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Monday, October 31, 2011

जेल में मधु कोड़ा की पिटाई, हाथ टूटा

जेल में मधु कोड़ा की पिटाई, हाथ टूटा


रांची।। जेल में बेहतर खाने की मांग को लेकर धरने पर बैठे झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा के साथ रसोइयों और गार्डों ने मारपीट की, जिसमें उनके हाथ की हड्डी टूट गई। उन्हें रांची के रिम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

न्यूज चैनलों के मुताबिक, मधु कोड़ा और उनके साथ आय से अधिक संपत्ति के मामले में बंद दो पूर्व मंत्रियों के साथ सुरक्षाकर्मियों ने मारपीट की। दो पूर्व मंत्रियों को तो ज्यादा चोट नहीं आई लेकिन इस मारपीट में मधु कोड़ा का हाथ टूट गया है।

मधु कोड़ा जेल में लगातार अच्छे खाने की मांग को लेकर अपना विरोध जताते रहे हैं। वह अपने साथियों के साथ पिछले कुछ दिनों से जेल में ही धरने पर बैठे थे। सोमवार को इस मुद्दे पर उनका जेल कर्मचारियों के साथ विवाद हो गया। इसके बाद मारपीट शुरू हो गई।

आईजी के पीए की आत्महत्या: सीबीआई कर्मी से पूछताछ


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भोपाल। होशंगाबाद रेंज आईजी के पीए की आत्महत्या के मामले में आरोपी बनाए गए दोनों वकील घर पर ताला लगाकर फरार हो गए हैं। वे अग्रिम जमानत कराने की कोशिश में हैं। इस मामले में सुसाइड नोट के आधार पर संदेही बनाए गए सीबीआई के एक आरक्षक से पुलिस ने पूछताछ की है। एक बैंक मैनेजर द्वारा मृतक के जरिए सीबीआई के नाम पर दिए गए 32 लाख रुपये ही मौत का कारण बने थे।
तीन अक्टूबर को बागसेवनिया में रहने वाले अरुण तिवारी ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी। उन्होंने सुसाइड नोट में लिखा था कि वकील केटी पंचौली, विनोद पांडे और सीबीआई के मनोज को उसने 32 लाख रुपये दिए थे, जो वापस नहीं मिल रहे थे। ये रुपये सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के निलंबित ब्रांच मैनेजर बसंत पावसे को सीबीआई से बचाने के लिए दिए गए थे। पावसे के खिलाफ सीबीआई ने वर्ष 2010 में भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया था। उसके खिलाफ तीन मामले सीबीआई में दर्ज हैं। एक फर्जी कागजों पर ऋण देने और गबन का है। इसके बैंक के सीनियर मैनेजर केके चौरसिया और राजधानी के शालीमार कंस्ट्रक्शन और डेवलपर्स भी आरोपी हैं। उसके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला भी दर्ज है।

पुलिस को पता चला कि पावसे ने अरुण तिवारी के जरिए सीबीआई का मामला रफा दफा कराने की कोशिश की थी। इसके लिए अरुण ने सीबीआई के किसी मनोज नामक व्यक्ति और दो वकीलों केटी पंचौली और विनोद पांडे को साढ़े 32 लाख रुपये दिलवाए थे। मामले रफा-दफा नहीं होने पर वह अरुण से ये रुपये मांग रहा था। अरुण ने जब वकीलों और मनोज से रुपये मांगे तो वे लगातार उससे बहाने बनाते रहे। इस बात को लेकर पावसे और दोनों वकील उस पर अलग-अलग दबाव बना रहे थे। 
 
इसी के चलते उसने आत्महत्या कर ली थी।
इस मामले में पुलिस ने दोनों वकीलों के खिलाफ आत्महत्या के लिए प्रेरित करने का प्रकरण दर्ज किया था। पुलिस ने सीबीआई के मनोज सिंह नामक आरक्षक से भी लंबी पूछताछ की है। हालांकि अफसर इस बारे में सीधे बोलने से बच रहे हैं। मनोज सिंह समेत, पावसे, तिवारी और दोनों वकीलों की कॉल डिटेल भी पुलिस ने निकलवाई है। वकील पंचौली ईदगाह हिल स्थित अपने घर पर ताला लगाकर फरार है, वहीं वकील विनोद पांडे के अयोध्या स्थित घर पर भी पुलिस को ताला मिला है। पांडे के पिता थानेदार हैं और बैतूल में पदस्थ हैं। बताया जाता है कि दोनों वकील अग्रिम जमानत के लिए कोशिश कर रहे हैं।

Sunday, October 30, 2011

पत्रकारों का उपहार डकार गया जनसम्‍पर्क मंत्री का पीआरओ

Written by अरशद अली खान
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भोपाल। मध्यप्रदेश के जनसम्पर्क मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा सरकार और पत्रकारों के बीच तालमेल बैठाने का हर संभव प्रयास करते हैं। शायद इसीलिए वे हर साल दिवाली पर पत्रकारों को महंगे उपहार भेजते हैं, लेकिन उनका पीआरओ मंगलाप्रसाद मिश्रा मंत्री की मंशा के ठीक उलट सरकार और पत्रकारों के बीच दरार गहरी करने का कोई भी मौका हाथ से नहीं जाने देता है। इसका ताजा उदाहरण यह है कि इस दिवाली पर जनसम्पर्क मंत्री ने जो उपहार पत्रकारों के घरों पर भेजे थे वह अधिकतर पत्रकारों को मिले ही नहीं।

इस बात का खुलासा तब हुआ जब कुछ पत्रकारों ने मंत्री को फोन पर बधाई दी तो मंत्री ने उपहार के बारे में पूछ लिया, तो अमुक पत्रकार ने उपहार के बारे में अनभिज्ञता व्यक्त करते हुए कहा कि आपके द्वारा भेजा गया उपहार मेरे घर पहुंचा ही नहीं। क्योंकि बात उपहार की थी इसलिए वहीं खत्म हो गयी। मंत्री ने भी बात को तूल देने की बजाय खामोश रहना ठीक समझा। लेकिन पत्रकारों की आपसी बातचीत में यह बात सामने आई कि अधिकतर पत्रकारों को मंत्री द्वारा भेजा गया दिवाली का उपहार नहीं मिला है। यह जानकर कुछ पत्रकार बिफर पडे़ और पड़ताल शुरू कर दी। पता चला कि पिछले वर्षों की तुलना में इस बार का उपहार अधिक मंहगा था सो पीआरओ ने हाथ की सफाई दिखा दी। ऐसी भी चर्चा है कि मंत्री के पीआरओ ने कुछ उपहार बांटने के बाद बाकी के उपहार अपने नाते-रिश्तेदारों में बांट दिए। चपरासी से अधिकारी बने ऐसे व्यक्ति से और क्या आशा की जा सकती है।

अरशद अली खान

भोपाल