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Thursday, August 26, 2010

अम्बिकापुर की आखिर कब सुधरेगी संचार व्यवस्था

बीएसएनएल की सेवा लेने वाले आम उपभोक्ता ठगा रहे
ब्यूरो प्रमुख // राजेन्द्र कुमार जैन (अम्बिकापुर //टाइम्स ऑफ क्राइम)
ब्यूरों प्रमुख से सम्पर्क : 98265 40182
प्रतिस्पर्धा के इस दौर में जहां निजी संचार सेवा देने वाली कंपनियों एक दूसरे से बेहतर सुविधा आम लोगों को उपलब्ध कराने के लिए दिन-दूनी मेहनत कर रहे हैं। ठीक इसके विपरीत बीएसएनएल की सेवा लेने वाले आम उपभोक्ताओं को इस संचार निगम का सही ढंग से लाभ नहीं मिल रहा है और आए दिन वे इसकी लचर व्यवस्था का दंश झेल रहे हैं। जिले में बीएसएनएल की संचार व्यवस्था इस कदर लचर है कि इसकी सेवा लेने वाले ग्राहक रोज परेशानी के दौर से गुजरते हुए उस दिन को याद करता है जिस दिन उसने बीएसएनएल का सेवा ली थी। माह में अधिकांश दिन बीएसएनएल सेवा ठप रहती है। जिसका खमियाजा यहां के शासकीय व निजी संस्थानों में कार्य करने वाले कर्मचारियों को भुगतना पड़ता है। सिलसिलेवार विभागीय अव्यवस्था के दौर में किसी भी दिन बीएसएनएल की इंटरनेट सेवा पूरी तरह ठप हो जाती है। वहीं, संबंधित कर्मचारी कभी अवकाश का दिन होने की बात कहते हुए अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते नजर आते हैं तो कभी किसी और बहाने से सफाई देते नजर आते हैं। अधिकतर उनका कहना होता है कि नेटवर्किंग की समस्या है कुछ देर बाद नेट स्वमेव ही ठीक हो जाएगा। कई बार तो अधिकारी और कर्मचारी फोन भी रिसीव करना भी मुनासिब नहीं समझा और घंटो तक पूरी तरह से बीएसएनएल की सेवा लोगों को रूलाती रहती है। आंकड़ों की बात मानें तो बीएसएनएल के शहर में 4 सौ से अधिक इंटरनेट यूजर मौजूद हैं। जो कि दूसरे संचार कंपनियों की तुलना में अधिक है। बावजूद इसके विभागीय कर्मचारी आए दिन इसकी व्यवस्था को ठप कर देते हैं और उसे सुधारने का नाम नहीं लेते। व्यापारियों व निजी कंपनियों े कर्मचारियों की बात पर गौर किया जाए तो उनका कहना है कि बीएसएनएल की सुविधा लेने के बजाए कुछ अधिक राशि जमा कर निजी कंपनियों की सुविधा लेना बेहतर है क्योंकि पैसे जमा करने के बाद भी बीएसएनएल वह सुविधा उपलब्ध नहीं करा पा रही है जो आज के कंप्यूटर युग में हर संस्था को जरूरत है। कार्यालयों के अधिकांश काम अब इंटरनेट के जरिए ही पूरे होने लगे हैं। इस स्थिति में अगर इंटरनेट सेवा ठप हो जाए तो कार्यालय का काम-काज पूरी तरह से अटक जाता है। इसका असर पड़ता है पूरे दिन भर के क्रिया कलाप पर। कर्मचारी को जहां इंटरनेट चालू होने के लिए सर्वर का इंतजार करना पड़ता है वहीं, उगााधिकारियों की लताड़ भी सुननी पड़ती है। ऐसे स्थिति में वे मानसिक टेंशन के दौर से गुजरने को मजूबर होते हैं। सप्ताह में ऐसा कोई भी दिन नहीं जाता जब बीएसएनएल की सेवा 24 घंटे तक ओके रही हो। ऐसे स्थिति में लोग अब बीएसएनएल कनेक्शन को हटा कर रिप्लेसमेंट में अन्य निजी कंपनियों को नेट सेवा लेने की तैयारी कर रहे हैं।

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