया में देश का नाम रोशन हुआ है. मैंने मोदी जी से कहा कि आप किसान का कर्जा माफ कीजिए. किसान को सही दमा दिलवाइए और बिजली का दर हाफ कीजिए. पूरे प्रदेशों में हम गये. दो करोड़ किसानों ने हमारा पीटिशन भरा. कांग्रेस के वर्कर गये. गांव में गये. किसानों से पूछा कितना कर्ज है. किसी के पास एक लाख, दो लाख, 10 लाख कर्ज था. और, दो करोड़ लोगों ने मोदी जी को कागज पर लिख कर दिया कि हमारा कर्जा माफ कीजिए और यह पूरे हिंदुस्तान की मांग है, केवल उत्तरप्रदेश की मांग नहीं है.
राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने कर्नाटक व पंजाब में कर्जा माफ किया. हमने अपने कर्नाटक में अपने सीएम से कहा सिद्धरमैया जी आपको क्या लगता है. किसानों के बारे में आपको क्या लगता है कर्जा माफ करना चाहिए. 24 घंटे के अंदर सिद्धरमैया ने कहा मैं 24 घंटे में कर्ज माफ कर देता हूं और कर दिखाया. यही काम अमरिंदर सिंह ने पंजाब में किया. यूपी में बीजेपी ने कर्जा माफ किया लेकिन उसका कारण कांग्रेस पार्टी थी. हमने यात्रा निकाली, दबाव डाला और भाजपा के लोग डर गये और उन्होंने यूपी में कर्जा माफ किया.

भगोड़े माल्या की मुश्किलें बढ़ीं, 5500 पेज की चार्जशीट लेकर लंदन पहुंची टीम

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भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या के प्रत्यर्पण मामले को लेकर केंद्र सरकार सक्रीय हो गई है. ईडी की दो सदस्यों की टीम करीब 5500 पेज की चार्जशीट लेकर लंदन पहुंची है. ख़बरों के अनुसार ईडी के अधिकारीयों के साथ सीबीआई के अधिकारी भी लंदन पहुंचे हैं. ईडी की टीम चार्जशीट को लंदन की वेस्टमिंस्टर अदालत में देगी. पिछली सुनवाई में अदालत ने भारत सरकार से माल्या के खिलाफ सबूत ना पेश करने को लेकर सवाल किए थे. 
एक हिंदी पोर्टल की खबर के अनुसार ईडी के अधिकारी सभी सबूतों को लेकर लंदन पहुंचे है. ईडी विजय माल्या के खिलाफ छह अन्य देशो में कानूनी अनुरोध पत्र भेजने जा रहा है. ईडी के पास मौजूद दस्तावेजों में माल्या के काले कामों की पूरी सूचि है. ईडी की इस टीम में एक सीनियर लीगल काउंसल भी शामिल हैं, जो कि सभी मामले से जुड़ी कानूनी जानकारी ईडी को देता रहेगा.
इससे पहले सी.बी.आई. अपनी तरफ से तमाम दस्तावेज लंदन कोर्ट में पेश कर चुकी है. माल्या पर बैंकों से 900 करोड़ रुपये का कर्ज लेकर गुपचुप तरीके से देश छोड़ देने का आरोप दर्ज है. उसने अपनी बंद हो गई कंपनी किंगफिशर एयरलाइंस के लिए आईडीबीआई बैंक से भी कर्ज लिया था.
61 साल के माल्या को क्रिकेट मैच, टेनिस और अन्य खेलों के दौरान स्टेडियम में देखा गया है. उन्होंने पिछले सप्ताह भारत को लेकर बड़ा बयान भी दिया था. माल्या ने कहा था कि भारत में मिस करने जैसा कुछ भी नहीं है और वे लंदन में खुश है.
अधिकारी ने कहा कि ईडी टीम लंदन में विजय माल्या के खिलाफ क्राउन प्रोसीक्यूशन कार्यालय के समक्ष 5,500 पृष्ठ के आरोप-पत्र व कुछ अन्य दस्तावेज जमा करने के लिए पहुंच गई है। क्राउन प्रोसीक्यूशन कार्यालय माल्या के प्रत्यर्पण के मामले को लड़ रहा है। उन्होंने कहा कि संयुक्त निदेशक स्तर के ईडी अधिकारी के साथ कानूनी सलाहकार लंदन में ब्रिटिश मध्यस्थों से निपटने में एजेंसी को कानूनी कदम में सहायता करेंगे।

