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Wednesday, January 19, 2011

शिवराज सरकार को आदिवासियों के मान सम्मान का कितना ख्याल है...?

बैतूल // रामकिशोर पंवार (टाइम्स ऑफ क्राइम)
toc news internet channel (टाइम्स ऑफ क्राइम)

एक ओर मध्यप्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह आदिवासी के मान सम्मान के लिए टंटया भील के परिवार के पास जाकर उसके त्याग और बलिदान का यशगान करके स्वंय को आदिवासी समाज का सच्चा हितैषी बताते है वहीं दुसरी ओर प्रदेश सरकार के अधिकारी आदिवासी समाज का अपमान करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। कितनी शर्मसार घटना है कि बैतूल जिले में बीते साल के आखरी सप्ताह में सत्ता पक्ष एवं व पक्ष के एक नहीं बल्कि दो आदिवासी समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले आदिवासी विधायको को एक अपमानित किये जाने की घटना घटित हुई। नेशनल हाइवे 69 पर आयोजित देश के पहले बहुउददेशीय आर टी ओ बेरियर के सरकारी कार्यक्रम के आमंत्रण कार्ड में दोनो आदिवासी समाज के नेता एवं विधायको में भाजपा की श्रीमति गीता रामजी लाल उइके घोडाडोंगरी विधानसभा क्षेत्र एवं कांग्रेस के धरमू सिंह सिरसाम भैसदेही विधानसभा क्षेत्र का नाम न छाप कर उन्हे अपमानित करने का घृणित कृत्य किया गया। अभी इस शर्मनाक प्रकरण की स्याही सुख भी नहीं पाई थी कि साल के प्रथम सप्ताह में जिले के जन सम्पर्क अधिकारी गुलाबसिंह मर्सकोले को जिला कलैक्टर बैतूल द्वारा कथित एवं व्यथित कर देने वाले अपशब्दो का प्रयोग करके उसे अपमानित करने का निदंनीय कार्य किया गया । इस साल के प्रथम मंगलवाल को जिला कलैक्टर कार्यालय परिसर में आयोजित जिला स्तरीय जनसुनवाई में जिला कलैक्टर बैतूल विजय आनंद कुरूील ने अपनी दंबगता दिखाते राज्य सरकार के सूचना प्रचार तंत्र प्रमुख आधार बिन्दु कहे जाने वाले जिम्मेदार अधिकारी एवं आदिवासी समाज से आये अधिकारी को सरेआम अपमानित करते हुये उसका सर्विस रिकार्ड से लेकर उसके तबादले तक करवाने डालने की धमकी दे डाली।
पूरे जिले भर के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के बीच कलैक्टर बैतूल आप खो गये और उन्होने एक आदिवासी प्रथम श्रेणी अधिकारी के मान सम्मान को अपने पैरो तले कुचल डाला। अपशब्दों के साथ कलैक्टर द्वारा अपमानित अधिकारी को उसका सर्विस रिकार्ड तथा उसके तबादले तक करवा देने की धमकी देकर उसे मानसिक आघात पहुंचाने का कृत्य किया जिसकी सर्वत्र निंदा की जा रही है। बैतूल आये विजय आनंद कुरील अपनी पदस्थाापना के पूर्व से ही विवादो में अकसर घिरे रहते चले आ रहे है। बैतूल के भूमाफिया के दबाव में आकर उक्त अधिकारी द्वारा चिटनीस बंगला जिसमें जिला जन सम्पर्क कार्यालय चल रहा है उसे खाली करने के लिए जिला जन सम्पर्क अधिकारी बैतूल पर दबाव बनाया जा रहा था।
बताया जाता है कि पूर्व कलैक्टर अरूण भटट् के समय भी करोड़ो की बहुमूल्य कीमत वाले चिटनीस बंगले को खाली करवाने के लिए भूमाफिया द्वारा पच्चीस लाख रूपये की सुपारी दिये जाने की अटकलो के बीच दुसरे कलैक्टर द्वारा जब बार - बार उक्त कार्यालय में बरसों से संचालित जन सम्पर्क कार्यालय को खाली करवाने के लिए अनाधिकृत रूप से जन सम्पर्क अधिकारी बैतूल पर दबाव डाला गया लेकिन जन सम्पर्क अधिकारी ने पत्रकारो के बीच विवाद का केन्द्र बने सासंद निधि से बने मीडिया सेंटर में अपना कार्यालय को स्थानातरित करने से मना किये जाने तथा अपने बड़े अधिकारियों से मार्गदर्शन लेने के लिए पत्राचार किया गया तो अपना कथित आपा खो गये जिला कलैक्टर द्वारा जिला जन सम्पर्क अधिकारी को डराने - धमकाने एवं अपमानित किये जाने का घृणित कार्य किया गया। सारे मामले के पीछे की कहानी कुछ इस प्रकार की बताई जाती है कि जिले के पूर्व सासंद असलम शेर खान द्वारा दी गई सासंद निधि से बनवाये गये मीडिया सेंटर का पूर्व सासंद स्वर्गीय विजय कुमार खण्डेलवाल ने शुभारंभ किया था लेकिन पत्रकारों के बीच स्वामीत्व की लड़ाई के चलते विवादों का केन्द्र रहे मीडिया सेंटर में कलैक्टर द्वारा कथित भूमाफिया को लाभ पहुंचाने की मंशा से उक्त किराये का भवन खाली करवा कर उसे मीडिया सेंटर में लाने के लिए अनाधिकृत रूप से दबाव बनाया गया।
इस कार्य को लेकर जन सम्पर्क अधिकारी द्वारा आयुक्त जन सम्पर्क कार्यालय भोपाल को अवगत करवाया गया लेकिन जब उनकी ओर से कोई लिखित आदेश न आने पर साल के आखरी सप्ताह में चिटनीस बंगला खाली नहीं हो सका जिसको लेकर भूमाफिया के दबाव में आकर जिला कलैक्टर द्वारा आदिवासी अधिकारी के साथ वह सब कुछ कर डाला गया जो कि प्रदेश सरकार के मुखिया एवं सरकार की मंशा के विरूद्ध है। अपने अपमान से दुखी जन सम्पर्क अधिकारी ने आयुक्त अनुसूचित जन जाति आयोग से लेकर सभी आला अफसरो को पत्र लिख कर न्याय की मांग की है। इधर घटना की जानकारी मिलते ही जिले भर के पत्रकारों ंने इस घटना की निंदा करते हुये जिला कलैक्टर के तबादले एवं उनके विरूद्ध कार्यवाही की मांग प्रदेश सरकार से की है। जिले भर के पत्रकारो ने सर्व सम्मति से निर्णय लिया है कि इस मामले पर कार्यवाही न होने की स्थिति में शासकीय योजनाओं के एवं कार्यक्रमों का पत्रकार समाज बहिष्कार करेगा।

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