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Sunday, April 29, 2018

शीघ्रपतन और नपुंसकता जैसी कमजोरियों को मात्र 7 दिनों में जड़ से खत्म कर देगा यह औषधि

दोस्तों कुछ लोग बचपन में बुरी संगति में पड़ जाते हैं और कई ऐसे काम करते हैं जिसके वजह से आगे चलकर उन्हें शीघ्रपतन और नपुंसकता जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। शीघ्रपतन एक ऐसी समस्या है जिसमें पुरुष समय से पूर्व डिस्चार्ज हो जाते हैं, जिसके वजह से उनके पार्टनर संतुष्ट नहीं होते हैं। वैसे तो बाजारों में इसके कई दवाई उपलब्ध है जो दावा करते हैं कि इस समस्या को जड़ से खत्म कर देंगे लेकिन इससे फायदा नहीं होता। आज हम आपको एक ऐसी औषधि बताने वाले हैं जो सिर्फ 7 दिनों में नपुंसकता जैसी कमजोरी को खत्म कर आपके जीवन में खुशहाली ला देगा।

शीघ्रपतन और नपुंसकता जैसी कमजोरियों को मात्र 7 दिनों में जड़ से खत्म कर देगा यह औषधि
 
 
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शीघ्रपतन और नपुंसकता से छुटकारा पाने के लिए करें यह 2 उपाय
आप बाजार से अश्वगंधा और सफेद मूसली खरीद लें और उसे घर पर चूर्ण बना लें। अब इस चूर्ण को रात में खाने के बाद एक गिलास दूध में आधा आधा चम्मच डालकर पी लें। अश्वगंधा और सफ़ेद मूसली में ऐसे प्राकृतिक गुण मौजूद होते हैं जो पुरुषों की इन कमजोरियों को खत्म कर नई ऊर्जा प्रदान करता है।

 
 
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दूसरा उपाय है कि आप बाजार से सांडे का तेल खरीद लें। सांडे के तेल में ऐसी खनिज तत्व पाए जाते हैं जो नसों की कमजोरी को दूर कर नया ताकत प्रदान करता है। आप इस तेल से दिन में दो बार मालिश करें आपको सत प्रतिशत फायदा मिलेगा।

 
 
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Monday, April 23, 2018

चर्चित ‘लव गुरु’ मटुकनाथ का जूली साथ छोड़ गईं, तन्हा जीवन बिता रहे

‘लव गुरु’ मटुकनाथ जूली के लिए इमेज परिणाम

एक दशक पहले ही 64 साल के प्रफेसर मटुकनाथ चौधरी ने अपनी शिष्या जूली कुमारी को अपने जीवन का प्यार बताते हुए उनके साथ रहने का फैसला किया था। उनके लिए अपनी पत्नी को भी छोड़ दिया था। हालांकि मटुकनाथ की यह शिष्या और उनके जीवन के प्यार ने इन दिनों अध्यात्म का रुख कर लिया है और प्रेम के लिए चर्चित ‘लव गुरु’ मटुकनाथ इन दिनों तन्हा अपना जीवन बिता रहे हैं।

इस बारे में मटुकनाथ से पूछने पर उन्होंने कहा, ‘कोई नहीं जानता कि परिस्थितियां कब बदल जाएं। हमारे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। हम करीब दस साल तक साथ रहे। फिर अचानक जूली का सांसारिक मोह-माया से लगाव हटने लगा।’ बता दें कि मटुकनाथ की जूली से मुलाकात 2004 में हुई थी जब वह 51 साल के थे और जूली 21 साल की थीं। दो साल बाद उनके प्यार की सुर्खियां अखबारों और टीवी न्यूज चैनल्स की हेडलाइन बनने लगी और पटना के बीएन कॉलेज में हिंदी प्रफेसर मटुकनाथ चौधरी मुश्किलों से घिर गए।
यूनिवर्सिटी ने पहले उन्हें निलंबित किया और बाद में कॉलेज से निकाल दिया। उनकी पत्नी ने टीवी पत्रकारों के साथ उस घर पर छापा पड़वाया जहां वह अपनी स्टूडेंट के साथ लिव इन में रह रहे थे। उनकी पत्नी ने मटुकनाथ को गिरफ्तार भी करवाया और आरोप लगाया कि वह स्टूडेंट्स को ज्यादा नंबर देने का वादा करके प्रलोभन देते थे। इसके बाद मटुकनाथ ने तलाक और यूनिवर्सिटी से निलंबन की बहाली के लिए कोर्ट के चक्कर भी लगाए।
पिछले हफ्ते उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में आश्वासन दिया कि वह अपनी सैलरी या पेंशन का एक तिहाई हिस्सा उम्र भर अपनी पत्नी को भत्ते के रूप में देते रहेंगे। फिलहाल इन दिनों वह बिल्कुल अकेले हैं। यहां तक कि स्टॉकहोम में रह रहा उनका बेटा भी उनसे बात नहीं करता।
‘ उम्र का अंतर कभी मुद्दा नहीं बना’
बीएचयू और जेएनयू जैसी प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी की डिग्रीहोल्डर जूली को करीब चार साल पहले अध्यात्म में रुचि आई। इसके बाद उन्होंने पुड्डुचेरी, ऋषिकेश, पुणे में ओशो आश्रम में समय बिताना शुरू कर दिया। मटुकनाथ कहते हैं, ‘जब-जब वह पटना आती थी तो कुछ दिनों के लिए मेरे साथ रहती थी। आखिरकार हमने तय किया कि वह फुलटाइम अध्यात्म की शरण में रहेंगी।’ मटुकनाथ कहते हैं कि वह शांति की खोज के लिए जूली को मुक्त करना चाहते थे।
दोनों की उम्र में इतना अंतर उनके बीच कभी मुद्दा नहीं बना। वह कहते हैं, ‘जूली आज भी कहती हैं कि हमारी मेंटल ऐज समान है।’ मटुकनाथ जूली के साथ अपने खुशहाल दिनों की तस्वीरें दिखाते हैं। एक तस्वीर में वह खुशमिजाज नजर आ रहे हैं और साइकल रिक्शा चला रहे हैं जबकि जूली रिक्शे की सीट पर बैठी हुई हैं। एक दूसरी तस्वीर में जोड़ा एक-दूसरे को फूल भेंट कर रहा है।
‘लोगों का नजरिया बदला है’
हालांकि इस प्रेम कहानी ने उनके जीवन में काफी हंगामा भी खड़ा किया, जो उनके सुख के पलों में किसी काले बादल की तरह मंडराते रहे। मटुकनाथ को यूनिवर्सिटी में अपने निलंबन की बहाली के लिए प्रदर्शन भी करना पड़ा था। वह पटना में राजभवन क सामने प्रदर्शन करते रहे, भूख हड़ताल भी की और आखिरकार कोर्ट का रुख किया। 2011 में यूनिवर्सिटी ने उन्हें बहाल कर दिया था लेकिन अपने स्टूडेंट्स के साथ डांस करते हुए एक यूट्यूब विडियो के सामने आने के बाद उन्हें फिर से निलंबित कर दिया गया।
इसके बावजूद प्रफेसर का कहना है कि लोगों का नजरिया उनके प्रति बदला है। वह कहते हैं, ‘जब मेरी पत्नी ने पूरे देश के सामने मुझे अपमानित किया तब लोगों ने मेरा मजाक बनाया, वे मुझपर हंसते थे लेकिन आज वही लोग प्यार के प्रति मेरे यकीन पर मेरी तारीफ करते हैं। मुझे कोई पछतावा नहीं है। मैंने वही किया जो मुझे सही लगा। लोग अपनी राय बनाने के लिए आजाद हैं।’
रिटायरमेंट के बाद का प्लान
2013 में जब यूनिवर्सिटी ने उन्हें निलंबनकाल का उनका बकाया वेतन करीब 20 लाक रुपये सौंपा तो उन्होंने जूली को वैलंटाइंस डे के दिन 6.3 लाख की कार गिफ्ट की थी। मटुकनाथ अब पटना के शास्त्रीनगर में एक अपार्टमेंट में अकेले रह रहे हैं और अक्टूबर में पटना यूनिवर्सिटी से रिटायर होने वाले हैं। उन्होंने अपने रिटायरमेंट के बाद का प्लान भी बनाया है। प्रफेसर ने बताया कि रिटायरमेंट के बाद वह भागलपुर जिल में अपनी प्रेम पाठशाला खोलेंगे और स्टूडेंट्स को प्यार और विश्वास का पाठ पढ़ाएंगे।

