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Tuesday, March 5, 2013

मनरेगा घोटाले पर फिर केंद्रीय मंत्री खफा हुए


         मध्‍यप्रदेश में मनरेगा योजना के घोटालों को लेकर एक बार फिर केंद्रीय पंचायत एवं ग्रामीण विकास राज्‍यमंत्री प्रदीप जैन खफा हो गये हैं। वे यहां तक कह गये हैं कि मनरेगा घोटाले की रकम अफसरों से वसूली जाये। यूं तो मनरेगा में करोड़ों रूपये के घोटाले हुए हैं। कई अफसरों को घोटालों के चलते राज्‍य सरकार ने निलंबित किया, लेकिन थोड़े दिनों बाद उन्‍हें बहाल भी कर दिया। यह सिलसिला लगातार चल रहा है। मप्र में मनरेगा योजना एक तरह से घोटाले की योजना बनकर रह गई है। मुख्‍यमंत्री भी अपने दौरों के दौरान बार-बार मनरेगा की खामियों की ओर जिला प्रशासन को इंगित करते रहे हैं और उनकी नाराजगी कलेक्‍टरों पर बरसी है, इसके बाद भी मनरेगा घोटाले थमे नहीं हैं। आज भी बड़वानी, धार, टीकमगढ़, छतरपुर में घोटाले सबसे ज्‍यादा हो रहे हैं। बड़वानी जिले में तो 100 करोड़ रूपये के घोटाले बताये जा रहे हैं। इस जिले में काम करनी वाली सामाजिक कार्यकर्ता माधुरी बहन ने जब घोटालों पर सवाल खड़े किये तो जिला प्रशासन ने उन्‍हें नक्‍सली बताकर जेल में बंद करने का फरमान जारी कर दिया। भला हो पुलिस प्रशासन का कि उन्‍होंने कार्यवाही नहीं की अन्‍यथा  घोटाले की परते जस की तस रह जाती। 

इस जिले में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के इंजीनियर लगातार जांच कर रहे हैं। 17 फरवरी, 2013 को भोपाल में केंद्रीय पंचायत एवं ग्रामीण विकास राज्‍यमंत्री प्रदीप जैन ने दिनभर विभाग के अफसरों से मनरेगा को लेकर विस्‍तार से बातचीत की। उन्‍होंने माना कि मनरेगा योजना में व्‍यापक स्‍तर पर घोटाले हुए हैं। जैन यहां तक कह गये हैं कि मनरेगा की राशि का मप्र में बंदरबाट हो रही है। सीधी में तो पौधो को इंजेक्‍शन लगाने के नाम पर पैसे निकाले गये, तो बालाघाट में अफसरों ने घरों में ही काम कर डाला। छिंदवाड़ा में बाल्‍टी, सब्‍बल और तसला खरीदे के नाम पर घोटाला हुआ है। इसी प्रकार तालाब गहरीकरण के नाम पर भी घोटाले सामने आ रहे हैं। मनरेगा योजना में घोटाले होना कोई नई बात नहीं है। पिछले सात सालों में इस योजना में कोई न कोई घोटाले सामने आते रहे हैं। ये योजना अपनी उम्र सात साल पूरी कर चुकी है, लेकिन फिर भी न तो योजना पटरी पर आ पाई है और न ही उससे विकास की कोई किरण सामने आ रही है, बल्कि घोटालों का केंद्र बिन्‍दु बनकर पूरी योजना रह गई है। अगर यही स्थिति बनी रही, तो वह दिन दूर नहीं जब योजना को घोटाले का पर्याय कहा जाने लगेगा। मप्र में इस योजना को लेकर अपर मुख्‍य सचिव और विभाग की मुखिया अरूणा शर्मा लगातार अपनी गंभीरता प्रदर्शित करती हैं, लेकिन फिर भी घोटाले सामने आ ही जाते हैं। 
                                

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