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Wednesday, April 21, 2010

सरगुजा विश्वविद्यालय की मान्यता का पता नहीं, और परीक्षा की तैयारी

ब्यूरो प्रमुख // राजेन्द्र कुमार जैन (अम्बिकापुर // टाइम्स ऑफ क्राइम)
ब्युरो प्रमुख राजेन्द्र जैन से सम्पर्क 94060 89656
अम्बिकापुर . अम्बिकापुर एक वर्ष पूर्व अस्तित्व में आए सरगुजा विश्वविद्यालय ने सरगुजा संभाग के समस्त महाविद्यालयों की परीक्षा लेने की तैयारी शुरू कर दी है, इसके लिए परीक्षा फार्म भरे जा चुके है। लेकिन उच्च शिक्षा की नियामक संस्था यूजीसी ने अब तक सरगुजा विश्विद्यालय को विधिवत मान्यता नहीं दी है। ऐसे में विद्यार्थियों को मिलने वाली डिग्री की वैधता पर सवाल खड़े हो गए है। इसके चलते हजारों विद्यार्थियों का भविष्य दांव पर लग सकता है। मान्यता को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन की अकर्मण्यता का खामियाजा विद्यार्थियों को भुगतना पड़ सकता है गौरतलब है कि सरगुजा विश्वविद्यालय की योजना संबंधी अधिसूचना एक वर्ष पूर्व सितंबर माह में जारी में जारी हुई थी। इसके एक माह बाद नए कुलपति ने पदभार ग्रहण कर लिया कुलपति और कुलसचिव की नियुक्ति के बाद उनकी तनख्वाह पर सरकार द्वारा मोटी रकम खर्च करने के बावजूद विश्वविद्यालय की मान्यता अब तक नहीं जुटाई जा सकी है। महज कागजी औपचारिकताओं की खानापूर्ति का यह अदना सा कार्य पूरा नहीं हो सका। इस बीच विश्वविद्यालय प्रबंधन ने न सिर्फ सरगुजा संभाग के शासकीय, अशासकीय महाविद्यालय को अपने से संबद्ध कर लिया बल्कि इसी वर्ष से ही सभी परीक्षाएं लेने का ऐलान कर दिया जबकि इसके पूर्व ये सभी महाविद्यालय गुरू घासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से सबंद्ध थे। संविदा कर्मचारियों के भरोसे चह रहे इस विश्वविद्यालय के पास परीक्षा आयोजन के लिए न तो गोपनीयत विभाग के लिए न तो गोपनीयता बनाए रखने स्वयं का प्रिटिंग प्रेस विश्वविद्यालय के पास कुलपति कुलसचिव रेगुलर स्टॉफ के तौर पर उपलब्ध है ऐसे में लगभग डेढ़ सौ से ज्यादा प्रश्नपत्रों की परीक्षा आयोजित कर समय से नतीजे घोषित करना आसान नहीं होगा। दिलचस्प बात यह है कि नए विश्वविद्यालय ने वार्षिक परीक्षा आयोजन में इतनी हड़बड़ी दिखाई कि प्रथम से लेकर अंतिम वर्ष तक सभी कक्षाओं में प्रवेश फार्म भरवाए जा रहे है। जबकि कायदे से इस नए विवि को परीक्षाओं का आयोजन क्रमश: प्रथम वर्ष से शुरू कर साल दर साल बढ़ाना था। विद्यार्थियों की तकनीकी उलझनों का सामना करना पड़ेगा इसमें संदेह नहीं है इस स्थिति को देखते हुए नए विवि से संबद्ध निजी महाविद्यालय संचालक असमंजस में है।

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