इसलिए महिलाएं उल्टा होकर सोना पसंद करती हैं, कारण हैरान करने वाला

तो इसलिए महिलाएं उल्टा होकर सोना पसंद करती हैं, कारण हैरान करने वाला

भरपूर नींद लेना शरीर के काफी आवश्यक होता है। कई लोगों को रातभर करवटें लेने की आदत होती है। लोग अलग अलग तरह की स्थितियों में सोना पसंद करते है कुछ लोगों को दाई तरफ, बाई तरफ करवट लेकर सोना पसंद होता है।

कई लोग सीधे भी सोते है। लेकिन कई महिलाएं ऐसी भी होती है जो उल्टा लेटकर सोती है। उनकी यह आदत काफी गलत मानी जाती है। आज हम आपको हमारी इस खबर के माध्यम से बताने जा रहे है इससे क्या क्या नुकसान हो सकते है।
इस स्थिति में सोने के नुकसान
हाल ही में वैज्ञानिकों दुआरा किए गए एक नए अध्ययन में पता चला है कि उल्टा होकर लेटने की वजह से आदमी हो या औरत सभी को काफी नुकसान होता है। इस वजह से रक्त संचार प्रणाली सही से काम नहीं कर पाती क्योंकि हमारा दिल दब जाता हैं। और इसके पास रक्त पहुंचने की गति काफी कम हो जाती है। जब आप एकदम से नींद से जागते है अचानक आपकी आंखों के आगे अंधेरा आ जाता है। उल्टा लेटकर सोने की वजह से पेट और कमर दर्द जैसी समस्या होना आमबात हो जाती है। अधिकतर लड़कियां रात में उल्टा लेटकर फोन का इस्तेमाल करती है और ऐसे ही सो जाती है। यदि आपको भी यह आदत है तो इसको सुधार लेना चाहिए क्योंकि इससे आपके शरीर को नुकसान होता हैं।
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सोलन की पूजा के सिर सजा Mrs India Himachal रनरअप का ताज


सोलन : मिसेज इंडिया हिमाचल की पहली रनरअप रही पूजा राठौर का सोलन पहुंचने पर भव्य स्वागत किया गया। पूजा राठौर सोलन के वन विभाग में कार्यरत हैं। राठौर के स्वागत में एक पार्टी का आयोजन किया गया जिसमें उनके सगे-संबंधियों ने उन्हें आगामी राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए शुभकामनाएं दी।

हिमाचल की महिलाओं में प्रतिभा की कमी नहीं

इस मौके पर पूजा ने कहा कि वह मिसेज इंडिया प्रतियोगिता के लिए जी तोड़ मेहनत कर रही हैं। उन्होने कहा कि अाज उन्हें बेहद खुशी है कि वह नेशनल लेवल पर मिसेज इंडिया प्रतियोगिता में वह हिमाचल का प्रतिनिधित्व करेंगी। उन्हें उम्मीद है कि आगामी समय में वह अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर भी हिमाचल का प्रतिनिधित्व करना चाहती हैं।
पूजा का सकहना है कि ज्यादातर महिलाओं को घर से बाहर निकलने का मौका नहीं मिलता जिसके चलते उनके अंदर छुपी ही प्रतिभ यूं ही दम तोड़ देती है। ऐसे में जरुरत है कि महिलाओं के घर वाले उनका साथ दें और उन्हें अच्छे मंच तक पहुंचने में मदद करें। इसके अलावा पूजा ने महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचारों पर भी गहरी चिंता व्यक्त की।

Sunday, April 22, 2018

यह संकेत बताते है की आपका साथी आपको धोखा दे रही है इन बातों से जानें

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अक्सर बॉयफ्रेंड और गर्लफ्रेंड के रिश्ते विश्वास पर टिके होते हैं इन रिश्तो में भरोसा टूटना एक आम बात है किसी छोटी सी बात या छोटे से शक के कारण बरसों पुराना रिश्ता टूट सकता है कई बार यह शक बेवजह का होता है और कई बार शक करने के उचित कारण भी होते हैं ऐसी कुछ परिस्थितियां होती हैं जिन्हें देखकर आप यह जान सकते हैं कि आपका साथी आपको धोखा दे रहा है या नहीं।

1. यदि वह सजने-संवरने में ज्यादा समय बिताने लगे - जब आपका साथी सजने-संवरने में पहले से कहीं ज्यादा समय बिताने लगे तो यह खतरे की घंटी हो सकता है वह पहले से ज्यादा कपड़ों की शॉपिंग करने लगे या बाल बनाने में पहले से कहीं ज्यादा समय बिताने लगे। यह भी हो सकता है कि वह खुद को फिट रखने के लिए जिम ज्वाइन कर ले।