जग्गा जासूस की अभिनेत्री बिदिशा ने सुसाइड किया जानिए लफड़ा क्या था

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गुड़गांव : हाल ही में रिलीज हुई फिल्म जग्गा जासूस में काम कर चुकी असम की मॉडल और एक्ट्रेस बिदिशा ने दिल्ली से सटे गुड़गांव में पंखे से फंदा लगाकर खुदकुशी कर ली. रिपोर्ट्स के मुताबिक बिदिशा अपने पति के अफेयर से काफी परेशान थी.
 
बिदिशा के पिता ने भी बेटी के पति पर खुदकुशी के लिए उकसाने का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज कराया था. जिसके बाद अब गुड़गांव पुलिस ने बिदिशा के पति निशित झा को गिरफ्तार कर लिया है. 
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असम की मॉडल, सिंगर और रेडियो जॉकी विदिसा ने एक साल पहले ही एक गुजराती युवक से शादी की थी और दो दिन पहले ही गुड़गांव में पति के साथ शिफ्ट हुई थी. बिदिशा के सुसाइड करने के बाद पिता ने उसके पति पर खुदकुशी के लिए उकसाने का आरोप लगाते हुए केस दर्ज कराया था. पिता का कहना है कि बिदिशा के पति का किसी और से अफेयर था,
जिसकी वजह से बिदिशा काफी परेशान और दुखी थी, इसलिए उसने खुदकुशी कर ली.  रिपोर्ट्स के मुताबिक कल देर रात गुड़गांव पुलिस को सुशांत लोक के बी ब्लॉक के फ्लैट में किसी महिला की आत्महत्या की सूचना मिली थी. मौके पर पहुंची गुड़गांव पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर जब मामले की जांच शुरू की तो मृतका की पहचान असम के गोवाहाटी की बिदिशा बेज बरवे के तौर पर हुई. 

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गुड़गांव पुलिस ने मौके से मिले सुबूतों के आधार पर जांच शुरू कर दी है और शव का पोस्टमार्टम करवा शव परिजनों को सौंप दिया है. वहीं मामले में गुड़गांव पुलिस ने मृतका के पिता के बयान पर मृतका के पति निशित झा के खिलाफ जो कि किसी निजी कम्पनी में बतौर सेल्स मैनेजर के तौर पर कार्यरत है आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज कर मामले की तफ्तीश शुरू कर दी है.
 
वहीं जानकारी के अनुसार बिदिशा अपने पति निशित झा के साथ बीते 2 दिन पहले ही सुशांत लोक इलाके में शिफ्ट हुई थी. गुड़गांव पुलिस ने मृतका के पति के खिलाफ धारा 306 के तहत मामला दर्ज कर मामले की तफ्तीश शुरू कर दी है.

सपा नेता नरेश अग्रवाल ने देवी-देवताओं पर दिया विवादास्पद बयान, मचा बवाल

सपा सांसद नरेश अग्रवाल ने अपने विवादित बयान पर मांगी माफी के लिए चित्र परिणाम
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सपा सांसद नरेश अग्रवाल ने राज्य सभा में हिंदू देवी देवताओं को लेकर दिए गए बयान पर हंगामा मच गया। दरअसल सांसद नरेश अग्रवाल ने राज्य सभा में कहा कि 'विस्की में विष्णु बसें, रम में श्रीराम, जिन में माता जानकी और ठर्रे में हनुमान। सियावर रामचंद्र की जय'। उनके इस बयान पर राज्य सभा में भारी हंगामा हुआ। हालांकि बाद में हंगामे के बाद नरेश अग्रवाल ने अपने बयान पर खेद व्यक्त किया।


