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Thursday, June 10, 2010

सरगुजा जिला चिकित्सालय भगवान भरोसे

ब्यूरो प्रमुख // राजेन्द्र कुमार जैन (अम्बिकापुर //टाइम्स ऑफ क्राइम) ब्यूरों प्रमुख राजेन्द्र जैन से सम्पर्क : 98265 40182
ग्रामीण तथा गरीब व्यक्ति ही जिला चिकित्सालय में इलाज कराने जाते हैं, जहां पर डॉक्टरों एवं कर्मचारियों का व्यवहार ठीक नहीं रहता है। डॉक्टर सिर्फ पर्ची लिखने का ही काम कर रहे हैं तथा मरीजों को अपने घरों में चल रहे प्राइवेट क्लीनिक में संपर्क करने के लिए कहते हैं, क्योंकि अस्पताल में मरीजों से फीस नहीं ले सकते इसलिए घर बुलाकर मरीजों से कई प्रकार की जांच के नाम पर सैकड़ों रूपये वसूले जाते हैं। अस्पताल में कार्यरत कर्मचारियों एवं नर्सें भी कर्मचारी नेतागिरी में व्यस्त रहते हैं। मरीजों के परिजनों से कर्मचारियों द्वारा दुव्र्यवहार किया जाता है। अस्पताल परिसर में पानी की गंभीर समस्या हे, हैण्डपम्प बार-बार बिगड़ते रहते हैं। रात्रि में असामाजिक तत्व अस्पताल में घूमते रहते हैं, अस्पताल बिल्डिंग की छत से हमेशा गंदा पानी नीचे गिरता रहता है। गत प्रवास के समय मुख्यमंत्री द्वारा अस्पताल निरीक्षण के दौरान अस्पताल की अव्यवस्था को देखकर काफी नाराज हुए थे तथा व्यवस्था में सुधार हेतु संबंधित अधिकारियों को निर्देश भी दिए थे। अस्पताल में दवाइयों का हमेशा अभाव रहता है। अस्पताल के सामने स्थित दवाई दुकानें भी रात्रि में बंद हो जाती हैं, जिससे गंभीर अवस्था में लाए मरीजों के इलाज की दवाइयों के लिए भारी परेशानी हो जाती है। रेडक्रांस सोसायटी की दवा दुकान भी मरीजों की मददगार साबित न होने के कारण असफल रही। दवाइयों को ब्लैक में खरीदने व बेचने का कार्य निरंतर जारी है। जिला चिकित्सालय में पदस्थ अधिकांश डॉक्टर तथा कर्मचारी स्थानीय हैं। सभी डॉक्टर अपने-अपने घरों में प्राइवेट रूप से क्लीनिक चला रहे हैं, इसलिए अस्पताल में मरीजों का इलाज करने में उन्हें कोई रूचि नहीं है। डॉक्टरों का पैथालॉजी लैब, एक्स-रे क्लीनिक, सोनोग्राफी क्लीनिक वालों से कमीशन तय रहता है तथा हर डॉक्टर मरीजों को अनिवार्य रूप से पैथालॉजी टेस्ट, एक्स-रे तथा सोनोग्राफी कराने के लिए विशेष दुकान से ही कराने का निर्देश मरीजों को देता है। आजकल तो दवाई दुकानदार भी डॉक्टरों को मरीजों को मरीजों की दवाई के लिए भेजने हेतु लैटर पेड, आकर्षक उपहार देते हैं ताकि डॉक्टर उन्हीं के नाम वाले लैटर पेड पर दवाई लिखें ताकि मरीज इन्हीं इन्हीं की दुकान से दवाई खरीदें। जिला अस्पताल की व्यवस्था में सुधार हेतु जिला प्रशासन से उपेक्षा है कि राजनैतिक संरक्षण प्राप्त स्थानीय चिकित्सकों के स्थानांतरण से समस्या का काफी हद तक समाधान हो सकता है। बाहर से आए चिकित्सक अस्पताल में ही मरीजों का इलाज करने में रूचि लेगे तथा मरीजों को राहत मिलेगी।

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