2. यदि वह आपके करीब आने से झिझकने लगे - पहले आप दोनों को एक दूसरे के साथ वक्त गुजारना पसंद था परंतु अचानक वह आपके करीब आने से झिझकने लगी है जब भी आप उसके करीब जाने की कोशिश करते हैं वह बहाना बनाकर आपसे दूर चली जाती है यह एक खतरे की घंटी है हो सकता है उसे कोई और पसंद आने लगाओ।
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3. बिना बताये लंबे वक्त के लिए गायब होना - ऐसा हो सकता है कि आपका साथी बिना बताए किसी से मिलती हो। कई बार आप उसके ऑफिस कॉल करते हैं और वह ऑफिस में नहीं होता। कई बार वह झूठ बोलता है कि वह अपने मम्मी पापा से मिलने गए हैं परंतु वह वहां भी नहीं होता। ऐसे में शक करना लाजमी है।
4. आपके दोस्तों से दूरियां बनाना - पहले उसे आपके दोस्तों के साथ फिल्म देखने जाना या पिकनिक पर जाना पसंद था परंतु अचानक वह ऐसे प्रोग्राम टालने लगी है शायद उसे आपके दोस्तों के साथ वक्त बिताने में कोई दिलचस्पी नहीं। ऐसा हो सकता है कि वह अब आप से छुटकारा पाना चाहती हो।
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5. बिल चुकाना - अक्सर जब आप दोनों बाहर घूमने जाते हैं तो बिल आप चुकाते हैं परंतु अचानक ही आपका साथी बिल चुकाने की जिद करने लगे।
दोस्तों यदि आपको यह न्यूज़ पसंद आई हो तो आप हमारे चैनल को फॉलो जरूर करें। आप इस आर्टिकल को लाइक और शेयर भी करें। यदि आप इस जनकारी से जुड़ा कोई भी सवाल पूछना चाहते है तो कमेंट कारिये हम जवाब जरूर देंगे। 

Wednesday, April 18, 2018

राज्यपाल सवाल पूंछने पर महिला पत्रकार का गाल सहलाने लगे, सोशल मीडिया पर हड़कंप


तमिलनाडु में प्रेसवार्ता के दौरान राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित द्वारा महिला पत्रकार के सवाल पूंछने पर गाल सहलाने से विवाद की स्थिति बन गई है। महिला पत्रकार ने राज्यपाल के इस हरकत का विरोध जताया है। महिला ने राज्यपाल की इस हरकत से आहत होकर 360 शब्दों का आर्टिकिल भी लिखा है। 
दरअसल राज्यपाल ने 'डिग्री के लिए सेक्स' केस में आरोपी महिला के बयान को लेकर प्रेस कांफ्रेस बुलाई थी। अस बीच राज्यपाल ने इस कृत्य को अंजाम दे डाला। राज्‍यपाल की यह हरकत महिला को नागवार गुजरी। महिला पत्रकार पत्रकार लक्ष्मी सुब्रमण्यम का कहना है कि घटना के बाद कई बार अपना मुंह धोया। महिला ने सोशल मीडिया पर हरकत कर विरोध करते हुए कहा वह इसे भुला नहीं पा रही हैं। घटना अत्यंत ही दुखद और गलत है।
गुस्से में पत्रकार
महिला पत्रकार ने ट्वीट कर कहा है कि वह राज्यपाल से काफी गुस्से में हैं। कई बार गाल को धोया, लेकिन इस भाव से छुटकारा नहीं पा रही हैं। ये हो सकता है आपके लिए प्रोत्‍साहन का तरीका और दादाजी जैसा रवैया हो, लेकिन मेरे लिए आप गलत हैं। जो भी हो यह उनके साथ अव्‍यवहारिक रवैया है। किसी अंजान को उसकी सहमति के बिना छूना, खास तौर से महिला को, गलत है।
अशोभनीय कृत्य
तमिलनाडु विपक्षी दल द्रमुक ने घटना को अशोभनीय कृत्य करार दिया है। पिवक्षी ने जवाब में कहा है कि संवैधानिक पद पर बैठे एक व्यक्ति के लिए यह कृत्य शोभा नहीं देता। द्रमुक की राज्यसभा सदस्य कनिमोझी ने ट्वीट किया कि, 'अगर संदेह नहीं भी किया जाए तब भी संवैधानिक पद पर बैठे एक व्यक्ति को महिलाओं की मर्यादा समझनी चाहिए।
ये है मामला
तमिलनाडु के अरुप्पूकोट्टई के देवांग आर्ट कॉलेज की महिला लेक्चरर पर आरोप लगाा था कि अधिकारियों के साथ मिलीभगती की थी। छात्रों को ज्यादा नंबर दिए और रुपए के लिए अधिकारियों के साथ मिलकर तालमेल बनाने की सलाह दी। जब उनपर यह आरोप लगे तो उन्होंने इसे सिरे से खारिज कर दिया। इसके बाद एक आॅडियो वायरल हुआ, जिसमें लेक्चरर महिला राज्यपाल से आपसी संबंधों की बात करते सुनाई दे रही हैं। इसी बात को लेकर राज्यपाल ने प्रेसवार्ता बुलाई थी।

Monday, April 9, 2018

प्यार अगर सच्चा हो तो कभी नहीं बदलता, ना वक्त के साथ और ना हालात के साथ

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होस्टल में रहता था विराट। परिवार से दूर रहकर पहले पहल तो अकेलापन हावी रहा लेकिन धीरे धीरे होस्टल के माहौल में वह ढल गया। अब तो उसका घर जाने को भी मन नहीं करता था। लेकिन छुट्टियों में जाना पड़ता। उस दिन भी ऐसा ही कुछ हुआ था। 