उन्होंने कहा कि राम सीता के बारे में मेरा अपना बयान नहीं है मैंने दीवार पर लिखे नारे को पढ़ा। नरेश अग्रवाल के बयान को बाद में राज्यसभा की कार्रवाई से हटा दिया गया। हिंदू देवी देवताओं पर दिए नरेश अग्रवाल का बयान 'विस्की में विष्णु बसें, रम में श्रीराम, जिन में माता जानकी और ठर्रे में हनुमान। 
सियावर रामचंद्र की जय' सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। ट्विटर पर लोगों ने हिंदू देवी देवताओं के अपमान करने पर जमकर आलोचना की तो वहीं कई लोगों चुटकी ली। ट्विटर पर रविकांत नाम के यूजर ने लिखा कि जब फेसबुक पोस्ट पर एक नाबालिग को गिरफ्तार किया जा सकता है तो सांसद नरेश अग्रवाल को क्यों नहीं? 

जेटली ने नरेश अग्रवाल से पूछा, हिन्दुओं को छोड़ किसी और धर्म का अपमान करने का साहस है क्या ?

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सांसद नरेश अग्रवाल से वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सीधे-सीधे पूछा कि क्या उनमें हिन्दू धर्म को छोड़कर किसी और धर्म को लेकर इस तरह का बयान देने का साहस है. 
 
जेटली ने अग्रवाल को चेतावनी दी कि अगर वो ये बयान संसद से बाहर देते तो उन पर मुकदमा हो जाता. जेटली की बात को दुहराते हुए अनंत कुमार ने कहा कि सदन में सदस्यों को मिले संरक्षण का गलत फायदा उठाकर अग्रवाल ने देश के बहुसंख्यक लोगों का अपमान किया है.

मॉब लिंचिंग पर राज्यसभा में बहस के दौरान सपा सांसद नरेश अग्रवाल ने कहा था कि कुछ लोग हिंदू धर्म के ठेकेदार हो गए हैं. उन्होंने कहा, "मुझे याद है कि राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान हम जेल गए थे. उस दौरान बीजेपी कार्यकर्ताओं ने जेल की दीवारों पर चार पक्तियां लिखी थीं." 

नरेश अग्रवाल ने जैसे ही हिन्दू देवी-देवताओं की शराब से तुलना करने वाली विवादित लाइन पढ़ीं वैसे ही राज्यसभा में बीजेपी नेताओं ने जोरादार हंगामा शुरू कर दिया. बीजेपी नेताओं ने इस दौरान नारा लगाना शुरू कर दिया कि श्री राम का अपमान, नहीं सहेगा हिंदुस्तान. 

बीजेपी सांसदों के हंगामे के बीच उपसभापति पीजे कुरियन ने कहा कि वो बयान को देखेंगे और तय करेंगे कि उसे कार्यवाही से बाहर निकाला जाए या नहीं. इस पर मुख्तार अब्बास नकवी उठे और उन्होंने कहा कि जब तक उपसभापति नरेश अग्रवाल का विवादित बयान देख नहीं लेते और उसे सदन की कार्यवाही से निकाल नहीं देते, सदन की कार्यवाही को स्थगित कर दिया जाए. 
 
नरेश अग्रवाल से माफी की मांग को लेकर बीजेपी सांसदों के भारी हंगामे के बीच सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी गई. बाद में विवाद बढ़ता देख नरेश अग्रवाल ने अपने बयान को वापस ले लिया और उसके लिए खेद जताया लेकिन माफी मांगने से इनकार कर दिया. अग्रवाल के खेद जताने के बाद उनका बयान राज्यसभा की कार्यवाही से हटा दिया गया है. 

