जेएनयू सेक्स रैकेट में पुलिस की जांच पड़ताल शुरू हो गयी है. लेकिन आखिर वह कौन है जिसने दूर बिहार से पढ़ने आई एक लड़की को अपने मोहपाश में फंसाता है और उसका सेक्स विडियो बनाता है. लड़की जेएनयू छोड़कर जा चुकी है.
जेएनयू में भाषा की छात्र रही वह लड़की अब अपनी नयी दुनिया बसा चुकी है और उसे शायद इस बात का भान भी नहीं होगा कि उसके नाम पर एक बदजात सहपाठी ने क्या गुल खिला दिया है. बेशर्मी की हद तो यह है कि इतना सब होने के बाद भी वह लड़का आज भी जेएनयू का सम्मानित छात्र है.
मूलत: गया का रहनेवाला यह लड़का यहां भाषा विभाग में कोरियन लैंग्वेज का तीसरे साल का छात्र है. इसका नाम है जनार्दन वर्मा. इसी लड़के ने उस लड़की को बहला-फुसलाकर उसके साथ नाजायज संबंध बनाए और न केवल इतना किया बल्कि उसका एक विडियो भी तैयार किया. इतना सब होने के बाद भले ही जेएनयू प्रशासन यह दावा कर रहा है वह इस मामले की जांच कर रहा है लेकिन अभी तक उस लड़को को न तो हास्टल से बाहर जाने के लिए कहा गया है और न ही उसे कैंपस से बाहर निकाला गया है.
छात्रों में इस बात को लेकर गहरा असंतोष है कि इतना सब कुछ होने के बाद उस लड़के को कैसे जेएनयू में कैसे बना कर रखा गया है। हालांकि चीफ प्राक्टर ने एक अखबार से बात करते हुए कहा है कि अगर उस लड़के को परिसर से निकाल दिया तो पूछताछ की कार्रवाई कैसे पूरी होगी? जेएनयू के छात्रों का कहना है कि यह सिर्फ अनुशासन का मामला नहीं है बल्कि जघन्य अपराध है और इस पर तत्काल कार्रवाई करते हुए उसे विश्वविद्यालय से बाहर कर दिया जाना चाहिए।
मीडिया ने उठाया मुद्दा, सन्नाटे में समाया जेएनयू
दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के तात्पी छात्रावास में शूट िकये गये 25 मिनट के एक 'नीले' वीडियो का मुद्दा मीडिया ने उठा लिया है. कल और आज दिल्ली से प्रकाशित होनेवाले कई बड़े अखबार इसे अपनी बड़ी खबर बना रहे हैं.
मंगलवार को टाइम्स आफ इंडिया, दैनिक जागरण, मेल टुडे, पायनियर सहित कई अन्य अखबारों ने इस खबर को पहले पन्ने पर लिया है जिसके कारण पूरा जेएनयू कैम्पस इस मुद्दे पर सन्नाटे में समा गया है. कथित तौर पर अप्रैल 2010 में ताप्ती छात्रावास के एक कमरे में शूट किये गये इस विडियो के तार सेक्स रैकेट से भी जुड़े हुए हो सकते हैं. जेएनयू प्रशासन और पुलिस महकमा भी मान रहा है कि हाई डेफिनेशन कैमरे पर शूट किया गया यह विडियो सेक्स रैकेट का हिस्सा भी हो सकता है. हालांकि जेएनयू प्रशासन यह दलील दे रहा है कि उसकी नजर में पिछले हफ्ते ही यह मामला आया है और जैसे ही उसकी नजर में यह मामला आया उसने तत्काल वसंत कुंज थाने को इस बारे में इत्तिला कर दी और अब पुलिस इस मामले में जांच कर रही है. खबर है कि सोमवार को पुलिस ने इस बारे में दो छात्रों से पूछताछ भी की है.
पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई अपनी जगह लेकिन इस "सेक्स काण्ड" के सामने आने से जेएनयू प्रशासन और यहां का छात्र दोनों ही सकते में हैं. एक ओर मीडिया में मुद्दा गरमाया है कि देश के सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में यह क्या हो रहा है तो जेएनयू सन्नाटे में है. देश की हर छोटे बड़े मुद्दे पर गंभीर चर्चा करनेवाला जेएनयू इस मुद्दे पर कुछ नहीं बोल रहा है. यहां की चर्चाओं में फिलहाल सेक्स रैकेट का मसला गायब है.
जेएनयू से जुड़े छात्र कह रहे हैं कि यह जेएनयू के चेहरे पर इतना बदनुमा दाग है कि यहां लोगों को समझ में नहीं आ रहा है कि क्या प्रतिक्रिया दें. फिलहाल जो प्रशासन पिछले छह महीने से इस मसले पर लीपापोती कर रहा था, वह अब बोल रहा है और कह रहा है कि वह इस मामले को पुलिस में दे चुका है. लेकिन सवाल यह है कि छह महीने तक वह चुप क्यों बैठा रहा जबकि कैंपस में इस विडियो की धूम पिछले छह आठ महीने से मची हुई है. कुछ महीने पहले किसी ने इस विडियो को लाइब्रेरी के कई कम्प्यूटरों पर भी डाल दिया था. अब तो पुलिस की जांच में ही कोई नतीजा सामने आ सकता है कि क्या वास्तव में जेएनयू किसी सेक्स रैकेट की गिरफ्त में जा चुका है?
साभार - विस्फोट डोट कोम
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