प्यार अगर सच्चा हो तो कभी नहीं बदलता, ना वक्त के साथ और ना हालात के साथ घर से फोन आया कि किसी शादी में जाना है इसलिये उसे घर जाना था। उसने कई बहाने बनाने की कोशिश की लेकिन बात नहीं बनी। आखिरकार उसे शादी में जाने के लिए कॉलेज से छुट्टी लेनी पड़ी। अगले सुबह घर पहुंचते पहुंचते देर तो गई। घर गया तो पता चला कि घर वाले पहले ही शादी में जा चुके थे। उसने फोन किया तो उसके पिताजी ने उसे पता बता दिया लेकिन वह ठीक से समझ नहीं पाया।  घर से निकल वह शादी वाले समारोह की तरफ चल दिया।
बड़ी मुश्किल से उसे एक घर में समारोह जैसा माहौल दिखा तो वह अंदर घुस गया। भूख से पेट में कुत्ते भोंक रहे थे तो वह खाने में व्यस्त हो गया। "एक्सक्यूज़ मी" एक लड़की की आवाज सुन उसने पीछे देखा तो बस देखता ही रह गया। वो लड़की खूबसूरत थी या खूबसूरती ही उस लड़की की परछाई थी। यह समझने में उसे कुछ पल का वक्त लगा कि वह रास्ते मे खड़ा है। जब दोबारा उस लड़की ने टोका तो वह होश में आया और रास्ते से हटा। 
उसकी इस नादानी पर वह लड़की भी मुस्कुरा कर आगे बढ़ गई और जब उसने पलट कर देखा तो वह समझ गया कि वह भी उसमें इंटरस्टेड है। उसने फैसला किया कि उस लड़की से बात करेगा। पर इतनी भीड़ में उससे अकेले बात करने का मौका मिलना मुश्किल था। वह उसे ही देखता रहा। एक बार फिर उन दोनों की नजरें मिली और वह फिर मुस्कुरा दी। बस फिर क्या था इस हरी झंडी का उसने फायदा उठाया और उसके पास पहुंच गया। थोड़ी देर बातें हुईं और उसने अपना नम्बर उस लड़की को दे दिया। इतने में ही उसका फोन बजा। 
"कहाँ रह गया तू" उसकी मम्मी चिल्लाई। उसने बताया कि वह पहुंच गया है। फोन काट वह पार्टी में अपनी मम्मी को ढूंढने लगा। जब उसे अपनी मम्मी नहीं दिखी तो उसने फिर से फोन किया। समझ में आने में थोड़ा वक्त लगा लेकिन जब समझ आया कि वह गलत पार्टी में आ गया है तो वह अपने आप पर हंसा। शायद उस लड़की से मिलवाने के लिये ही भगवान ने उसे यहां भेजा था।

Friday, March 30, 2018

Good Friday 2018: जानें क्या है इतिहास, ईसा मसीह को क्यों चढ़ाया गया था सूली पर

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नई दिल्ली: इस शुक्रवार को यानी 30 मार्च को गुड फ्राइडे है. इस दिन भगवान ईसा मसीह को यहूदी सिपाहियों ने सूली पर लटका दिया था. इसकेे पीछे भी एक कहानी है. लगभग 2 हजार साल पहले ईसा मसीह ने लोगों को सही राह दिखाने की पहल की थी. लोगों का हाथ पकड़ उन्हें अंधेरे से रोशिनी में लेकर आए. यह सब देख यहूदियों के कट्टरपंथी धर्मगुरुओं को सहन नहीं हुआ और उन्होंने इसका विरोध किया. उन्हें ईसा मसीह में कोई मसीहा वाली बात नहीं नजर आती थी.

यहूदियों के कट्टरपंथी धर्मगुरुओं को ईसा मसीह द्वार खुद को ईश्वर पुत्र बताना भारी पाप लगता था. सोमनों को हमेशा यहूदी क्रांति का डर सताता रहता था. इस कारण कट्टरपंथी धर्मगुरुओं ने इस बात की शिकायत रोमन गवर्नर पिलातुस को कर दी. इसके बाद कट्टरपंथी धर्मगुरुओं खुस करने के लिए पिलातुस ने ईसा को क्रूस पर लटकाने की सजा सुनाई. ईसा मसीह के साथ हैवानियत की सारी हदें पार कर दी गईं.
जीसस को निर्दोष होने के बावजूद सूली पर लटकाया गया था. बावजूद इसके यीशु ने किसी बात का उलाहना नहीं दिया. न ही किसी बात की शिकायत की. बस इतना ही कहा, ‘हे ईश्वर इन्हें क्षमा करना, क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं.’ ये कहकर ईसा ने प्राण त्याग दिए.
इस दिन को ‘गुड’ क्यों कहते हैं
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लेकिन आज भी लोगों के मन में यह सवाल रहता है कि जब इस दिन (फ्राइडे) ईसा मसीह ने अपने प्राण त्यागे थे तब इस दिन को ‘गुड’ क्यों कहा जाता है. गुड का मतलब तो अंग्रेजी में अच्छा कहा जाता है. गुड इसलिए कहा जाता है क्योंकि क्रिश्चन समुदाय का मानना है कि भगवान यीशु मसीह ने अपनी जान लोगों की भलाई के लिए दे दी थी इसलिए इस दिन को गुड फ्राइडे कहा जाता है. मौत के तीन दिन के बाद ईसा जीवित हो गए थे. लोगों में इस बात की खुशी थी. उनके दोबारा जीवित होने की इस घटना को ईसाई धर्म के लोग ईस्टर दिवस या ईस्टर रविवार मानते हैं. इस साल यह पवित्र सप्ताह इस साल 9 अप्रैल को रविवार शुरु हुआ और शनिवार, 15 अप्रैल तक चलेगा. रविवार, 16 अप्रैल को ईस्टर मनाया जाएगा. गुड फ्राइडे को होली फ्राइडे, ब्लैक फ्राइडे और ग्रेट फ्राइडे भी कहते हैं.
कैसे मनाते हैं गुड फ्राइडे
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इस बलिदान के लिए कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कई विश्वासी चालीस दिन तक उपवास रखते हैं तो कोई केवल शुक्रवार को ही व्रत रखकर प्रार्थना करते हैं. इस दिन लोग चर्च में जाते हैं और गीत गाते हैं, प्रार्थना करते हैं, कहीं जगह नृत्य और अन्य कार्यक्रम के आयोजन होते हैं. सभी एक दूसरे को गिफ्ट्स, फ्लावर्स, कार्ड, चाॅकलेट, केक देकर विश करते हैं. गुड फ्राइडे के दिन कई देशों में हॉलीडे रहता है. गुड फ्राइडे प्रायश्चित्त और प्रार्थना का दिन है अतः इस दिन गिरजाघरों में घंटियां नहीं बजाई जातीं. इस दौरान श्रद्धालु प्रभु यीशु द्वारा तीन घंटे तक क्रॉस पर भोगी गई पीड़ा को याद करते हैं.
कौन थे ईसा मसीह
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ईसाई धर्मानुसार ईसा मसीह परमेश्वर के पुत्र थे. ईसा मसीह को यीशु के नाम से भी पुकारा जाता है. यीशु का जीवन, भाईचारे, सहनशीलता और अमन की मिसाल है. उनके संदेश आज भी अत्यंत प्रासंगिक हैं. उनका जीवन, बल्कि सूली पर किया गया बलिदान भी मानवता को सदैव राह दिखाता रहेगा. ईसा मसीह के बलिदान दिवस को गुड फ्राइडे कहते हैं. इस दिन श्रद्धालु प्रेम, सत्य और विश्वास की डगर पर चलने का प्रण लेते हैं. कई जगह लोग इस दिन काले कपड़े पहनकर शोक व्यक्त करते हैं.
कैसे हुआ था जन्म
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आज से हजारों साल पहले नासरत में गेब्रियल नामक एक स्वर्गदूत ने मरियम को दर्शन दिया और कहा कि तू पवित्र आत्मा की ओर से गर्भवती होगी और एक पुत्र जनेगी, उसका नाम यीशु रखना. बैतलहम में ही मरियम के जनने के दिन पूरे हूए और उसने एक बालक को जन्म दिया और उस बालक को कपड़े में लपेटकर घास से बनी चरनी में लिटा दिया और उसका नाम यीशु रखा. गडरियों ने यह जानकर कि पास ही उद्धारकर्ता यीशु जन्मा है जाकर उनके दर्शन किए और उन्हें दण्डवत् किया. हालांकि बाइबल, यीशु के जन्म की तारीख नहीं बताती है.