गाडरवारा नगर पालिका क्षेत्र के सभी शस्त्र लायसेंस 12 अगस्त तक निलंबित

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नरसिंहपुर. मध्यप्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा नरसिंहपुर जिले की नगर पालिका परिषद गाडरवारा के अध्यक्ष को अपने पद से वापस बुलाने के संबंध में निर्वाचन के लिए घोषित कार्यक्रम के अनुसार निर्वाचन की अधिसूचना जारी की जा चुकी है। इस संबंध में मतदान 9 अगस्त को होगा। निर्वाचन की घोषणा के उपरांत ही नगरीय क्षेत्र गाडरवारा के लिए आदर्श आचरण संहिता प्रभावशील हो गई है। यह आदर्श आचरण संहिता नगर पालिका अध्यक्ष गाडरवारा को अपने पद से वापस बुलाये जाने के निर्वाचन कार्यक्रम सम्पूर्ण होने तक प्रभावशील रहेगी।   
निर्वाचन प्रक्रिया को शांतिपूर्ण ढंग से सम्पन्न कराने के उद्देश्य से जिला दंडाधिकारी डॉ. आरआर भोंसले ने नगर पालिका परिषद गाडरवारा क्षेत्र के अंतर्गत प्रपत्र 3/ 5 के सभी लायसेंसधारियों के शस्त्र लायसेंस तत्काल प्रभाव से 12 अगस्त 2017 तक की अवधि के लिए निलंबित करने का आदेश जारी किया है। यह आदेश शस्त्र अधिनियम 1959 के प्रावधानों के तहत जारी किया गया है।  
इस सिलसिले में जिला दंडाधिकारी ने आदेशित किया है कि सभी लायसेंसधारी अपने शस्त्र लायसेंस में दर्ज शस्त्र संबंधित थाना में जमा कर नियमानुसार पावती प्राप्त करें। आदेश का उल्लंघन पाये जाने पर संबंधित शस्त्र लायसेंसधारी के विरूद्ध सख्त वैधानिक कार्रवाई की जायेगी। 
यह आदेश पुलिस बलों, अद्र्धसैनिक बलों तथा बैंक सुरक्षा गार्डों पर लागू नहीं होगा। इस संबंध में प्रचार- प्रसार कराने और लाऊड स्पीकर के जरिये अनाउन्समेंट कराने के निर्देश थाना प्रभारी को दिये गये हैं।

शिवराज सरकार का 600 करोड़ के विज्ञापन घोटाले के बाद फिर 22 करोड़ का विज्ञापन घोटाला उजागर

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TOC NEWS // अवधेश पुरोहित 
भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जबसे सत्ता संभाली है तबसे लेकर आज तक यह प्रदेश पूरी तरह से कर्ज में डूब गया है तो वहीं वह वित्तीय संकट से भी गुजर रहा है, स्थिति यह है कि सरकार को अपने नियमित व्यय के लिये आये दिन अपनी परसम्पत्ति गिरवती रखकर बाजार से कर्ज उठाना पड़ता है तो वहीं वित्तीय संकट की स्थिति का इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि मुख्यमंत्री के द्वारा की गई घोषणा पर वित्त विभाग चाहे किसानों का मामला हो या अन्य किसी मुआवजे पर आयेदिन अड़ंगा लगाने का काम कर रहा है।

तो वहीं मुख्यमंत्री का काम केवल अपनी कुर्सी बचाने और ऊँचा ओहदा पाने की अभिलाषा के चलते कर्जदार प्रदेश के खाली खजाने से आये दिन कोई न कोई सरकारी स्तर पर नौटंकी का खेल आये दिन इस प्रदेश में चलता रहता है, जिस नमामि देवी नर्मदे यात्रा का ढिंढोरा मुख्यमंत्री और सरकार द्वारा जनसहयोग से होने का ढिंढोरा पीटा जा रहा था उस यात्रा की हकीकत बयां भारतीय जनता पार्टी के कुछ नेता इस तरह से करते हैं कि दरअसल यह नमामि नर्मदा यात्रा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की बुढ़ापे की काशी की परिकल्पना के चलते नहीं और न ही मध्यप्रदेश में नर्मदा नदी को प्रवाहमान व प्रदूषण मुक्त करने के मकसद से जनजागृति लाने के लिये १४८ दिनों की यह नमामि नर्मदे सेवा यात्रा निकाली गई थी

