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Wednesday, December 8, 2010

विवाह महूर्त आते ही भारी पड़ रही है मंहगाई डायन की मार

गरीब तबका हैरान परेशान मैरिज हॉल से लेकर दूल्हे की शेरवानी तक में मची है लूटमार

सिटी चीफ // आनंद कुमार नेमा (नरसिंहपुर // टाइम्स ऑफ क्राइम)

प्रतिनिधि से सम्पर्क 94246 44258

अभी ठंड के मौसम ने अपना रुतबा ठीक तरह से दिखाया नहीं किंतु शादी-विवाह की बात की जाये तो 22 नवम्बर से विवाह की शुरुआत हो चुकी है। जो युवा विवाह की आयु सीमा को पार कर गये है उनके मन में अपनी जीवनसाथी को लेकर अजीब-अजीब तरह ख्याल पैदा हो रहे हैं और उनका दिल मचल रहा है। आलम यह है कि, रोजाना सड़क से 4-6 बारातें अवश्य ही निकलती देखी जा सकती हैं। इस सगुन के अवसर पर नगरों में प्रतिदिन मदमस्त सा माहौल बना रहता है। मगर जिन बंधुओं को इस शुभ घड़ी को रंगीन बनाने की संपूर्ण जबावदारी होती है। वे बाजार की मंहगाई रूपी आग की लपटों को लेकर चिंतित है। ज्ञातव्य है कि पहले पेट्रोल, डीजल, बिजली की दरों में लगातार बढ़ोत्तरी होने से इसका प्रभाव शादी-विवाह, पार्टी, समारोहों पर भी निश्चित रूप पड़ा।
प्रथम पृष्ठï का शेष....शादी-विवाह का खर्च करीब दो से तीन गुना आगे निकलने से सामान्य लोगों का आर्थिक प्रबंध डगमगाने लगा। बाजार में झकझकाती दुकान को लगा कर बैठे छोटे-बड़े व्यापारियों ने बताया कि, अंधाधुंध बढ़ती मंहगाई आम जनता की खुषियों को कम कर रही है। मैरिज हॉल, गार्डन, होटल तो मंहगे पहले से ही हैं, इसके अतिरिक्त दूल्हे के सूट से लेकर दुल्हन की ज्वेलरी, मेकअप की सामग्रियों तो आसमान को छू रही हैं। ऐसे जिन घरों में विवाह की शुभ घड़ी का आगमन हुआ है उन्हें बड़े ही सूझ-बूझ से व्यय करना होगा। किंतु नगरों में बहुत शादियाँ हो रही हैं। और आनंदित पलों में मंहगाई डायन के भाँति पैर पसारकर मध्यम और निम्न वर्ग के लोगों लोगों के सम्मुख एक चुनौती बनकर आ डटी है। चप्रतिनिधि से सम्पर्क 94246 44258शादी-विवाह का खर्च करीब दो से तीन गुना आगे निकलने से सामान्य लोगों का आर्थिक प्रबंध डगमगाने लगा। बाजार में झकझकाती दुकान को लगा कर बैठे छोटे-बड़े व्यापारियों ने बताया कि, अंधाधुंध बढ़ती मंहगाई आम जनता की खुशियों को कम कर रही है। मैरिज हॉल, गार्डन, होटल तो मंहगे पहले से ही हैं, इसके अतिरिक्त दूल्हे के सूट से लेकर दुल्हन की ज्वेलरी, मेकअप की सामग्रियों तो आसमान को छू रही हैं। ऐसे जिन घरों में विवाह की शुभ घड़ी का आगमन हुआ है उन्हें बड़े ही सूझ-बूझ से व्यय करना होगा। किंतु नगरों में बहुत शादियाँ हो रही हैं। और आनंदित पलों में मंहगाई डायन के भाँति पैर पसारकर मध्यम और निम्न वर्ग के लोगों लोगों के सम्मुख एक चुनौती बनकर आ डटी है।

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