Thursday, March 29, 2018

गर्मियों में इस तरह रखे अपने चेहरे का ख्याल, निखार रहेंगा बरकरार

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TOC NEWS

ब्यूटी टीप्स: इस भागदोड भरी जिंदगी में अक्सर कई लोग अपनी स्किन का खास ख्याल नहीं रख पाते है जिसके कारण चेहरे पर मौजूद गंदगी से डार्क सर्कल्स, पिम्पल्स, व झुर्रिया आने लगती हैै जिससे चेहरा गंदा नजर आने लगता है।

ऐसा नहीं है कि कई लोग स्किन पर ध्यान नहीं देते है। वे इस समस्या को दूर करने के लिए ब्यूटी प्रोडक्ट का भी साहरा लेते है लेकिन इसका असर कुछ दिन ही रह पाता है। जिससे चेहरे पर एक बार फिर से ये प्रॉब्लम आने लगती है। ऐसे मे कुछ ऐसे घरेलु उपचार है जो आपकी स्किन की खूबसूरती को बढ़ाने मे असरदार होगें।
इसके लिए आज हम आपकों संतरे के छिलकों के बारे में बताएंगे, जो ब्यूटी के लिए बहुत फायदेमंद होता है। आप संतरे के छिलकों से भी स्क्रब को तैयार कर सकते है संतरे के छिलके का पावडर और नारियल तेल एक कटोरी में ) चम्मच संतरे के छिलके का पावडर लेंवे और उसमें 1 चम्मच नारियल तेल मिक्स करें। और फिर फेस को हल्का गीला करके उस पर स्क्रब करें। आपको ये स्क्रब कुछ मिनट तक करना है। और फिर फेस को पानी से वॉश कर लेवें । ऐसा करने के बाद आपको अपने फेस पर मॉइस्चराइजर का यूज करना होगा ताकि फेस की नमी बरकरार बनी रहे।
आप अपने फेस के लिए इस तरह से स्क्रब को तैयार कर सकते है। लेवेंडर ऑयलए ओटमील को काम में लेना होगा। इसके लिए ऑलिव ऑयल 1 चम्मच ओट्सए 2 चम्मच ऑलिव ऑयल और 3.4 बूंद लेवेंडर ऑयल को एक कटोरी मे मिला लेवें इसे मिलाकर कुछ देर हिलाए और फिर इसे गीली त्वचा पर लगाए और हाथों को गोल गोल घुमाए 5.10 मिनट के बाद फेस को धो लेवें इससे आपकी फेस के बंद पोर्स खुल जाएगे। और आपकी खूबसूरती में निखार आएगा।

