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Wednesday, January 19, 2011

करोड़ों सरकार ने खर्च किये लेकिन शुद्ध पेयजल जनता को नसीब नहीं

ब्यूरो प्रमुख उ. प्र.// सूर्य नारायण शुक्ल (इलाहाबाद //टाइम्स ऑफ क्राइम)
ब्यूरो प्रमुख उ. प्र. से सम्पर्क 99362 29401

इलाहाबाद। कोरांव क्षेत्र के कोरांव विकास खण्ड में कई सरकारों नुमाइन्दों कई प्रशासनिक अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों ने पेय जल की समस्या दूर करने के वायदे किये घोषणाएं की, बसपा की मायावती सरकार ने पेयजल- सिंचाई सम्बन्धी हेल्प लाईन खोलने का आदेश दिया होल फ्री नम्बर भी विज्ञापनों के
माध्यम से दिये लेकिन क्षेत्रीय जनता को आज तक शुद्ध पेय जल के नाम पर पानी नियमित शुद्ध सप्लाई उपभोक्ताओं को मुहैया नहीं हो पा रही है, इतना तक कि सरकार द्वारा बने हेल्प लाईन- होल फ्री नम्बर कभी भी बात नहीं करता, सदैव बिजी बताता है, जो चर्चा का विषय है। उच्च स्तर पर कम्प्लेन हो तो कैसे।
विकास खण्ड कोरांव में शुद्ध पेय जल की वाटर टैंक निर्मित है, भाजपा सरकार में करोड़ों रूपया नई वाटर लाईन बिछवाने व बेलन नदी के किनारे देवघाट पुल के पास नई पेयजल टंकी निर्मित कराके ऐसे निर्माण कार्यों में रूपया पानी की तरह बहा दिया लेकिन शुद्ध पेय जल का रोना आज तक कायम है। कई बार शिकायतों के बावजूद भी जल निगम के अधिकारी सरकार-प्रशासन से स्टीमेंट बढ़ा चढ़ा कर पेश किया और किसी तरह खजुरी में पेयजल की बड़ी टंकी को शक्तिकल हेतु नलकूप की तरह भूमि में बोरिंग करवा दी। जिससे खजुरी से कोरांव के नागरिकों को बोरिंग का शुद्ध पानी किसी तरह पहुंचने लगे, लेकिन देवघाट से खजुरी व न्याय पंचायत महुली, बड़ोखर, क्षेत्र के दर्जनों ग्रामों में बेलन नदी का प्रदूषित डायरेक्ट पंपिंग सेट मशीन से खींच कर नलों में पानी सप्लाई की जाती है, जिससे उपभोक्ताओं को गंदा जल कीड़े-मकोड़े युक्त मिलता है।
कभी कभी तो नदी की काई, सबसे छोटी मछलियां भैंसों में लगने वाली जल जोंक के छोटे बच्चें तक नलों में आ जाते हैं, यदि नल से सीधे मुंह लगा कर कोई पानी पिये तो उसे इस प्रदुषित जल आपूर्ति का जायका मिल सकता है। कुछ लोगों के मुंह में तो छोटी मछलियां जोंक कचड़ा पानी के साथ जा चुका है व उपचार कराना पड़ा है। जल निगम द्वारा जितना धन उक्त कार्यो में व्यय किया गया इससे जल निगम के अभियन्ताओं-जन प्रतिनिधियों ठेकेदारों को फायदा जरूर मिला लेकिन जनता का की मांग- समस्या के मुताबिक जलापूर्ति का कार्य ठीक तरह से नहीं किया गया। देवघाट बेलन नदी के किनारे बने पुरानी टंकी की भांति एक पुन: उसी तरह कार्य व क्षमता वाली टंकी का निर्माण कार्य में जितना धन व्यय कर निरर्थक किया गया इतनी रकम में तो नलकूप की तरह बोरिंग कराकर व टंकी का निर्माण कराकर जलापूर्ति सप्लाई की जा सकती थी।
जिससे शुद्ध पेयजल उपभोक्ताओं को मिलता रहता। लेकिन जल कल विभाग ऐसा कुछ नहीं सोचा जिससे जनता व क्षेत्र का कल्याण होता। इसमें सिर्फ कमीशन खोरी से अधिकारी मालामाल हुए। आये दिन देवघाट में नदी से सीधे पानी खींचने वाली विद्युत मशीनें जली रहती है जिससे वाटर सप्लाई ठप्प रहती हैं बल्कि इसमें मशीनों के सप्लायर व रिपेयरर को फायदा है हमेशा मशीन मरम्मत का बिल पेश किये रहता है। और अवर अभियन्ता को लागबुक पर डीजल पम्पसेट चालू कर पानी आपूर्ति को शो करके धन ऐठनें का काम चलता हैं।


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