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Wednesday, July 14, 2010

घटिया खाद्य पदार्थों की बिक्री से फैल रही बीमारियां

जिला कारागार में चल रहा रूपये का खेल1। बन्दियों को मिलती है सहूलियत। 2. आये दिन कैदियों के बीच होती है मारपीट।
ब्यूरो प्रमुख उ. प्र.// सूर्य नारायण शुक्ल (इलाहाबाद //टाइम्स ऑफ क्राइम)
ब्यूरो प्रमुख उ. प्र. से सम्पर्क 99362 29401
प्रतापगढ़ बेलहा की जेल हमेशा सुर्खियों में रहती है हो भी क्यों न यहा कुख्यात शूटरों को जो डेरा जमा रहता है इसके अलावा जेल में बन्दियों को हर सुविधा मिल जाती है। लेकिन उसके लिए उन लोगों को पैसा खर्च करना पड़ता है। इतना ही नहीं बन्दियों के बीच मारपीट के कारण आए दिन बवाल भी मचा रहता है। जिला कारागार में जारी बवाल रूकने का नाम नहीं ले रहा है। हालांकि जेल प्रशासन इस मामले में मुंह खोलने को राजी नहीं है। गौरतलब है कि बेलहा का कारागार हमेशा सुर्खियों में रहता है। चाहे वह आपस में बन्दी रक्षकों के बीच मारपीट का हो या फिर बन्दियों की मौत का इसके अलाव जेल में निरूद्ध अपराधियों के दबंई के आगे हमेशा जेल प्रशासन को ही झूकना पड़ता है। जिला कारागार में अधिकारियों के निरीक्षण के दौरान जहां सब कुछ ठीक-ठाक मिला है वहीं उनके निकलते ही सब कुछ गड़बड़ हो जाती है। अभी कुछ दिन पहले फतनपुर इलाके के एक बन्दी की जेल प्रशासन की लापरवाही के चलते मौत हो गयी थी। जिसके लिए घरवालों ने जेल प्रशासन को दोषी ठहराया है। वहीं जेल प्रशासन अपना दामन बचाने के लिए बन्दी को अन्तिम समय से उपचार के लिए जिला अस्पताल लाकर भर्ती करा दिया। बन्दी के मौत के तीन दिन बाद ही जिला कारागार में निरूद्ध अनिरूद्ध पटेल पर कातिलाना हमला हुआ। उसके उपर हमला किसने किया यह जेल प्रशासन को भी नहीं पता। अस्पताल में भर्ती अनिरूद्ध दर्द से परेशान है लेकिन जेलर की तरफ से पुलिस को दी गयी तहरीर में घटना को छिपाने के लिए सब कुछ किया गया है। पुलिस ने तहरीर के मुताबिक एनसीआर दर्ज किया है। अभी यह माला चर्चा का विषय ही बना था कि कुछ दिन पहले बैरेक नम्बर सात के दबंक बन्दियों ने मिलकर एक बन्दी को काम न करने के मामले को लेकर मारपीट किया जिससे उसे चोंटे आयी लेकिन इस मामले में जेल प्रशासन सीधे तौर पर इंकार कर रहा है। वहीं बन्दियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जेल में खुलेआम सुविधा शुल्क की बयार चल रही है जो बन्दी पैसा देते हैं उनके साथ रियायत बरती जाती है। और जो नहीं दे पाते उनका तरह-तरह से उत्पीडऩे किया जाता है, इसलिए जेल प्रशासन किसी भी दबंग बन्दी के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर पाता। जब कि जेल में छोटा राजन गिरोह के शूटर खान मुबारक को खुली छुट मिली थी वहीं जौनपुर के बदमाश करिया सिंह को भी तमाम सुविधायें मिल रही है। इससे इधर उन बन्दियों पर सबसे अधिक कहर ढाया जाता है। जिनकी जेब में ढेला नहीं होता यहां तक कि उनसे जेल का अधिकांश काम कराया जाता है और सबसे अधिक परेशानी उन लोगों को ही उठाना पड़ती है इसके अलावा जेल में तैनात बन्दी रक्षकों की जब तक जेब नहीं भर जाती वे लोग अपनी मर्जी से बन्दियों के साथ जोर जुल्म कराते हैं जेल में चल रहे खेल से आज भी गरीबों को ही परेशानी का दंश झेलना पड़ रहा है।

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