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Wednesday, February 9, 2011

करोड़ो की लागत से बना प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बड़ोखर जिसमें सिर्फ है एक वार्ड ब्वाय? लगा रहता है ताला!

ये है माया राज में मरीजो व जनता की सुविधाओं के लिए खुले अस्पताल की दास्तान

प्रतिनिधि//अहद अहमद सिद्दीकी(शहजादे) (इलाहाबाद // टाइम्स ऑफ क्राइम)
से सम्पर्क 99362 9401९४०१
इलाहाबाद। एक तरफ सरकार स्वास्थ जन कल्याण हित में अपनी कृत संकल्पता में जुटी है तो वही दूसरी तरफ स्वास्थ विभाग के अधिकारी और उनका विभाग करोड़ो की लागत से तैयार सामुदायिक स्वास्थ केन्द्र बड़ोखर जो बन्द पड़ा अपनी बदकिस्मती पर आंसू बहा रहा है और खुद बीमार नजर आता है उसकी देखभाल और मरीजो के हित के लिए कोई अमल नहीं लिया जाना चर्चा का विशय बना हुआ है।

इस संदर्भ में 24 जनवरी 2011 को क्षेत्रीय लोगो की शिकायत पर औचक साढ़े ग्यारह बजे प्रात: प्राथमिक स्वास्थ केन्द्र बड़ोखर पर जब रिपोर्टर की टीम द्वारा देखा गया तो अस्पताल में ताला हुआ था। आस पास के लोगों से जब कारण पूंछा गया तो उत्तर मिला कि तीन साल से यही इस अस्पताल की हालत है। हैण्डपम्प पर नहा रहे एक व्यक्ति से पंूछा कि डाक्टर लोग कहां गये कही अता पता है? तो उत्तर दिया कि मैं वार्ड ब्वाय हंू नहा धोकर पल्स पोलियों में डियूटी लगी है वही जाने वाला हूं। जब समय बताया गया कि इस समय साढ़े ग्यारह बजे है तो चुप रह गया। वार्ड ब्वाय परमात्मा ने बताया कि यहां चार लोग मुझे मिला कर तैनात है फार्मासिस्ट बुद्धिसागर तिवारी लैब टेक्नीसियन सहायक प्रमोद सिंह, वार्ड ब्वाय परमात्मा (स्वयं) और छोटेलाल स्वीपर। न तो कोई डाक्टर न तो कोई नर्स! नर्स के बारे में बताया गया कि एक बबीता नामक नर्स है जो टीका करण के भी दिन उक्त अस्पताल में नहीं दिखाई देती। इस बावत बड़ोखर की श्रीमती शीला केसरी पत्नी बड़ेलाल केसरी ने बताया कि क्षेत्र की महिलाओं को इस अस्पताल से उपचार डिलेवरी तथा दवाओ तक की सुविधा नहीं है। महिलाएं चाहे गर्भवती हो या अन्य सभी महिलाएं जच्चे बच्चे गाढ़ा 7 कि.मी. दूर जाकर टीका लगवाने जाती है। मो. लुकमान सामाजिक कार्यकर्ता बड़ोखर एवं सूर्य कान्त तिवारी एडवोकेट बड़ोखर ने बताया कि तीन साल से यह अस्पताल बन्द है।

इस सन्दर्भ में अस्पताल के कुछ दूर पर रहने वाले क्षेत्रीय नेता व पूर्व विधायक मेजा कामरेड रामकृपाल से बात चीत की गयी तो उन्होंने बताया कि इस शासन में बड़ोखर के नाम पर प्राथमिक स्वास्थ केन्द्र बड़ोखर का नाम ही भला चलता रहे काफी है। शिकायतें करते कराते लोग आजिज आ गये है। जब कभी समय आयेगा तो अस्पताल जैसे चलनी चाहिए वैसे ही चलेगी। शासन सरकार से मरीजों गरीबों का दुख दर्द जानने की फूरसत ही कहां है?
इस बावत जब कोरांव तहसील के सामुदायिक स्वास्थ केन्द्र कोरंाव के अधीक्षक व चिकित्साधिकारी कोरांव डा. सत्तीस चन्द्र कुमार से पूंछा गया तो उन्होंने भी गोल मोल जवाब दिया। कहा कि जब नियुक्त कर्मी नहीं अस्पताल जा रहे है तो मैं क्या करू। वार्ड ब्वाय के सिर्फ वहां रहने के बारे में भी पूंछा तो उत्तर मिला कि वह तो भला मिला भी। इस सन्दर्भ में क्षेत्रीय जनता ने बताया कि जब सामूदायिक स्वास्थ्य केन्द्र कोरांव की हालत दयनीय है मरीजों को दवाएं नहीं मिल पा रही है तो अन्य स्वास्थ केन्द्र पर क्या हालत हैं सोचा जा सकता है। इस समय तीस सैया युक्त अस्पताल सामुदायिक स्वास्थ केन्द्र कोरांव इलाहाबाद में न तो कोई महिला डाक्टर है न तो मरीजो को कोई एक्सरे, अल्ट्रसाउन की व्यवस्था है इतना तक कि परची बनवाकर डाक्टरों को दिखाने वाले गरीब मरीजों को समुचित दवाएं भी नहीं उपलब्ध हो पा रही है।
बाजार से दवा डाक्टरों द्वारा लिखा जा रहा है। परेशान गरीब रोगी ऐसी अस्पतालों की अव्यवस्था से परेशान सरकार को कोश रहे है और कह रहे है कि पार्कों एवं मूर्तियों में अथाह धन खर्चा करने वाली सरकार के पास रोगियों को दवाएं तक मोहैया कराने की व्यवस्था नहीं है जो बड़े शर्म की बात है।

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