Sunday, March 18, 2018

सहज संवाद : वैचारिक आन्दोलन की जननी के रूप में स्थापित होती है प्रतिमायें

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DR RAVINDRA ARJARIYA

अनुभव से अनुभूतियों तक पहुंच चुके हैं महाराज छत्रसाल

सहज संवाद / डा. रवीन्द्र अरजरिया
संस्कृति, संस्कार और संरचना की ऐतिहासिक धरोहर को संजोने का प्रयास युगों से किया जाता रहा है। अतीत की सुखद स्मृतियों के प्रेरणादायक प्रसंग, आने वाले कल का निर्माण करने की आधारशिला रखते हैं।
जीवन शैली से लेकर स्वीकारे गये सिद्धान्तों तक के आइने में आदर्श का प्रतिबिम्ब निरंतर परिलक्षित होता रहे, इस हेतु प्रतिमाओं की स्थापना करने का सिलसिला चल निकला। बुंदेलखण्ड केसरी महाराज छत्रसाल की विशाल प्रतिमा की स्थापना का आमंत्रण प्राप्त हुआ। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघ चालक डा. मोहन भागवत के मुख्य आतिथ्य में लोकार्पण समारोह की रूपरेख को कार्ड में विस्तार दिया गया था।
प्रतिमाओं की सार्वजनिक स्थलों पर स्थापना, भावी पीढी को गुजरे हुए कल के कथानकों से अवगत कराने का सराहनीय प्रयास होता है। समारोह के विवरण को पढ ही रहा था कि तभी फोन की घंटी बज उठी। बुंदेलखण्ड के आंदोलन पुरुष के नाम से चर्चित जगदम्बा निगम जी का फोन था। पूर्व विधायक एवं समाजसेवी की वर्तमान भूमिका के सशक्त पहलुओं ने उन्हें, जनसमस्याओं के लिए निरंतर आन्दोलनरत रहने के लिए हमेशा बाध्य किया।
आन्दोलन के माध्यम से हर समस्या का समाधान करवाने में महारत हासिल करने के कारण ही उन्हें वहां की आवाम आन्दोलन पुरुष के रूप में सम्मान देती है। उन्होंने सुबह की चाय पर आमंत्रित किया। इस आमंत्रण पर कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए हमने समय निर्धारित करने का बात कही। निश्चित समय पर हम आमने-सामने थे। हमारा उत्साहवर्धक स्वागत किया। कुशलक्षेम पूछने-बताने की औपचारिकताओं से बाहर पहुंचते ही हमने प्रतिमाओं की स्थापना पर उनका दृष्टिकोण जानना चाहा।
बचपन, युवा और प्रौढ की पायदानो को पार करके अनुभव के चरम पर बैठे आन्दोलन पुरुष ने एक लम्बी सांस खींची। अंतरिक्ष को घूरा। ललाट की रेखायें उनके चिन्तन भाव में पहुंचते व्यक्तित्व की चुगली कर गई। कुछ क्षण शांत रहने के उपरान्त उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत आदर्श को सामूहिक स्वीकारोक्ति के उपरान्त स्थायित्व प्रदान करना ही प्रतिमा स्थापना का वास्तविक उद्देश्य होता है। प्रतिमा की मूक उपस्थिति उसके जीवन काल के समग्र घटनाक्रम को प्रकाशित करती है। मूर्ति में समाया व्यक्तित्व प्रतिपल जीवित रहता है। उसका कृतित्व और व्यक्तित्व अनुकरणीय बनकर भावी पीढी का मार्गदर्शन करता है।
वैचारिक आन्दोलन की जननी के रूप में स्थापित होती है प्रतिमा। वैचारिक शब्द को रेखांकित करते हुए हमने बीच में ही प्रश्न कर दिया। लेनिन की मूर्ति का प्रकरण, अन्य मूर्तियों पर प्रतिक्रिया स्वरूप उभरा। सामांजस्यपूर्ण वातावरण को मूर्ति के विवाद ने असहज कर दिया। इस परिपेक्ष में आपका नजरिया क्या है। विचारधारा की स्थापना की सार्थकता को निरूपित करते हुए उन्होंने कहा कि प्रतिमा को निश्चय ही प्रतिमानों का प्रतिनिधि माना जाता है। यही प्रतिमान आवश्यकता की कसौटी से गुजरकर लोकप्रियता के ग्राफ पर अपनी आमद दर्ज करते हैं। मूर्तियों की स्थापना एक सार्थक पहल है। उनके मौन होते ही हमने महाराज छत्रसाल की मूर्ति के लोकार्पण समारोह के विशेष संदर्भ में टटोलना शुरू किया। निर्विवाद रूप से महाराज छत्रसाल का कृतित्व और व्यक्तित्व वर्तमान समय में प्रेरणा का प्रकाश स्तम्भ है।
जुझारूपन, राष्ट्रप्रेम और समानता का भाव उनके व्यक्तित्व के प्रमुख आकर्षण हैं। उनकी 52 शार्यगाथाओं को 52 फुट की प्रतिमा के रूप में स्थापित करने का प्रयास निश्चित ही सार्थकता की दिशा में एक महात्वपूर्ण पहल है जिसे स्वीकारोक्ति ही नहीं मिलना चाहिये बल्कि अनुकरणीय आदर्श के रूप में आत्मग्राह भी होना चाहिये। क्षेत्रीय परिधि से निकलकर विस्त्रित भूभाग तक पहुंचने वाले महाराज छत्रसाल की आराध्यदेव के रूप में स्थापना होने से संबंधित प्रश्न पर उन्होंने कहा कि कृष्ण प्रणामी सम्प्रदाय ने इतिहास पुरूष से लोकदेव बन चुके बुंदेलखण्ड केसरी को आराध्यदेव के रूप में स्थापित कर दिया है।
कंकरीट से निर्मित मंदिर से लेकर मन मंदिर तक में स्थापना पा चुके महाराज छत्रसाल की आत्मिक ऊर्जा, अन्य शरीरधारियों की जीवन-प्रत्यासा को ऊर्धगामी करने लगी है। अनुभव से अनुभूतियों तक पहुंच चुके हैं महाराज छत्रसाल। चर्चा चल ही रही थी कि तभी नौकर ने एक बडी ट्रे के साथ कमरे में प्रवेश किया। वह मेज पर भोज्य सामग्री सहित चाय के प्याले सजाने लगा। बातचीत में व्यवधान उत्पन्न हुआ किन्तु तब तक हमें इस विषय पर आन्दोलन पुरूष के विचारों की बानगी मिल ही चुकी थी। सो चर्चा को विराम देकर भोज्य पदार्थों को सम्मान देने की गरज से मेज की ओर बढ गये। इस बार बस इतना ही। अगले सप्ताह एक नये मुद्दे के साथ फिर मिलेंगे। तब तक के लिए खुदा हाफिज।

Monday, February 19, 2018

बेटे की चाहत ने 83 साल का बुजुर्ग फिर बना दूल्हा, 30 साल की महिला से की शादी

जयपुर। भले ही आज के समाज में लड़कों और लड़कियों को बराबर का दर्जा दिया जाता है लेकिन आज भी देश के कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां लड़कियों की तुलना में लड़कों को ज्यादा तवज्जो दी जाती है। भ्रूण हत्या जैसी घटनाएं इसी सोच की बानगी है। ऐसी ही एक घटना राजस्थान के एक गांव से सामने आई है जहां बेटे की चाहत में 83 साल के बुजुर्ग ने खुद से 53 साल छोटी महिला की साथ शादी रचाई। केवल इतना ही नहीं, इस बुजुर्ग की शादी में उसकी बेटी और दामाद भी शामिल हुए और जमकर डांस भी किया। 
83 साल का बुजुर्ग फिर बना दूल्हा, 30 साल की महिला के लिए इमेज परिणाम
मिली जानकारी के अनुसार, राजस्थान के करौली जिले में स्थित सैमर्दा गांव में रहने वाले सुखराम बैरवा ने बेटे की चाहत में 30 साल की एक महिला से शादी की। बताया जा रहा है कि यह शादी बुजुर्ग सुखराम अपनी पहली पत्‍नी से रजामंदी लेने के बाद रचाई। शादी में पहली पत्‍नी के साथ बेटी-दामाद भी मौजूद रहे और सभी जमकर नाचे भी।
83 साल का बुजुर्ग फिर बना दूल्हा, 30 साल की महिला के लिए इमेज परिणाम
बताया जा रहा है कि सुखराम की पहली पत्नी से दो बेटी और एक बेटा कान्हू था। मगर 30 साल की उम्र में किसी बीमारी के कारण उसकी मौत हो गई थी। इस कारण वंशवृद्धि का संकट पैदा हो गया। ऐसे में बुजुर्ग ने नजदीक के राहिर गांव में रहने वाली 30 वर्षीय रमेशी के साथ शादी रचाने का फैसला किया। बताया जा रहा है कि सुखराम के पास दिल्ली में एक प्लाट और गांव में सात बीघा जमीन है।
83 साल का बुजुर्ग फिर बना दूल्हा, 30 साल की महिला के लिए इमेज परिणाम
बेटे की मौत के बाद से मानसिक रूप से बीमार चल रहे सुखराम काफी समय पहले अपने परिजनों के समक्ष बेटे की चाह में एक और शादी करने की इच्छा जताई थी। बेटे की चाहत में सुखराम बैरवा ने 30 साल की रमेशी के साथ शनिवार रात विवाह किया और रविवार को आसपास के 12 गांवों के एक हजार लोगों को दावत दी। फिलहाल उनकी पहली पत्‍नी उनके साथ ही रह रही है। बेटी, दामाद और उनके पांच बच्‍चे भी साथ रह रहे हैं।

