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Thursday, July 16, 2020

मंत्री गोविंद सिंह का निर्देश बना अफसरों के गले की हड्डी, छह साल का राजस्व रिकॉर्ड गायब F I R का फंसा पेंच

मंत्री गोविंद सिंह का निर्देश बना अफसरों के गले की हड्डी, छह साल का राजस्व रिकॉर्ड गायब F I R का फंसा पेंच

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ब्यूरो चीफ नागदा, जिला उज्जैन // विष्णु शर्मा 8305895567
  • वरिष्ठ पत्रकार कैलाश जी सनोलिया की कलम से 

उज्जैन - नागदा,। प्रदेश के परिवहन मंत्री व राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत का उज्जैन कलेक्टर के नाम कमलनाथ सरकार में दिया गया एक निर्देश नागदा-खाचरौद के अफसरों के गले की हड्डी बन गया।

अब वे फिर शिवराज सिंह मंत्रिमंडल में उसी विभाग के मंत्री बन गए। ऐसी स्थिति में मामला अब और गंभीर हो गया। चौकाने वाली बात यह है कि नागदा का वर्ष 1958 से लेकर 1964 तक का राजस्व रिकॉर्ड गायब हो गया। नागदा, मेहतवास एवं पाड़ल्या कला के अभिलेख शामिल हैं।
नागदा के छह साल का राजस्व रिकॉर्ड गायब F I R का फंसा पेंच
यह प्रकरण तत्कालीन परिवहन मंत्री गोविंद सिंह के संज्ञान में गत फरवरी में आया था। उन्होंने तत्काल कलेक्टर को कार्यवाही निर्देश दिया। मंत्री के निर्देश के बाद रिकॉर्ड को शोध का विभागीय आदेश हुआ और दल का गठन भी किया गया। आखिरकार अब रिकॉर्ड नहीं मिलने पर स्थानीय अफसरों ने हाथ ऊंचे कर दिए। ताजा स्थिति यह है कि यह प्रकरण अब खाचरौद पुलिस थाने में रिकॉर्ड गायब करने के दोषी अधिकारियों के खिलाफ  एफआईआर पर अटक गया है।
तत्कालीन कलेक्टर शशांक मिश्र के कार्यकाल में इस मामले में एफआईआर का आदेश दिया हुआ था। रिकॉर्ड गायब होने की यह  पूरी कहानी अभिषेक चौरसिया निवासी नागदा ने मंत्री गोविंदसिंह के समक्ष उपस्थित होकर भोपाल में बताई थी। शिकायत पर मंत्री ने निर्देश दिया था।
मंत्री के निर्देश से लेकर इस गंभीर मामले में अधिकारियों के बीच जो भी पत्राचार हुए, वे वरिष्ठ पत्रकार श्री सलोनिया जी के हाथ लगे हैं।

वर्तमान में यह मामला

दोषियों के खिलाफ  एफआईआर दर्ज करने के लिए थाना खाचरौद में अटका पड़ा है। मामले को रफा-दफा करने के दांव-पेंच की बातें भी सामने आ रही है। खाचरौद थाना प्रभारी के एक ताजा पत्र प्रमाण क्रमांक 20-ए/ 2020 के अनुसार प्रकरण अभी एफआईआर के लिए लंबित है। श्री सलोनिया के पास सुरक्षित दस्तावेजों से यह कहानी सामने आई है कि पुलिस उन अधिकारियों के नाम तथा पता जुटाने में लगी है, जिनके कार्यकाल में यह रिकॉर्ड गायब हुए।

सुप्रीम कोर्ट में मप्र शासन

सूत्रों को कहना है कि रिकॉर्ड के गायब होने के तार अरबों की एक विवादित भूमि से जुड़े हैं। सुप्रीम कोर्ट में मप्र शासन एवं ग्रेसिम के बीच एक अपील क्रमांक एसएलपी सी  15837/ 2019 चल रहाी है। इस प्रकरण में शासन की ओर से प्रिसिपल सेक्रेटरी, उज्जैन कलेक्टर, नागदा एसडीओ एवं तहसीलदार अपीलार्थी हैं।

एफआईआर के लिए इस प्रकार कार्यवाही

मंत्री गोविंदसिंह ने उचित कार्यवाही का आदेश उज्जैन कलेक्टर को जारी किया। इसी दिन विशेष वाहक के माध्यम से कलेक्टर कार्यालय के आवक में जमा किया गया। इसी प्रकार से एक शिकायत पूर्व में उज्जैन कार्यालय में पहुंच चुकी थी।
कलेक्टर उज्जैन ने दस्तावेज गायब होने पर एसडीओ राजस्व नागदा को एफ आईआर कराने के लिए निर्देश दिया। यह निर्देश सीधे नागदा कार्यालय पहुंचा।
एसडीओ नागदा ने तहसीलदार खाचरौद को पत्र क्रमांक/ री-2/ 2020/ 148 दिनांक 7 फरवरी एवं पत्र क्रमांक 295/ री-2/20 दिनांक 14 फरवरी जारी कर रिकॉर्ड शोध कराने का निर्देश दिया। यह प्रकरण खाचरौद इसलिए भेजा कि किसी समय नागदा की तहसील खाचरौद थी।
एसडीओ ने रिकॉर्ड शोध के लिए दल गठित किया। प्रभारी नायब तेहसीलदार नागदा को बनाया। प्रभारी ने प्रतिवेदन दिया कि रिकॉर्ड नहीं मिला।
जिला अभिलेख उज्जैन ने अवगत कराया कि तहसील नागदा के गा्रम पाड़ल्या कला, मेहतवास, एवं कस्बा नागदा राजस्व रिकॉर्ड 1959 से 1962-63 तक का खसरा किश्तबंदी खतोनी उपलब्ध नहीं है।
तहसीलदार खाचरौद ने 22 फरवरी को पत्र के माध्यम से आफिस कानूनगो खाचरौद को निर्देश दिया  कि उक्त समय अवधि में कौन- कौन कर्मचारी अभिलेखागार के पद पर थे। इस बारे में भी कोइ जानकारी नहीं मिली है। इसलिए आप अब एफआईआर दर्ज कराएं।
थाना प्रभारी खाचरौद ने 24 फरवरी को तहसीलदार को पत्र जारी कर 5 बिंदुओं में जानकारियां मांगी।
तहसीलदार ने पत्र दिनांक 6 मार्च को थाना प्रभारी के नाम जानकारियों में बताया कि गठित दलों ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि जो जानकारी पुलिस मांग रही है, वे कार्यालय में नहीं है। यहां तक कि कार्यालय में चोरी होने अथवा आग लगने के बारे में भी कोई तथ्य सामने नहीं आए हैं।
थाना प्रभारी ने 9 मार्च को तहसीलदार के नाम पत्र जारी कर प्रतिवेदन मांगा कि जो राजस्च रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं उसकी सूची थाने में प्रस्तुत कि जाए।
तहसीलदार ने 11 मार्च को पत्र के माध्यम से बताया कि अभिलेख उपलब्ध नहीं है, इसलिए दस्तावेजों का सूचीकरण संभव नहीं है। थाना प्रभारी ने आरटीआई में हाल में पत्र के माध्यम से स्पष्ट किया कि उक्त प्रकरण अभी जांच में है। एफआईआर नहीं हुई है।

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