इन भाजपाई नेताओं के अनुसार दरअसल यह नमामि नर्मदे यात्रा जिन उद्देश्यों से निकाली गई थी उसका असल मकसद यह था कि एक ज्योतिष द्वारा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को अपनी कुर्सी बचाने और ऊँचा पद पाने के मकसद से नर्मदा यात्रा करने की सलाह दी गई थी, यदि इन भाजपाईयों की बात पर विश्वास करें तो उक्त ज्योतिष की सलाह के अनुसार इस यात्रा का असल मकसद कुर्सी बचाना तो था ही तो वहीं दूसरी ओर यह यात्रा रेत खोजो यात्रा थी, ताकि इस यात्रा के चलते प्रदेश की जीवन दायिनी नर्मदा के उन स्थलों की पहचान की जाए जहाँ-जहाँ रेत कारोबारियों के नर्मदा में अवैध खनन के चलते रेत बची हो वहां उसका अवैध खनन कराने वालों को प्रोत्साहित किया जाए। 

पढ़ें : विज्ञापन के नाम पर 600 करोड़ का घोटाला

कुल मिलाकर जिस नमामि नर्मदा यात्रा को लेकर प्रदेश में १४८ दिन नर्मदा किनारे के गांवों और शहरों में सरकारी स्तर पर इस यात्रा का आयोजन किया गया उस यात्रा के दौरान भाजपा के नेताओं सहित विपक्षी दलों के नेताओं द्वारा कई प्रकार के आरोप लगाये गये। तो वही दूसरी ओर सरकारी स्तर पर इसे जनसहयोग से निकाली जाने वाली यात्रा बताया गया, लेकिन सवाल यह उठता है कि यह यात्रा पूर्ण रूप से नर्मदा नदी को प्रवाहमान व प्रदूषण मुक्त कराने के मकसद से जनजागृति लाने के लिये की गई थी तो इस यात्रा के दौरान १४८ दिनों में कर्जदार प्रदेश के खाली खजाने से २१ करोड़ से ज्यादा विज्ञापनों पर खर्च क्यों किये गये,

क्या इस नमामि नर्मदा यात्रा में मध्यप्रदेश के नहीं बल्कि विदेशों के लोगों में जनजागृति लाने के उद्देश्य से किये गये थे और न्यूयार्क के साप्ताहिक समाचार पत्र ‘इंडिया एब्रोड ‘ में दस लाख २६ हजार का विज्ञापन देने से क्या न्यूयार्क के लोग इस नर्मदा यात्रा में शामिल हुए और कितने लोग शामिल हुए उसका खुलासा क्या सरकार द्वारा किया जाएगा। कुल मिलाकर नर्मदा यात्रा को लेकर जिस तरह की चर्चाएं विपक्षी दलों से लेकर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं में जारी हैं और इस यात्रा को भाजपा के लोग शुद्ध रूप से मुख्यमंत्री द्वारा कुर्सी बचाने और ऊँचा पद पाने के उद्देश्य से एक ज्योतिष द्वारा मुख्यमंत्री को नर्मदा यात्रा करने की सलाह पर नमामि नर्मदे यात्रा का आयोजित करना बता रहे हैं।

