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Thursday, March 7, 2013

विज्ञापन नीति का ही उल्लंघन कर रहा जनसंपर्क!


(राजेश शर्मा)
toc news internet channal
  
भोपाल। मध्य प्रदेश में सत्ता और मीडिया के बीच समन्वय बनने के साथ ही साथ शासन की जनकल्याणकारी नीतियों के प्रचार प्रसार के लिए पाबंद मध्य प्रदेश का जनसंपर्क महकमा अब अपनी ही बनाई नीतियों की मुखालफत करता नजर आ रहा है। मध्य प्रदेश जनसंपर्क विभाग द्वारा बनाई गई विज्ञापन नीति की कंडिका 11 का उल्लंघन साफ तौर पर होता प्रतीत हो रहा है।
मध्य प्रदेश जनसंपर्क की आधिकारिक वेब साईट एमपीइन्फो डॉट ओआरजी पर डाली गई एडव्टाईजमेंट पालिसी की पीडीएफ फाईल में अनेक कंडिकाओं का उल्लेख किया गया है जिनके उल्लंघन करने पर संबंधित मीडिया संस्थान को जनसंपर्क विभाग द्वारा अपनी विज्ञापन सूची में शामिल ना किए जाने या शामिल होने पर उसे हटाने की बात कही गई है।
इस विज्ञापन नीति की कंडिका नंबर 11 में साफ तौर पर उल्लेख किया गया है कि अनैतिक एवं समाज विरोधी अपराधों (मारल टार्पीटयूड) के न्यायालय द्वारा दंडित लोगों द्वारा प्रकाशति/मुद्रित अथवा संपादित समाचार पत्रों को विज्ञापन सूची में शामिल नहीं किया जाएगा। इसी प्रकार न्यायालय में जिन लोगों के खिलाफ इस तरह के प्रकरण विचाराधीन होंगे उन्हें भी सूची में शामिल नहीं किया जाएगा। सूची में शामिल एसे किसी पत्र के संबंध में शिकायत/जानकारी प्राप्त होने पर संबंधित व्यक्ति के शपथ पत्र प्राप्त करने के लिए कार्यवाही की जाएगी। निर्धारित अवधि में शपथ पत्र प्रस्तुत नहीं किए जाने पर आयुक्त संचालक जनसंपर्क द्वारा सूची से प्रथक कर दिया जाएगा।
इस कंडिका के अनुसार अगर देखा जाए तो मध्य प्रदेश में ना जाने कितने समाचार पत्रों के प्रकाशक मुद्रक और संपादकों के खिलाफ प्रकरण विचाराधीन हैं। सवाल यह उठता है कि कोई अपने आपराधिक चरित्र के बारे में कोई भला कैसे बताएगा और उसके बारे में किसी को पता कैसे चलेगा। होना यह चाहिए कि प्रत्येक छः माह में सूची में शामिल सभी समाचार पत्रों के संपादक प्रकाशक मुद्रक से शपथ पत्र लिए जाएं कि उन पर कोई आपराधिक मामले दर्ज नहीं है।

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