भले ही हम कोई सी भी सदी में रह रहें हो, या कितने भी आधुनिक हो गये हों लेकिन एक मामला ऐसा है जो ना तो अभी तक बदला है और ना ही इसके बदलने की कोई उम्मीद है। यह मामला है लड़कियों के साथ उत्पीड़न का।
अगर हम बीते तीन दिन का ही आंकड़ा उठाये तो कई ऐसे मामले सामने आ जायेंगे जिसमें लड़कियों के साथ पुलिस विभाग (department) ने ही कितनी नाइंसाफी की है।
इन मामलों में सामने आई पुलिस की लापरवाही
*हाल ही में हमीरपुर में जबरन शादी रचाने के लिए एक दबंग युवक तमंचा लेकर युवती के घर जा घुसा। उसकी धमकी से घबराई युवती ने जहरीला पदार्थ खाकर जान देने का प्रयास किया। युवती की मां ने एसपी दिनेश कुमार से शिकायत करते हुए आरोपित पर कार्रवाई की मांग की है।
एसपी से शिकायत इसलिए करनी पड़ी क्योंकि इंस्पेक्टर मधुसूदन दीक्षित व एसआइ प्रभुराज सिंह ने मौके पर युवती की मदद नहीं की। हालांकि इन दोनों को अब निलंबित कर दिया गया है लेकिन इस घटना से विभाग पर एक प्रश्न चिन्ह तो लग ही गया।
ऐसे ही मुरादाबाद में पुलिस सिस्टम से हारी दुष्कर्म पीड़िता ने ट्रेन के आगे कूदकर जान दे दी। दिल दहला देने वाली घटना के चंद घंटों बाद ही पुलिस ने आरोपित को गिरफ्तार कर लिया, जबकि 18 दिनों से पीडि़ता कभी थाने तो कभी पंचायत में इंसाफ के लिए गिड़गिड़ा रही थी। अब पुलिस वालों से ये पूछा जाए कि अगर काश अगर वो पहले ही कार्रवाई कर लेते तो शयद पीड़िता आज जिन्दा होती।
तीसरे मामले में इटावा में शादी समारोह में पूड़ी बनाने के बहाने 17 वर्षीय किशोरी को ग्राम पिलखना से 10 दिन पूर्व ले जाकर हलवाई ने दुष्कर्म किया फिर 50 हजार रुपये में बेच दिया। खरीदार पिता-पुत्र उसे बंधक बनाकर आठ दिन तक दुष्कर्म करते रहे।
दुष्कर्मियों के चंगुल से छूटकर भागी किशोरी ने परिवारीजन के साथ थाने जाकर व्यथा बताई। दो थानाक्षेत्रों में कहानी को उलझाकर पुलिस ने मुकदमा दर्ज नहीं किया बल्कि सीओ ने तो घटना को ही संदिग्ध बता दिया।
*मुरादाबाद में ही शादी का झांसा देकर एक युवती का यौन शोषण किया गया, जिससे युवती गर्भवती हो गई। शादी का दबाव बनाने पर युवक मुकर गया। बिरादरी की पंचायत ने युवती को तीन लाख रुपये देने का फरमान सुनाया है लेकिन पुलिस को इस घटना की खबर तक नहीं थी।
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सूबे में एंटी रोमियो स्क्वॉड बना कर बनाकर महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों पर नियंत्रण करने के वादा अपने संकल्प पत्र में किया था। शुरुआती दिनों में एंटी रोमियो स्क्वॉड ने काफी सक्रियता से काम भी किया, लेकिन अब जब कि इसकी गांव और शहरों में सबसे ज्यादा जरूरत है तो स्क्वॉड नदारद है। तो ऐसे में पुलिस विभाग की कार्य प्रणाली पर सवाल उठाना लाजमी है।
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