खैर, मामला जो भी हो यह भाजपा के नेता और प्रदेश के लोकप्रिय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ही जानते होंगे कि मुख्यमंत्री की कुर्सी पर किस तरह का संकट था, जिस संकट को बचाने के लिये यह १४८ दिन की नमामि नर्मदा यात्रा ज्योतिष की सलाह पर आयोजित की गई। हालांकि यह यात्रा सरकारी ढिंढोरे और मुख्यमंत्री के श्रीमुख से जनसहयोग से निकाली जाने का दावा किया जाता रहा, मगर सरकार ने इस यात्रा पर सिर्फ और सिर्फ प्रचार पर हर रोज १४ लाख ५८ हजार रुपए विज्ञापनों पर ही खर्च किये, कुल मिलाकर इस यात्रा के दौरान २१ करोड़ ९८ लाख ४० हजार रुपये विज्ञापनों पर कर्जदार प्रदेश के खाली खजाने से खर्च किये गये।

जबकि इस तरह के विज्ञापनों के खर्च को लेकर भाजपा के नेता यह कहते नजर आ रहे हैं कि यदि यह राशि प्रदेश के किसी एक जिले कि किसानों पर यदि ईमानदारी से खर्च की जाती तो शायद प्रदेश में किसानों के हितों में चलाई जा रही तमाम योजनाओं के ढिंढोरे के बाद जो किसानों की स्थिति दयनीय है, इस राशि के खर्च किये जाने से शायद कुछ परिवर्तन दिखाई देता और किसानों में भड़क रहा आंदोलन में कुछ कमी आती? हालांकि जिस दिन शिवराज सिंह चौहान ने इस नमामि देवी नर्मदे यात्रा की घोषणा की थी उसी दिन शाम को भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश कार्यालय दीनदयाल परिसर में आयोजित भाजपा की एक बैठक में भाग लेने आए भाजपा के नेताओं में यह कानाफूसी जारी हो गई थी.


कि यह नमामि नर्मदे यात्रा नर्मदा को प्रवाहमान बनाने या प्रदूषणमुक्त करने के मकसद से नहीं बल्कि इसे रेत खोजो यात्रा भाजपा के नेता बताने में लग गए थे। अब सवाल यह उठता है कि अकेले विज्ञापनों में ही २१ करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च नमामि यात्रा के दौरान खर्च किए गए तो बाकी १४८ दिन आयोजित की गई इस यात्रा के दौरान कर्जदार प्रदेश के खाली खजाने से और किन-किन मदों पर कितनी-कितनी राशि खर्च की गई इसका भी खुलासा किये जाने की मांग विपक्षी दलों के नेताओं से लेकर भाजपा के नेता करते दिखाई दे रहे हैं।

भाजपा नेताओं के अनुसार मुख्यमंत्री की यह नमामि नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान केवल विज्ञापन पर खर्च किये गये २१ करोड़ ९८ लाख ४० हजार के विज्ञापनों के खर्च को लेकर विधानसभा में एक सवाल का सरकार की ओर से दिये गये लिखित जवाब में कहा गया है कि यात्रा के दौरान विज्ञाप टीवी चैनलों, समाचार-पत्र और पत्रिकाओं से लेकर विदेशी अखबारों तक में प्रकाशित किए गए। दस लाख २६ हजार रुपये का विज्ञापन न्यूयॉर्क के साप्ताहिक समाचार-पत्र ‘इंडिया एब्रोड में भी प्रकाशित किया गया।

कांग्रेस विधायक डॉ. गोविंद सिंह द्वारा एक प्रश्न के जरिए नमामि नर्मदे सेवा यात्रा के दौरान प्रचार-प्रसार पर हुए खर्च का ब्यौरा मांगा था। उनका सवाल था कि यात्रा अवधि ११ दिसम्बर २०१६ से १५ मई २०१७ के दौरान देश और विदेश के किन-किन अखबारों, चैनलों और पत्रिकाओं में विज्ञापन प्रकाशित किए गए और उस पर कुल कितनी राशि खर्च हुई। दिए गए जवाब के मुताबिक, विज्ञापन पर कुल २१ करोड़ ५८ लाख ४०३४४ रुपये खर्च किए गए। किसी भी विदेशी टीवी चैनल को विज्ञापन नहीं दिया गया, मगर न्यूयॉर्क के साप्ताहिक समाचार-पत्र ‘इंडिया एब्रोड को दस लाख २६ हजार रुपए का विज्ञापन दिया गया।

