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Wednesday, March 6, 2019

होम लोन लेना है? 31 मार्च तक करें इंतजार, अप्रैल से घटेंगी ब्याज दरें

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नई दिल्ली. शुरुआती कसमकस के बाद बैंक अब लोन पर ब्याज दर घटाने को राजी हो गए हैं। रिजर्व बैंक ने उन्हें पिछले महीने की बैठक में लोन सस्ता करने को मनाया। बैठक में ज्यादातर बैंकों ने आरबीआई के सुझाव पर रजामंदी जाहिर की। अब ये बैंक अपने लोन इंट्रेस्ट रेट में 5 से 10 बेसिस पॉइंट्स की कटौती करने वाले हैं।   
पिछली बार नई मौद्रिक नीति के ऐलान में रीपो रेट 25 बेसिस पॉइंट घटाने के बाद सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक एसबीआई ने ब्याज दरें घटा दीं। उसके बाद आरबीआई ने अन्य सरकारी एवं निजी बैंकों से यह सुनिश्चित करने की अपील की थी कि रेट कट में कटौती का फायदा ग्राहकों को मिले। इसके लिए बैंकों को मार्जिनल कॉस्ट ऑफ लेंडिंग रेट्स (एमसीएलआर) में कटौती करना होगा।   
कुछ बैंकों ने एमसीएलआर में कटौती किया भी है जबकि शेष बैंक 31 मार्च तक ऐसा कर लेंगे। एक बैंकर ने बताया कि ज्यादातर या सभी सरकारी एवं निजी बैंक 5 से 10 बेसिस पॉइंट्स की कटौती करेंगे। दूसरे बैंकर ने बताया कि सार्वजनिक क्षेत्र के कम-से-कम चार बैंक और एक प्राइवेट बैंक इसी हफ्ते कटौती का ऐलान करेंगे। उन्होंने कहा कि आरबीआई ने बैंकों से ब्याज दरें घटाकर अर्थव्यवस्था के विकास को गति देने को कहा। केंद्रीय बैंक ने कहा कि बैंकों को अपने मार्जिन और मुनाफे को अप्रभावित रखते हुए कुछ फायदे ग्राहकों को दिए जाने चाहिए।   
गौरतलब है कि होम लोन की ब्याज दरें एमसीएलआर, बेस रेट और बैंकों के पास पड़ी पूंजी पर आधारित होती हैं। इसलिए, उनकी मानक दरों के आधार पर ही प्रभावी ब्याज दरों में अंतर होता है। बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा को एमसीएलआर रेट घटाने पर विचार करना है। दरअसल, बैंक ऑफ बड़ौदा ने आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की पिछली बैठक से पहले ही एमसीएलआर में 20 बेसिस पॉइंट्स की बढ़ौतरी कर दी थी।   
बैंकरों का कहना है कि उन्हें गैर-निष्पादित संपत्तियों (नॉन-परफॉर्मिंग ऐसेट्स यानी एनपीए) के कारण ऊंची रकम की प्रविजनिंग करनी पड़ रही है, इसलिए ब्याज दरों में बहुत कम कटौती की गुंजाइश ही बन पाती है। उनका कहना है कि इसके बावजूद वह आरबीआई के रेट कट का फायदा ग्राहकों को देने का प्रयास करेंगे, लेकिन रीपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट्स की कटौती का पूरा-पूरा फायदा पहुंचाना संभव नहीं हो पाएगा क्योंकि उन्हें अपने मार्जिन पर भी ध्यान देना है। 

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