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Thursday, July 20, 2017

प्याज के नाम पर 5 लाख की रिश्वत मांगने वाला रिश्वतखोर GM श्रीकांत सोनी सस्पेंड

खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम के जीएम श्रीकांत सोनी।
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भोपाल. सरकारी अफसर सरकारी माल को अपने बाप की बपौती समझकर इसी तरह सेंध लगाकर अपनी जेबे भरते रहते हैं इनको ना तो सरकारी योजनाओं से कोई लेना-देना होता है ना ही जनता से .खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम के महाप्रबंधक श्रीकांत सोनी को सरकार ने बुधवार को निलंबित कर दिया। 

सोनी एक टीवी चैनल के स्टिंग में प्याज की नीलामी को बेहद कम दामों में मैनेज कराने के लिए रिश्वत मांगते रिकॉर्ड हो गए थे। वीडियो सामने आने के बाद यह कार्रवाई की गई। सोनी ने मंडियों से प्याज 2.10 रुपए/किलो तक नीलामी को मैनेज करके देने के बदले 4-5 लाख रुपए की रिश्वत मांगी थी। चैनल के रिपोर्टर से बातचीत में दो रुपए प्रति किलो प्याज का दाम तय हुआ। 
अधिकतम 10 पैसे ऊपर होने की बात कही गई। यह प्याज सरकार ने 8 रुपए प्रति किलो खरीदी है। वीडियो में सोनी ने कहा- शाजापुर, मक्सी, शुजालपुर मंडियों को मैं मैनेज कर लूंगा।


5 लाख के बदले 2 रु./किलो में किया एक रैक प्याज का सौदा, आपूर्ति निगम के जीएम सस्पेंड


खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम के जीएम श्रीकांत सोनी।

भोपाल. सरकार की आठ रुपए में प्याज खरीदी योजना में भी अफसरों ने कमीशन का खेल शुरू कर दिया। बुधवार को एक टीवी चैनल के स्टिंग में यह खुलासा हुआ। वीडियो में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम के जीएम श्रीकांत सोनी पांच लाख रुपए कमीशन लेकर दो रुपए प्रतिकिलो में रेलवे की एक रैक प्याज का सौदा कर रहे हैं। जबकि सरकार ने प्याज को खुली नीलामी में बेचने की योजना बनाई है।
सरकार का मानना है कि नीलामी में प्याज के दाम 2 रुपए से अधिक मिल जाएंगे, जिससे घाटे की कुछ भरपाई हो जाएगी।   स्टिंग सामने आने के बाद देर शाम खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम के जीएम श्रीकांत सोनी को सस्पेंड कर दिया गया। इस स्टिंग में शाजापुर के प्याज के दो थोक व्यापारियों राजेश पाटीदार और विनोद पाटीदार का भी नाम है। ये इस खेल में शामिल बताए जा रहे हैं। खाद्य विभाग के प्रमुख सचिव केसी गुप्ता ने कहा कि सोनी को सस्पेंड कर दिया गया है। मामले की पूरी जांच की जाएगी।
 700 करोड़ रुपए की प्याज खरीदी पर सवाल
मार्कफेड ने इस बार 700 करोड़ रुपए लगाकार 8 लाख 76 हजार टन प्याज की खरीदी की है। खरीदी गई प्याज के परिवहन का जिम्मा आपूर्ति निगम के पास है, जबकि भंडारण वेयर हाउसिंग कॉरपोरेशन को करना है। बताया जा रहा है कि प्याज के परिवहन के लिए ट्रकों के अलावा रेलवे की अब तक 30 रैक का इस्तेमाल किया जा चुका है। इनसे 5.71 लाख टन प्याज का परिवहन हुआ। तीन लाख टन से अधिक प्याज अभी मंडियों में ही पड़ी है या खराब हो गई है। 1
फोन पर हुई बातचीत के अंश
रिपोर्टर- सर, बिना बोली के प्याज मिल जाए, गाइड करिए।
श्रीकांत सोनी : अरे, बोली मैनेज कर देंगे ना....वही तो कह रहा हूं। शाजापुर से मैनेज करा सकता हूं। मक्सी या शुजालपुर से भी।
रिपोर्टर- शुजालपुर से करा दीजिए। नजर में भी नहीं है लोगों के।
सोनी : दो रुपए 10 पैसे में कराता हूं। इतने तक नहीं मिली तो देखते हैं, जितनी आसानी से मिल जाए ठीक है।
रिपोर्टर- मुझे क्या करना होगा?
सोनी : खर्चा-पानी तो लगेगा।
रिपोर्टर- वो कितना होगा?
सोनी  : समझो...तीन, साढ़े तीन, चार लाख तो लगेगा। वो तो आपको देना पड़ेगा ना। पहले करना पड़ेगा वो। पांच लाख में सब हो जाएगा।        
रिपोर्टर - सर, कैश में या कोई अकाउंट में।
सोनी  : कैश में कराना होगा। ये बात बहुत ही गोपनीय रखनी होगी। वो मैं बताऊंगा.. ऑफिस में ही दे देना। कोई दिक्कत नहीं।
रिपोर्टर - ठीक है सर।
सोनी  : पेमेंट जरूर रहेगा। क्योंकि वहां (शुजालपुर) पर भी मुझे कुछ देना होगा। वो मैं बात कर लूंगा। लोकल में भी थोड़ा देना पड़ेगा। करना पड़ता है। ट्रेडर्स भी लेते हैं।
सोनी  : रैक लेने वालों को वहां पहुंचने नहीं देते ट्रेडर्स। उनको बोल देते रैक नहीं बेच रहे। बेचारे सारे ट्रक में उलझ जाते हैं।
रिपोर्टर - हां..हां..
सोनी  : सिस्टम की बात है, मैनेज करना पड़ता है। बाकी आप अपना सामान साथ रखना।

राजेश पाटीदार (व्यापारी)
पूरी रैक की सेटिंग करते हैं। उसका खर्च आठ लाख रुपए तक होता है। उसका खर्च देना पड़ता है। पूरे एमपी स्टेट के जीएम हैं, उन्हीं ने पूरी सेटिंग की है। अपना लिंक है उनके साथ। उनका क्या जाता है...रैक दे देते हैं। बाद में बोल देंगे कि डैमेज हो गई प्याज। आठ लाख 50 हजार रुपए पूरी रैक का लेंगे। (स्टिंग के दौरान बोलते हुए)
विनोद पाटीदार (व्यापारी व दलाल)
25 से 30 रुपए प्रतिक्विंटल का खर्च आता है। यह देना पड़ेगा। (स्टिंग में कहा)

भ्रष्टाचार का यह पहला मामला नहीं है... आईपीएस, आईएफएस समेत कई मामले लंबित
श्रीकांत सोनी की तरह रिश्वत और भ्रष्टाचार में पकड़े गए कई अधिकारियों की लंबी सूची है। इसमें आईपीएस, आईएफएस से लेकर इंजीनियर, स्वास्थ्य, बिजली, निकाय, राजस्व, पीडब्ल्यूडी, वाटर रिसोर्स, ट्राइबल, एक्साइज समेत कई विभाग के कर्मचारी शामिल हैं। इनके मामले पांच-पांच साल से लंबित हैं।

कुछ अंश भास्कर न्यूज़ से

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