Pages

click new

Wednesday, October 20, 2010

वर्षों से पदस्थ डाक्टर बने सेवा के सौदागर

ब्यूरो प्रमुख// डा. मकबूल खान (छतरपुर// टाइम्स ऑफ क्राइम) ब्यूरो प्रमुख से सम्पर्क 99260 03805
नौगांव। बुंदेलखंड के नौगांव में अकेला टीबी अस्पताल जहां छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ़, महोबा, बांधा के अलावा आसपास क्षेत्रों से लोग इलाज क राने आते है। वर्षों से टीबी अस्पताल में जमे डॉक्टरों का रूख मरीजों के प्रति जो रहता है वह देखने लायक होता है यहां मरीजों से डॉक्टर दुलार करके बीमारी नहीं पूछते बल्कि उनके साथ अभद्रता पूर्ण रवैए से पेश आते है। यही हाल सिविल अस्पताल का है जहां हमेशा ही एक से बढ़कर एक कारनामों को डॉक्टर अंजाम देते आ रहे है। अलबत्ता डाक्टर और मरीजों के बीच दिन-प्रतिदिन खाई बनती जा रही है। कहने क ो डॉक्टरी डॉक्टरों का पेशा नहीं बल्कि मरीजो की सेवा करने का दायित्व होता है लेकिन टीबी अस्पातला हो या सामुदाय स्वास्थ केंद्र दोनों की जगह वर्षों से जमे डाक्टर है जहां मरीजों का इलाज तो होता है लेकिन उनके साथ रूपयों की लूट-खसोट भी कम नहीं हाती है। अस्पताल में पदस्थ डॉक्टर मरीजों को अपने घर पर फीस लेकर देखना ज्यादा पसंद करते है। सभी डॉक्टर अपनी ड्यूटी भंजाने और उपस्थिति रजिस्ट्रर पर दस्खत करने ही आते है। यदि कोई मरीज भूला-बिसरा अस्पातल में डॉक्टर के पास पहुंच भी जाता है तो उसे अपने घर का पता देकर समय दिया जाता है। टीबी अस्पातल हो या सिविल अस्पताल दोनों जगह के पदस्थ डॉक्टर अमूमन एक जैसा ही सोचते है और अपने घर पर मरीजों को फीस लेकर देखना उचित समझते है। कई डॉक्टर तो ऐसे जो अपनी परिवार के साथ रहते है दिन हो या रात नामचीन डॉक्टरों के दिन में ही नहीं बल्कि रात में भी मरीजों का तांता लगा रहता है।
- पहले सुविधा शुल्क फिर दवाएं -
मनोज बाल्मिीक ने बताया कि उसकी मां की तबीयत अचानक खराब हो गई थी और पर्चे बनावाने के लिए रूपए नहीं थे तो अस्पताल में उसकी मां को देखने से मना कर दिया गया था। पास खड़े पार्षद पियूष शिवहरे ने पर्चे के रूपए दिए जब कहीं डॉक्टरों ने देखा। बड़ी मन्नतों के बाद डॉक्टर ने मुफ्त में दवाओं को अस्पताल से लेने के लिए कहा लेकिन स्टोर रूप में तैनात कर्मचारी ने सुविधा शुल्क मांगा। भर्राशाही के चलते अस्पातल में मरीजों के चलते हमेशा ही लूट खसोट होती रहती है और कर्मचारियों की शिकायत करने पर भी उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो पाती है जिसके कारण उनके हौसले बुलंद है।
- प्राइवेट कम्पाउंडर लगा रहे इंजेक्शन -
टीबी अस्पताल हो या सिविल दोनो जगह के ही डॉक्टर अनुभव विहीन कम्पाडंरों को मलहम-पट्टी और मरीजों को इंजेक्शन लगवाने के लिए वाहमी तौर पर रखे हुए है। यही कम्पाउंडर डॉक्टरों के लिए दलाली का काम भी करते है समय-समय पर मरीजों के परिजनों कमीशन वाले मेडिकल से दवाएं खरीदने के लिए पे्ररित करते है। कई बार देखा गया है कि डॉक्टर के घर से ही मरीजों के परिजनों को लैब और मेडिकल तक छोडऩे के लिए दलाल भी सेट रहते है जिनको उचित डॉक्टर तनख्याह भी देते है। बीमार मरीजों को यही प्राइवेट दलाल ही इंजेक्शन लगाते है।
- शिकायत पर कार्रवाई करने को तैयार-
किसी मरीज को अनुभवहीन व्यक्ति इंजेक्शन लगा रहा है तो इसकी शिकायत करवाओ में कार्रवाई जरूर करू गां और रहा सवाल डाक्टरों द्वारा मरीजों के घर देखने का तो जहां मरीज पहंंचेगे वहीं डॉक्टर देखेगा।
- जे एस गोगिया, सीएमएचओ, जिला छतरपुर

No comments:

Post a Comment