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Wednesday, January 3, 2018

रणजी टीम को धोनी की ये तस्वीर देख शर्म से डूब मरना चाहिए

Delhi Ranji Trophy team paid no attention to an injured Vidarbha cricketer during Ranji FInal
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25 अक्टूबर 2015. वानखेड़े स्टेडियम. इंडिया वर्सेज़ साउथ अफ़्रीका. वन-डे मैच. साउथ अफ़्रीका बैटिंग कर रही थी. बैटिंग क्या कर रही थी, असल मायनों में खेल रही थी. इंडिया की बॉलिंग के साथ. फ़ाफ़ डु प्लेसी और डिविलियर्स इंडिया के बॉलर्स को पीट रहे थे. डु प्लेसी 100 रन बना चुके थे और क्रैम्पस से जूझ रहे थे. डिविलियर्स ये बता रहे थे कि लम्बी फेंकी हुई गेंदों को विकेट्स के पीछे कैसे मारा जा सकता है और क्यूं उन्हें मिस्टर 360 डिग्री कहा जाता है.
डु प्लेसी ने अक्षर पटेल को 3 छक्के मारे. इस पूरे दौरान डु प्लेसी क्रैम्पस से जूझ रहे थे. वो शॉट मारते और वहीं गिर पड़ते. उनके पैर की मांसपेशियां जवाब दे रही थीं. लेकिन उनका बल्ला जवाब पर जवाब दिए जा रहा था. तीसरा छक्का मारते ही डु प्लेसी वहीं लोट गए. अब उनसे खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा था. इस वक़्त उन्हें भयानक दर्द हो रहा था. दूसरे छोर पर खड़े डिविलियर्स ने तुरंत पवेलियन की ओर इशारा किया और फिज़ियो को आने को कहा. लेकिन तब तक विकेटकीपिंग कर रहे धोनी ने मामला अपने हाथ में लिया और तुरंत डु प्लेसी के पास पहुंचे. उन्हें स्ट्रेचिंग कराने लगे. उनके पैर की मांसपेशियों को रिलैक्स करने के लिए ये सबसे कारगर उपाय था. धोनी वही कर रहे थे. स्टेडियम में तालियां बजाई जा रही थीं. इसलिए नहीं क्यूंकि मैच मुंबई में खेला जा रहा था. ये नज़ारा दुनिया के किसी भी कोने में देखने को मिलता, दर्शकों का यही रीऐक्शन होता. बाद में फिज़ियो आए और धोनी ने उन्हें अपना काम करने दिया.
दिल्ली की रणजी टीम को धोनी की ये तस्वीर देख शर्म से डूब मरना चाहिए
 
30 दिसंबर 2017. इंदौर. दिल्ली वर्सेज़ विदर्भ. रणजी ट्रॉफी फाइनल. विदर्भ की टीम बैटिंग कर रही थी. रजनीश गुरबानी दिल्ली की पहली इनिंग्स में विदर्भ की तरफ से हैट्रिक ले चुके थे. विदर्भ की टीम जीत के करीब थी. खेजरोलिया बॉलिंग पर थे. लेफ्ट आर्म मीडियम फ़ास्ट. एक छोटी गेंद जो देह की लाइन में फेंकी गई थी जाकर बल्लेबाज सिद्धेश नेरल को लगी. सिद्धेश ने अभी-अभी छक्का मारा था. खेजरोलिया ने अगली गेंद पटक दी. गेंद जाकर नेरल की पसलियों में लगी. नेरल ने बल्ला फेंका और वहीं लोट गए. उन्हें बहुत दर्द हो रहा था. दूसरे छोर पर खड़े वाडकर ने तुरंत पवेलियन की और इशारा किया और फिज़ियो को बुलाया.
लेकिन इस बीच किसी भी दिल्ली के खिलाड़ी ने इतनी भी ज़हमत नहीं उठाई कि वो जाकर नेरल का हाल-चाल ले सके. चोट खाए हुए नेरल के दस कदम के घेरे में कम से कम 5 खिलाड़ी मौजूद थे लेकिन किसी ने भी उसकी सुध लेने की नहीं सोची. इस पूरे दौरान नेरल ज़मीन अपर पड़े कराह रहे थे. यहां तक कि गेंद फेंकने वाले खेजरोलिया ने भी अपने फॉलोथ्रू के बाद पैर वापस खींच लिए. मानो कुछ हुआ ही न हो.


दिल्ली के खिलाड़ियों को थोड़ा शऊर सीख लेना चाहिए. यकीनन इन सभी में कोई भी ऐसा क्रिकेटर नहीं होगा जो पिछले कम से कम दस सालों से क्रिकेट न खेल रहा हो. कोई भी ऐसा खिलाड़ी नहीं होगा जिसे खेलने के दौरान चोट न लगी हो. और अगर न भी लगी हो तो कम से कम इंसानियत तो थोड़ी बहुत जिंदा ही होगी. एक भी खिलाड़ी झांकने तक नहीं आया. दिल्ली की टीम को शर्म से मर जाना चाहिए.

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