सूचना के अधिकार के तहत जानकारी पाना आसान नहीं
ममता अरोरा/राधेश्याम अग्रवाल
भोपाल 15 अप्रैल 2010. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नौकरशाह किस हद में अपनी सेवाओं को जनता के प्रति करते हैं ऐसा वाक्या राज्य मंत्रालय में पदस्थ प्रमुख सचिव सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारी ने अपीलीय लोकसूचना अधिकारी की कुर्सी का महत्व बताते हुये आवेदनकर्ता को खरी-खोटी सुनाकर निर्णय के बारे में यह कहकर टाल दिया कि में इसका निर्णय बाद में करूंगा। जनसंवेदना के अध्यक्ष ने लोकसूचना अधिकारी (सामान्य प्रशासन) से प्रदेश के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी ने टम्म्ळन् जानकारी देने को कहते हुये विदेश यात्रा पर गये भारतीय प्रशासनिक अधिकारियों की विस्तृत जानकारी देने से इन्कार कर दिया। अपीलीय अधिकारी सुदेश कुमार के यहां आज 15 अप्रैल को इस मामले की सुनवाई थी।
अपीलीय अधिकारी सुदेश कुमार ने आध्यात्मिक भाषण देना शुरू करते हुये कहा आवेदनकर्ता से कहा कि हिम्मत हो तो उस अधिकारी का नाम लेकर क्यों नहीं जानकारी लेते हुये। वह यह भी कहने लगे कि ईश्वर दोनों लोगों को देखता है जिसका आप बुरा करने का सोच रहे हो, उसके साथ भी परमात्मा होगा। ईश्वर ने आवेदनकर्ता को सहन शक्ति प्रदान की, चूंकि उसने इस भाषण पर अपनी प्रतिक्रिया में यही कहा कि पारदर्शिता सब चीजों की होनी चाहिये।
यह आध्यात्मिक संबोधन के समय लोकसूचना अधिकारी श्री पगारे भी मौजूद थे । इसी दौरान कुछ अधिकारियों का एक समूह आकर बैठ गया तो उनके सामने भी भाषण देते रहे। ईश्वर से प्रार्थना है कि प्रमुख सचिव सुदेश कुमार जैसे और अधिकारी पैदा करें जो कि लोगों को चलना सिखाने का पाठ पढाएं। फिलहाल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को ”पुरूषोत्तम मास“ में कई कठिनाईयों के दौर से गुजरना पड़ेगा। इस तरह की भविष्यवाणियां मृतक आत्माओं के मिलन के कारण कई बार की जा चुकी है।
No comments:
Post a Comment