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह का कहना है कि सरकार ने दावा किया था कि यह यात्रा जनसहयोग से निकाली जा रही है और इसके लिये सरकार का कोई बजट नहीं है। जब विज्ञापन पर ही साढ़े २१ करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं, तो यात्रा पर सरकार ने कितनी राशि खर्च की होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। लिहाजा, सरकार को नर्मदा यात्रा के खर्च पर श्वेतपत्र जारी करना चाहिए।



जैसा कि विपक्ष द्वारा नर्मदा यात्रा को लेकर जो श्वेतपत्र जारी करने की मांग की है क्या उस श्वेत पत्र में इस बात का भी खुलासा किया जाएगा कि यह यात्रा क्या मुख्यंमत्री शिवराज सिंह चौहान ने नर्मदा को अपने बुढ़ापे की काशी बनाने के उद्देश्य से नर्मदा नदी को प्रवाहमान बनाने व प्रदूषणमुक्त करने के मकसद से निकाली गई थी या जैसा कि विपक्षी नेताओं के साथ-साथ भाजपा का एक गुट इस यात्रा को मुख्यमंत्री के द्वारा अपनी कुर्सी बचाने और ऊँचा पद पाने के उद्देश्य से ज्योतिष की सलाह पर की गई यात्रा बता रहे हैं? देखना अब यह है कि नर्मदा यात्रा को लेकर विपक्ष जो श्वेतपत्र जारी करने की मांग कर रहा है तो क्या सच में सरकार आने वाले दिनों में नर्मदा यात्रा को लेकर कोई श्वेत पत्र जारी करेगी और उस श्वेत पत्र में इन सब बातों का खुलासा होगा या नहीं यह तो आने वाला भविष्य बताएगा।

मोबाईल उपयोग नहीं करने देने पर सिपाही ने की मेजर की हत्या!!

मेजर की हत्या के लिए चित्र परिणाम
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अफसर मोबाईल रखते हैं, लेकिन सिपाही मोबाईल नहीं रख सकता!


लेखक: डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'

सोमवार, 17 जुलाई, 2017 को रात करीब सवा बारह बजे उत्तरी कश्मीर के उड़ी सेक्टर में एलओसी के अग्रिम छोर पर स्थित बुचर चौकी के पास एक सिपाही ने मेजर की हत्या कर दी। हत्या का कारण सिपाही को मोबाईल रखने की अनुमति नहीं होने के बावजूद सिपाही को मोबाईल का इस्तेमाल करते हुए पकड़ा जाना। इस कारण 71 आर्मर्ड रेजिमेंट के मेजर शिखर थापा ने 9 मद्रास रेजिमेंट के नायक काठी रीसन से मोबाइल फोन छीन लिया। दोनों के बीच कथित तौर पर हाथापाई हुइ। जिसमें सिपाही का मोबाइल क्षतिग्रस्त हो गया।

इसके बाद मेजर ने कमांडिंग ऑफिसर को रिपोर्ट करके सिपाही के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई करवाने की धमकी दी। इस पर सिपाही काठी रीसन ने मेजर पर अपनी एसाल्ट राइफल से गोलियों की बौछार कर दी। इससे मेजर की मौके पर ही मौत हो गई।

सबसे पहले तो यह घटना देश और सेना के लिये अत्यन्त दु:खद और चिन्ताजनक है। दिवंगत मेजर की मौत उसके परिवार और सेना के लिये बड़ी क्षति है। वहीं सिपाही का इस प्रकार का व्यवहार अनेक सवालों को जन्म देता है।
 
