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Wednesday, April 27, 2011

नगर में कई फर्जी क्लीनिक, प्रशासन खामोश

क्राइम रिपोर्टर// असलम खान (शहडोल //टाइम्स ऑफ क्राइम)
क्राइम रिपोर्टर से सम्पर्क : 9407170100
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शहडोल ।नगर के अंदर दो दर्जन से भी अधिक फर्जी क्लीनिक चल रहे हैं। इन क्लीनिक पर गंभीर बीमार आदमी को भर्ती किया जाता है और उसका इला ऐसे डाक्टर करते हैं जिनके पास मेडिकल व डाक्टरी का कोई प्रमाणपत्र व डिग्री नही हैं। आदिवासी क्षेत्र होने के कारण यहां आसपास ग्रामीणों से सैकड़ो आदिवासी सस्ते इलाज के लिए इनके यहां जाते हैं। ग्रामीणों को लगता है कि हमारा इलाज कम पैसों में इनके यहां हो जायेगा,किन्तु हकीकत कुछ और है शासकीय अस्पतालों में ग्रामीण आदिवासियों रोगी कल्याण समिति के माध्यम से चिकित्सा सुविधा नि:शुल्क उपलब्ध जो यह सुविधा ग्रामीण आदिवासियों को जिला चिकित्सालय से नहीं मिल पाता जिसके कारण ग्रामीण आदिवासी फर्जी डाक्टरों से इलाज कराने के लिए मजबूर हैं। पिले कुछ दिनों पूर्व संदीप कुमार गुप्ता ने संभागीय आयुक्त को शिकायत के माध्यम से नगर में फर्जी डाक्टरों के खिलाफ दण्डात्मक कार्यवाही करने की मांग की थी। जिसमें बताया गया था डाक्टर बंगाली, संजीवनी क्लीनिक कल्याणपुर, डा. जे अधिकारी पुरानी बस्ती, खरे दवाखाना आई टी आई, डा. नजमी सिंहपुर रोड, डा. के के विश्वास बलपुरवा रोड, तुलसी क्लीनिक भुईबांध, डा. एन के सेन सिंहपुर रोड फर्जी तरीके से लोगों का इलाज कर रहे हैं इनके पास मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी के कार्यालय में कोई पंजीयन नहीं कराया गया है। मध्यप्रदेश उपचार गृह तथा रोगो उपचार संबंधी स्थापना रजिस्ट्रकरण तथा अनुज्ञापन अधिनियम 1973-संशोधन 16 नवंबर 2007 के 3 तथा 6 के अनुसार चिकित्सा व्यवसाय करने हेतु पंजीयन न कराना कानूनी अपराध के श्रेणी में आता है। जिसमें तीन वर्ष कारावास या पचास हजार रूपये जुर्माना या दोनों तरह के दण्ड दिये जा सकते हैं। किन्तु नगर में कई वर्षों से प्रशासन के नाक के नीचे ही फर्जी क्लीनिक चल रही हैं। सोहागपुर में बंगाली दवाखाना 15-20 वर्षो से लोगों का इलाज कर रहा है। इस क्लीनिक में बंगाली द्वारा बीमारों को भर्ती कर गंभीर बीमारियों का भी इलाज करता है। ग्रामीण क्षेत्र के सैकड़ों आदिवासी प्रतिदिन इलाज के लिए बंगाली के यहां आते हैं और यहीं इलाज कराकर चले जाते हैं।

धर्मशाला में गंदगी, कहां जाएं रात बिताने माताएं

क्राइम रिपोर्टर// असलम खान (शहडोल //टाइम्स ऑफ क्राइम)
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शहडोल । संभाग में एक मात्र नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई होने से संभाग के क्षेत्रों से चिकित्सा सुविधा के लिए लोग अपने बच्चों को लेकर आते हैँ। जिसमें नवजात बच्चों के लिए यहां अच्छी चिकित्सा सुविधा दी जा रही है किन्तु ग्रामीण क्षेत्रों के दूरदराज की महिलाएं गलियारे में ही चौबीस घंटे पड़े रहकर समय व्यतीत करते हैं। दिन में किसी तरह इन महिलाओं का गुजारा हो जाता है किन्तु रात्रि में सोने के लिए जिला अस्पताल के अंदर कोई व्यवस्था नहीं है। कहने को अस्पताल परिसर के अंदर धर्मशाला है किन्तु इस स्थान में इतनी गंदगी व मच्छर होने से वहां सोना तो दूर बैठना भी मुश्किल पड़ता है। जिसमें मजबूर होकर नवजात शिशु के साथ आने वाली माताओं को अस्पताल के गैलरी में रात गुजारनी पड़ती है