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Wednesday, March 2, 2011

दलितों की संस्था ने ही कर दिया दलित का सामाजिक बहिष्कार

ब्यूरो प्रमुख // डा.मकबूल खान (छतरपुर // टाइम्स ऑफ क्राइम)
ब्यूरों प्रमुख से सम्पर्क : 99260 03805
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छतरपुर। बमीठा। दलितों, हरिजनों के ऊपर अत्याचार और उनका सामाजिक बहिष्कार जैसी अमानुषिक घटनाओं को रोकने के लिए तो कड़ा कानून बना दिया गया है। मगर जब दलितों का सुधार करने वाली संस्था ही दलित परिवार का सामाजिक बहिष्कार कर दें तो फिर उसके ऊपर क्या कार्रवाही होगी? यह तो आने वाला समय ही बताएगा। मगर राजनगर अनुभाग की ग्राम पंचायत पथरगुवां के मजरा जंगीपुरा में एक ऐसा ही मामला प्रकाश में आया है। यहां पर जमीनी विवाद को लेकर जिला रविदास समाज सुधार कमेटी छतरपुर ने अपनी पंचायत लगाकर एक तरफा फैसला सुनाया जिसको न मानने पर एक दलित परिवार का सामाजिक बहिष्कार करने का फरमान जारी कर दिया गया। इतना ही नहीं अपने फरमान को जन-जन तक पहुंचाने कमेटी ने करीब एक हजार इश्तिहार भी छपवाकर बांट दिए।
क्या है मामला
सूत्रों के मुताबिक जंगीपुरा निवासी जगोला अहिरवार ने 1964 में कृषि भूमि खरीदी थी। इस भूमि में उसका छोटा भाई विनिया हिस्सा मांगने लगा मना करने पर विनिया ने अदालत का दरवाजा खटखटाया मगर उसे सफलता नहीं मिली तो उसने समाज सुधार का डंका पीटने वाली रविदास समाज सुधार कमेटी का सहारा लिया और उसके पदाधिकारी नोनेराम नेता जी से संपर्क कर 30 जनवरी 2011 को एक सामाजिक पंचायत लगाई जिसमें ग्राम पंचायत सरपंच सीताबाई अहिरवार भी मौजूद हुयी। इस पंचायत में जगोला से विनिया को भूमि का हिस्सा देने का आदेश दे दिया और जब जगोला ने यह आदेश नहीं माना तो उसका सामाजिक बहिष्कार करने का फरमार जारी कर दिया गया। इतना ही नही जगोला के परिवार को विरादरी से अलग करने कमेटी द्वारा इतिहार छपवा कर क्षेत्र में बांटे जा रहे है।
नहीं हो पा रही लड़कों की शादी
जगोला अहिरवार के पुत्र सरजू ने बताया कि सामाजिक बहिष्कार के चलते उसके शादी योग्य लड़कों का विवाह भी नहीं हो पा रहा है और न ही शादी, ब्याव व अन्य अवसरों पर उसे कोई बुलाता है इससे उसका पूरा परिवार मानसिक यंत्रणा झेल रहा है। सरजू ने बताया कि हम जलालत भरी जिन्दगी से ऊब कर अब वह धर्मान्तरण करने का मन बना रहा है।
मैं अभी प्रदेश के बाहर हूँ, इसके बारे में मैं आपसे कल बात करूंगा।
-नोनेलाल नेता जी
पदाधिकारी जिला रविदास, सुधार कमेटी, छतरपुर पंजीयन क्रमांक 27108
अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत कार्यवाही तब होती है जब इन वर्गो के लोगों के ऊपर सामान्य या पिछड़ा वर्ग के लोग अपराध करते है इस मामले में अधिनियम के तहत कार्यवाही संभव नही है। मगर मानहानि का मामला दर्ज हो सकता है।
- सी.एल. पटेल
अधिवक्ता जिला न्यायालय छतरपुर

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