Saturday, February 17, 2018

नीता अंबानी की ये तस्वीरें आपने आज से पहले कभी नही देखी होगी, एक बार जरुर देखें

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TIMES OF CRIME
नीता अंबानी KISS के लिए इमेज परिणाम
नमस्कार दोस्तों आपका हमारे यूसी न्यूज़ चैनल में स्वागत हैं, और हम एक बार फिर आपके लिए एक चटपटी खबर लेकर हाजिर हैं। दोस्तों अंबानी परिवार के बारे में तो हर कोई जानता हैं, अंबानी परिवार भारत का सबसे अमीर परिवार हैं। और आज हम बात करेंगे मुकेश अंबानी की पत्नी नीता अंबानी की।
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Nita Ambani AND Praful Patel
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नीता अंबानी का जन्म 1 नवम्बर 1963 को मुंबई में हुआ था। नीता अंबानी की उम्र 54 साल हो गयी हैं, लेकिन उनकी ख़ूबसूरती को देखकर कोई उनकी उम्र का अंदाज नही लगा सकते हैं।
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भज्जी और नीता अंबानी की फोटो हुई वायरल
नीता अंबानी का स्पोर्ट्स में बहुत इंटरेस्ट हैं, खास करके क्रिकेट में। दुनिया के सबसे मशहूर टी-20 लीग IPL की टीम मुंबई इंडियन्स की मालकिन भी हैं। आज हम आपको नीता अंबानी की कुछ एसी तस्वीरें देखेंगे जो आपने पहले नही देखि होगी।
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Narendra Modi with Nita and Mukesh Ambani
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Tuesday, February 13, 2018

हिन्दुस्तान का सबसे बड़ा ठग जिसने 3 बार ताजमहल, 2 बार लाल किला और 1 बार राष्ट्रपति भवन को बेच डाला

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'मैंने कभी भी लोगों को पैसों के लिए डराया-धमकाया नहीं, लोग ने तो हाथ जोड़कर खुद मुझे पैसे दिए हैं'...'आप में बुद्धि होगी तो आप सच्चाई का पता लगा लेंगे'... ये बात किसी आम इंसान ने नहीं बल्कि एक ठग ने पुलिस वालों को कही थी। एक ऐसा ठग जिसने वेश्याओं तक को नहीं छोड़ा। वो हर रोज वेश्याओं के पास जाता और उनको जहरीली शराब पिलाकर उनके पैसे और गहने लूट लेता था।

आज हम आपके सामने हिन्दुस्तान के एक ऐसे ठग की कहानी बताने जा रहे हैं जिसने 3 बार ताजमहल, 2 बार लाल किला और एक बार राष्ट्रपति भवन तक को बेच दिया था। इस संसार में इससे बड़ा ठग शायद ही किसी मुल्क में पैदा हुआ हो।
एक पढ़ा-लिखा इंसान, जिसने वकालत की पढ़ाई करने के बाद ठगी को अपना पेशा बनाया। 8 राज्यों में 100 से ज्यादा मामलों में पुलिस इस ठग को ढूंढ रही थी। 8 बार वो अलग-अलग जेलों से फरार हो चुका था। एक ऐसा ठग जिसने ठगी के लिए राजीव गांधी से लेकर राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के नाम तक का इस्तेमाल किया। मिथिलेश कुमार उर्फ मिस्टर नटवरलाल नाम था इसका। नटवरलाल एक ऐसा नाम जो ठगी का पर्यायवाची शब्द और मुहावरा बन गया। सत्तर, अस्सी और नब्बे के दशकों में एक के बाद एक कई ठगी की घटनाओं को अन्जाम देकर नटवरलाल भारत का कुख्यात ठग बन गया। कानून की नजर में नटवर की गतिविधियां भले ही अपराध हों, लेकिन वह इसे एक समाजसेवा मानता था।
अपने जीवनकाल में करोड़ों रुपए ठगने वाले नटवर का कहना था कि वह लोगों से झूठ बोलकर पैसे मांगता है और लोग उसे देते हैं, इसमें उसका क्या कसूर है। यही नहीं, नटवरलाल का दावा था कि अगर सरकार इजाजत दे तो वह ठगी के माध्यम से भारत का विदेशी कर्ज उतार सकता है। अपनी ठगबुद्धि की वजह से कई दशकों तक भारत का मोस्ट वान्टेड मैन बना रहा।नटवरलाल का वास्तविक नाम मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव था और वह पेशे से एक वकील था। उसका जन्म बिहार के सीवान जिले के जीरादेई गांव से 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गांव बंगरा में हुआ था। अब नटवरलाल यहां दन्तकथाओं में याद किया जाता है।
उसने भारत की कई ऐतिहासिक धरोहरों को बेच दिया। जी हां, यह सच है। नटवरलाल ने तीन बार ताजमहल, दो बार लाल क़िला और एक बार राष्ट्रपति भवन को बेच दिया। यही नहीं, एक बार तो उसने भारत के संसद भवन को भी बेच दिया था। नटवरलाल को वेश बदलने में महारत हासिल थी। उसने एक बार राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का फर्जी हस्ताक्षर कर ठगी की थी। नटवरलाल उसके 52 ज्ञान नामों में से एक था। कहा जाता है कि नटवरलाल ने धीरूभाई अम्बानी, टाटा और बिरला घटना के उद्योगपतियों के अलावा सरकारी अधिकारियों से भी ठगी की थी।
नटवरलाल पकड़ा गया। उसे 113 साल की सजा हुई। मोस्ट वान्टेड अपराधियों में की लिस्ट में शुमार नटवरलाल के खिलाफ 8 राज्यों में 100 से अधिक मामले दर्ज थे। वह अपने जीवनकाल में 9 बार गिरफ्तार हुआ, लेकिन प्रत्येक बार किसी न किसी तरह पुलिस की चंगुल से भाग निकला। अंतिम बार जब वह पुलिस की पकड़ से भागा, तब उसकी आयु 84 साल थी। 24 जून 1996 को उसे कानपुर जेल से एम्स (AIIMS) अस्पताल लाया जा रहा था। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर पुलिस टीम को चकमा देकर वह भाग निकला। इस घटना के बाद उसे फिर कभी देखा नहीं जा सका।
50 और 60 के दशक में नटवरलाल ने देश के बड़े-बड़े जौहरियों, साहूकारों और व्यपारियों को ठगा था। 8 राज्यों में 100 से अधिक मामलों में नटवरलाल का नाम ‘मोस्ट वांटेड’ की सूची में था। पुलिस ने 9 बार नटवरलाल को गिरफ्तार किया था, जिसमें से 8 बार वो पुलिस वालों को चकमा दे फरार हुआ थे। सिंहभूम की अदालत ने नटवरलाल को 19 साल, दरभंगा की अदालत ने 17 साल की कैद और 2 लाख का जुर्माना और पटना के एक जज ने 5 साल की सजा सुनाई थी। सिर्फ बिहार में नटवरलाल को 100 साल से ज्यादा की सजा सुनाई गई थी। अपने जीवन के 20 साल नटवरलाल ने जेल में बिताया है। 2009 में नटवरलाल के वकील ने उसके खिलाफ दर्ज 100 मामलों को हटाने की याचिका दायर की थी। उस याचिका के हिसाब से नटवरलाल की मौत 25 जुलाई 2009 को हो चुकी थी।नटवरलाल ने मरने का नाटक कर भी लोगों से ठगी की थी। वर्ष 2009 में नटवरलाल के वकील ने उसके खिलाफ दायर 100 मामलों को हटाने की याचिका दायर की थी। उसने दलील दी कि 25 जुलाई 2009 को नटवरलाल मर चुका है। लेकिन नटवरलाल के भाई का दावा है कि उसकी मौत करीब 13 साल पहले वर्ष 1996 में ही हो गई।
नटवरलाल के जीवन से प्रेरित होकर बॉलीवुड में एक फिल्म बनी, मिस्टर नटवरलाल। इस फिल्म में मुख्य भूमिका में थे अमिताभ बच्चन। अभी हाल ही में राजा नटवरलाल नामक एक फिल्म बनी है, जिसमें मुख्य भूमिका निभाई है इमरान हासमी ने।आपराधिक वारदातों को अन्जाम देने के बावजूद नटवरलाल के प्रशंसकों की संख्या कम नहीं थी। बिहार में उसके गांव के लोगों की मांग थी कि यहां नटवरलाल के नाम एक स्मारक की स्थापना की जाए। यहां लोग मानते हैं कि नटवरलाल एक भला आदमी था और लोगों की मदद करता था। नटवरलाल से प्रभावित होकर कई लोग उसके शागिर्द बने। लेकिन कोई भी उसके सरीखा नहीं हुआ।