सामान्यत: फौजी अफसर सुविधा-सम्पन्न दफ्तरों, स्थानों और, या शहरों में पदस्थ रहते हैं। आम तौर पर फौजी अफसरों के परिवार भी उनके साथ ही रहते हैं। इसके बावजूद भी उन्हें मोबाईल सहित संचार के सभी साधन चौबीसों घंटे सरकारी खर्चे पर उपयोग करने की अनुमति होती है। इसके विपरीत एक सिपाही, सीमा पर मौसम की मार झेलते हुए, अनेक प्रकार के तनावों और परेशानियों में अपनी सेवाएं देता है। हर समय उसके सिर पर दुश्मन की गोली का खतरा मंडराता रहता है।

लम्बे समय तक उसे अपने परिवार और रिश्तेदारों के साथ-साथ शहरी जीवन की सुविधाओं से बहुत दूर रहना पड़ता है। इस कारण सिपाही को अनेक प्रकार के तनाव और विषाद झेलने होते हैं। ऐसे में सिपाही को अपने परिवार, दफ्तर और देश-दुनियां से जुड़े रहने के लिये संचार सुविधाओं की तुलनात्मक रूप से अफसरों से अधिक जरूरत होती है। बल्कि इन हालातों में वर्तमान समय में एक सिपाही के लिये इंटरनेटयुक्त मोबाईल अनिवार्य है।
 
सु्प्रीम कोर्ट ने एक मामले में संचार सुविधाओं को अनुच्छेद 21 के तहत वर्णित जीवन के मूल अधिकार का अपरिहार्य हिस्सा घोषित किया हुआ है। ऐसे में सिपाही को ड्यूटी के दौरान मोबाईल का इस्तेमाल करने का हक नहीं देने वाला कोई भी सैनिक आदेश या नियम मूल अधिकारों को छीनने और हनन करने वाला होने के कारण अनुच्छेद 13 (2) के प्रकाश में कानूनी दृष्टि से शून्य है।
 
इसके बावजूद भी सिपाही को मोबाईल इस्तेमाल नहीं करने देना और मोबाईल को छीनना, सिपाही के साथ मारपीट करते हुए कानूनी कार्यवाही की धमकी देना, अपने आप में भारतीय दंड संहिता के तहत अपराध है। ऐसे में देश की रक्षा के लिये तैनात सिपाही के संवैधानिक मूल अधिकारों को छीनकर, उसके आत्मस्वाभिमान को कुचलने का आपराधिक कुकृत्य भी उतना ही निन्दनीय, गलत, अक्षम्य और चिन्ताजनक है, जितना कि देश सेवा के लिये तैनात एक मेजर की मौत।
 
हत्या नहीं मानव वध: निश्चय ही यह हत्या का अपराध नहीं है, क्योंकि मेजर की हत्या के पीछे सिपाही का कोई मोटिव या इंटेशन प्रकट नहीं होता है। अत: मेजर की मौत को हत्या नहीं, बल्कि मानव वध की श्रेणी का अपराध है।
 
अन्तिम बात: वास्तव में यह घटना अन्याय, विभेद और मनमानी व्यवस्था के विरुद्ध, वंचित-शोषित तथा आक्रोशित मानव मन की अति-आपराधिक प्रतिक्रिया है। जिसे व्यवस्था पर काबिज लोगों द्वारा रोका जा सकता था, बशर्ते सिपाही के मूल अधिकारों का हनन नहीं किया गया होता। इस घटना से सबक लेकर भविष्य में हो सकने वाली ऐसी घटनाओं को रोकना सम्भव है। यहां यह भी ध्यान देने योग्य है कि यदि मूल अधिकारों के हनन को संविधान में ही दण्डनीय आपराधिक कृत्य घोषित कर दिया गया होता तो आम व्यक्ति और निम्न स्तर पर सेवारत लोक सेवकों के मूल अधिकारों को छीनने की कोई हिम्मत नहीं कर सकता था। मगर खेद है कि संविधान निर्माताओं ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया। 

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