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नियमित लेखक

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Virendra Jain

सन 1969 से देश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो रहे वीरेन्द्र जैन जनवादी लेखक संघ के भोपाल ईकाई के अध्यक्ष रहे हैं. व्यंग पर चार पुस्तकें प्रकाशित. संप्रति भोपाल में निवास और स्वतंत्र लेखन.
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Vinod Upadhyay

भगवान श्री राम की तपोभूमि और शेरशाह शूरी की कर्मभूमि ब्याघ्रसर यानी बक्सर (बिहार) के पास गंगा मैया की गोद में बसे गांव मझरिया की गलियों से निकलकर रोजगार की तलाश में जब मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल आया था तब मैंने सोचा भी नहीं था कि पत्रकारिता मेरी रणभूमि बनेगी। वर्ष 2002 में भोपाल में अपने दोनों छोटे भाईयों विनय और स्व.ब्रजेश (पूर्व रणजी खिलाड़ी) के भविष्य की खातिर यहां रूकना पड़ा। समय काटने की गरज से अपने एक व्यवसायी जानकार की सिफारिश पर मैंने दैनिक राष्ट्रीय हिन्दी मेल से पत्रकारिता जगत में प्रवेश किया। उसके बाद अन्य कई बड़े अखबारों में काम करने के आफर आए लेकिन स्वाभिमानी प्रवृति का होने के कारण मैं कहीं नहीं जा सका। वर्ष 2005 में जब सांध्य अग्रिबाण भोपाल से शुरू हुआ तो मैं उससे जुड़ गया तब से आज भी वहीं जमा हुआ हूं।

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Rizwan Chanchal

दैनिक जागरण कानपुर में छह साल रिपोर्टर रहे रिजवान चंचल ने लखनऊ से प्रकाशित स्वतंत्र भारत में दो साल काम किया. वर्तमान समय में पाक्षिक रेड फाइल नामक अखबार के संपादक. जन जागरण मीडिया मंच के सचिव और भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ के राष्ट्रीय महासचिव.

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R L Francis

पुअर क्रिश्चियन लिबरेशन मुवमेन्ट के अध्यक्ष आर एल फ्रांसिस ईसाई मिशनरियों के बीच व्याप्त भेदभाव और कटुता के खिलाफ लगातार अपनी आवाज बुलंद किये हुए हैं. विभिन्न अखबारों में लेखन के साथ विस्फोट के स्तंभ लेखक.

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अपने अनुभव के आधार पर मुझे देशवासियों से केवल यही कहना है कि-1. एक साथ आना शुरुआत है, एक साथ रहना प्रगति है और एक साथ काम करना सफलता है। 2. अपने आपको बदलो। दुनिया बदल जायेगी। 3. हम जो कुछ कहते हैं, उसे अपने आचरण से प्रमाणित करें। 4. यदि आप थोडा सा भी दबे, तो लोग आपको और दबायेंगे। यदि आप मुकाबला करोगे, तो वे दुम दबाकर भाग जायेंगे। 5. कब तक सिसकते रहोगे? (1) बोलोगे नहीं तो कोई सुनेगा कैसे? (2) लिखोगे नहीं तो कोई पढ़ेगा कैसे? (3) दिखोगे नहीं तो कोई देखेगा कैसे? (4) लड़ोगे नहीं तो जीतोगे कैसे? (5) चलोगे नहीं तो पहुंचोगे कैसे?