वैलेंटाइन डे पर दिल को दिल से जोड़ने वाली शायरी

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नमस्कार दोस्तों! वैलेंटाइन डे के इस अवसर पर आपका स्वागत है। अक्सर कुछ लोग अपने मन की बात को अपने पार्टनर से नहीं कह पाते हैं, ऐसे में उनके लिए सबसे अच्छा तरीका एसएमएस या पत्र के माध्यम से अपने मन की बात को अपने पार्टनर तक पहुंचाना माना जाता है।

इसी को ध्यान में रखते हुए आज हम आपके लिए वैलेंटाइन डे पर कुछ प्यार भरी शायरियां लेकर आए हैं। अगर आपको ये शायरियां पसन्द आएं और आप भी अपने मन की बातों को अपने साथी तक पहुंचाना चाहते हैं, या उनसे प्यार का इजहार करना चाहते हैं तो ये शायरियां उनके पास जरूर भेजें।


वैलेंटाइन डे पर दिल को दिल से जोड़ने वाली शायरी
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1. न मैं तुम्हें खोना चाहता हूं,
न तेरी याद में रोना चाहता हूँ।
जब तक जिंदगी है मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगा,
बस यही बात तुमसे कहना चाहता हूँ।


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2. मेरे चेहरे की हंसी हो तुम, मेरे दिल की हर खुशी हो तुम,
मेरे होठों की मुस्कान हो तुम।
धड़कता है मेरा ये दिल जिसके लिए,
वो मेरी जान हो तुम।


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3. लफ्जों में क्या तारीफ करूं आपकी,
आप लफ्जों में कैसे समा पाओगे?
जब लोग हमारे प्यार के बारे में पूछेंगे,
मेरी आँखों में जानेमन सिर्फ तुम नजर आओगे।


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4. आपके आने से ज़िन्दगी कितनी खूबसूरत है,
दिल में बसी है जो वो आपकी ही सूरत है।
दूर जाना नही हम से कभी भूलकर भी,
हमे हर कदम पर सिर्फ आपकी ज़रूरत है।


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5. कुछ सोचु तो तेरा ही ख्याल आता है,
कुछ बोलू तो तेरा नाम आता है।
कब तक मैं छुपाऊँ अपने दिल की बात,
तेरी हर एक अदा पे हमे प्यार आता है।


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6. चेहरे पर तेरे सिर्फ मेरा ही नूर होगा,
उसके बाद फिर तू न कभी मुझसे दूर होगा।
जरा सोच के तो देख क्या ख़ुशी मिलेगी,
जिस पल तेरी मांग में मेरे नाम का सिंदूर होगा।


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7. मेरी बस एक तमन्ना थी जो हसरत बन गयी,
कभी तुमसे दोस्ती थी अब मोहब्बत बन गयी।
कुछ इस तरह शामिल हुए तुम ज़िन्दगी में की,
सिर्फ तुझे ही सोचते रहना मेरी आदत बन गयी।


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8. कब उनकी पलकों से इज़हार होगा,
दिल के किसी कोने में हमारे लिए प्यार होगा।
गुज़र रही है हर रात उनकी याद में,
कभी तो उनको भी हमारा इंतज़ार होगा।


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9. प्यार की आंच से तोह पत्थर भी पिघल जाता है,
सच्चे दिल से साथ दे तो नसीब भी बदल जाता है।
प्यार की राहों पर अगर मिल जाये सच्चा हमसफ़र,
तो प्यार वो एहसास है जिससे हर इंसान संभल जाता है।


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10. आप खुद नहीं जानती आप कितनी प्यारी हो,
जान हो हमारी पर जान से प्यारी हो।
दूरियों के होने से कोई फ़र्क नहीं पड़ता।
आप कल भी हमारी थी और आज भी हमारी हो।

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