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Wednesday, April 28, 2010

धोखाधड़ी रैकेट के शिकार गरीब अनपढ़ दैनिक कर्मी पहुंचे जेल


ब्यूरो प्रमुख उ. प्र.// सूर्य नारायण शुक्ल- (इलाहाबाद // टाइम्स ऑफ क्राइम)
ब्यूरो प्रमुख उ. प्र. से सम्पर्क 99362 29401
1. एक करोड़ 62 लाख 50 हजार इण्डियन ओवरसीज बैंक शाखा मनौरी से हेराफेरी करने का मामला।
2. बैंक के दलाल बिचौलियों को सी.बी.आई द्वारा प्राथमिकी की चार्जशीट सके निकालना बना चर्चा का विषय
किसी ने सच ही कहा है कि देव भी दुर्बल का घातक होता है। ऐसा ही एक वाकिया इलाहाबाद में कुछ गरीबों के साथ की गई धोखाधड़ी और करोड़ों का बैंक घोटाला प्रकरण में देखने को मिला। विश्वस्त सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इलाहाबाद नगर में कार्यरत लगभग तीन दर्जन चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी जो विभिन्न विभागों में कार्यरत हैं दलालों के चक्कर में पड़कर हाउस लोन के लिए धोखेबाजों के जाल में फंस गये और बिचौलियों ने जो सफेदपोश भी हैं बैंक की मिली भगत से बारोबारों का हस्ताक्षर चित्र पेपर्स पर व चेक बुकों पर करा कर पांच-पांच का लोन मंजूर कराकर कुल एक करोड़ 62 लाख पंचास हजार रूपया इंडियन ओवर सीज बैंक शाखा मनौरी इलाहाबाद से ड्रा कर लिया गया। बारोबरों को दलालों ने यह तसल्ली दी थी कि आप लोग।
चिन्ता मत करिये मकानों की चाबी शीघ्र आप लोगों को थमा दी जायेगी दलालों ने भूमि व मकानों का बैनामा मात्र कागजी ही कराया। वर्ष 2007 में उक्त बैंक की इतनी लम्बी रकम एक सप्ताह के ही अन्दर बैंक में बारोबरों के नाम दलालों बिचौलियों द्वारा निकाल लिये जाने, बारोबारों को इसकी भनक तक न मिलने एवं नोटिस पर बारोबरों द्वारा गंभीरता से ध्यान न देने से बैंक की क्षति को देखते हुए इंडियन ओवर पैरवी की व सी.डी.आई. जांच कराने की पैरवी की व सी.बी.आई. थाना दिल्ली में बैंक मैनेजर अब्दुल सलमान सहित बारोबरों के विरूद्ध मु.अ. संख्या आर.सी. 072 2008 (ई) 001 सी.बी.आई. बनाम आर.डी. सक्सेना आदि सहित धारा 120 बी, 420, 468, 471, आई पीसी व धारा 13 (2) सपठित 13 (1) (डी) भ्रष्टाचार नि.अ. 1988 में केस दर्ज कराया। 26 मार्च 2010 को सभी अभियुक्तों को सी.बी.आई. जैसी सर्वेच्च जांच एजेंसी ने चार्जशीट में विवेचना के दौरान बिचौलियों से चिटिंग करने वालों को निकला दिया जो चर्चा का विषय बना रहा। तीन दर्जन से अधिक तथा कथित बारोबार में से एक दर्जन कथित आरोपियों ने कोर्ट में उच्च न्यायालय से सेमडे डिस्पोजल का डायरेक्शन मिलने के बावजूद जमानत प्रार्थनापत्र को सी.बी.आई. के विशेष जज लखनऊ ने खारिज कर न्यायिक हिरासत में लखनऊ जेल भेज दिया। मजेदार बात यह है कि इंडियन ओवरसीज बैंक मनौरी इलाहाबाद से करोड़ों का धोखाधड़ी कर गरीबों-दैनिक वेतन भोगी कर्मियों को फसाकर मालामाल हुए बिचौलिएसपा नेता सलमान खान हाल मुकाम करेली इलाहाबाद आदि ने बारोबरो को न तो पैसा दिलवाया, न तो भूमि और मकान ही दिया जिससे उन गरीबों के परिवार जिन्हें लोन के बजाय जेल मिली इनकी बद्दुआएँ कहां जायेंगी? चर्चा है कि उक्त सपा नेता ने कुछ माहपूर्व विधायक अबू हाशमी बम्बई, सपा नेता रहे अमर सिंह आदि को इलाहाबाद अपने आवास पर भी उच्च नेताओं को आमंत्रित किया था। शहरों में पोस्टर बैनर लगे। इन गरीबों के साथ धोखाधड़ी करने वाले सपा नेता की शिकायत इलाहाबाद सांसद से लेकर उच्च सपा नेताओं को सूचित करा दी गयी है। पता चलता है कि उक्ता नेता का इसी तरह का धंधा ही है। जिस खामियाजा उक्त सपा नेता से चिपकने वालों को जरूर ही मिलता रहता है। लेकिन प्रतिदिन कमाने खाने वाले परिवार जेल से लेकर बाहर तक कष्ट झेलते रहे हैं। आखिर इनकी फरियाद कौन सुनेगा। सी.बी.आई. जज जमानत भी देने से कतरा गये लेकिन केस में मुख्य आरोपी के विरूद्ध सी.बी.आई द्वारा निर्दोष कर्मियों की याचनायें नसुना जाना तो चर्चा का विषय बन ही गया है। उधर सपा के मुखिया ऐसे नेता के व्यवहार पर क्या कदम उठाते हैं। समय बतायेगा लेकिन गरीबों कर्मियों को धोखाधड़ी करने वाले सफेद पोशों बिचौलियों के विरूद्ध शायद बसपा के नेता मुख्यमंत्री मायावती तक यह प्रकरण पेश कराकर दोषियों को सबक सिखाने का प्रयास जारी है और सक्षम न्यायालयों में न्याय हेतु बारोंबरों का रोना है कि जिन बिचौलियों ने अपने ही रैकेट के लोगों की जमीनों-मकानों का बैनामा कराया है वह जमीन या मकान भी तो मिलना चाहिये? बताया जाता है कि उक्त धोखाधड़ी के रैकेट ने गरीब सीधे सधे लोगों को जिनमें ज्यादातर अनुसूचित जाति जनजाति के लोग भी है, जिनकी हैसियत माली हालत को रैकेट के लोगों ने फर्जी ढंग से अधिक दर्शाकर पांच लाख तक के लोन प्राप्त करने की हैशियत प्रमाण पत्र बैंक में लगाकर चिटिंग किया है। फिलहाल सी. बी. आई. न्यायालय में रैकेट का शिकार बने गरीब अनपढ़ कर्मियों की पैरवी कर रहे अधिवक्ता ने यह बात जरूर रखी कि देश की सर्वोच्च निष्पक्ष मानी जाने वाली स्वतंत्र जाँच एजेंसी सी.बी.आई. ने चिटिंग रैकेट के बिचौलियों को जो मुख्य मुल्जिम प्राथमिकी में बनाया था उक्त रैकेट के लोगों ने जो करोड़ों की हेराफेरी की उन्हें चार्जशीट से ही निकाल दिया गया। जो संदेह के अलावा चर्चा का विषय है। उक्त रैकेट ने इसी तरह के और भी बैंक शाखाओं से करनामें किये जाने की नगर में चर्चा है जिसका एक न एक दिन रहस्योद्घाटन पुन: होगा। जिसमें फिर अनजान सीधे-साधे लोग दर-दर न्याय हेतु दरवाजा खटखटायेंगे। भुक्त भोगियों ने यह भी बताया कि उक्त रैकेट का विरोध करने वालों को जान का भी खतरा हैं क्योंकि वे सलामत रहें गरीब सलामत न रहे, झेल रहे इस 'आहÓ 'हाय गरीबों कहर खुदायÓ के सिवा क्या कहा जा सकता है। करोड़ों रूपया जिन बारोबरों ने पाया ही नहीं वे अदा कहां से करेंगे? इतनी हैसियत भी उन गरीबों की नहीं है। इसे केन्द्र और प्रदेश सरकार सी.बी.आई. बैंक व जन प्रतिनिधियों को सोचना पड़ेगा। पुन: न्यायिक जांच कराकर रैकेट का भंडाफोड़ कर दोषियों से रिकवरी व उन्हें ही सजा दिये जाने पर निष्पक्ष न्याय मिल सकेगा फिलहाल लखनऊ उच्च न्यायालय 15 अप्रैल 2010 को दर्जनों तथाकथित आरोपियों को पचास हजार के जमानत बॉड जमानत कर दी है।

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