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Wednesday, March 23, 2011

गांधी से लेकर नेहरू तक बिकाऊ हैं, बस खरीददार चाहिए




बैतूल ,







बैतूल जिले में इस समय कम्प्यूटर एज्युकेशन के नाम पर देश के महापुरूषो को बने को गोरखधंधा पुलिस और प्रशासन की मिली भगत से बडे पैमाने पर चल रहा हैं। कथित जाब दिलवाने का दंभ भरने वाले विभिन्न महाविद्यालयो एवं संस्थाने से मान्यता प्राप्त होने का लालच देकर कम्प्यूटर एज्युकेशन सेंटर संचालक द्वारा धोखाधड़ी किए जाने के दर्जनो मामले जनप्रकाश में आने के बाद दर्जनो नए कम्प्यूटर एज्युकेशन सेंटर खुल जाते हैं। बैतूल जिले की बात यदि हम छोड़ कर जिला मुख्यालय की बात करे तो जिला मुख्यालय पर इस समय सौ के लगभग कम्प्यूटर एज्युकेशन सेंटर चल रहे हैं। इन सेंटरो में गांधी , नेहरू, परिवार को बेचा जा रहा हैं वह भी खुले आम लेकिन कोई पुछने या कार्यवाही करने वाला नहीं हैं। राजनैतिक एवं प्रशासनिक संरक्षण के चलते बैतूल जिला मुख्यालय पर कुकुर मुत्ते की तरह ऊग आए कम्प्यूटर एज्युकेशन सेंटरो के द्वारा विभिन्न प्रकार के डिग्री डिप्लोमा पांच से पचास हजार रूपए में घर बैठे उपलब्ध करवा दिए जाते हैं। मजेदार बात तो यह हैं कि आपको कहीं और जाने की जरूरत भी नहीं है और घर बैठे आप डी सी पीजीडीसीए से लेकर कई प्रकार के मास्ट माइंड डिप्लोमा , डिग्री प्राप्त कर सकते हैं। सबसे चौकान्ने वाली बात तो यह हैं कि जिले में इंदिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय इग्रो भोपाल से मात्र 3 , माखनलाल चतुर्वेदी विश्च विद्यालय से 4 , महेश योगी से 1 सेंटर को अधिकृत किया गया हैं लेकिन क्षेत्र में इन सबसे हट कर सौ होर्डिंग बैनर विभिन्न कम्प्यूटर एज्युकेशन सेंटरो के लगे हुए रोजगार की तलाश में दर - दर की ठोकरे खा रहे युवक - युवतियों को ठगी का शिकार बना रहे हैं। जिले में इस समय नीफा से लेकर पीफा तक भारत सरकार की रोजगार ग्यारंटी योजना के तहत रोजगार देने की ग्यारंटी के लिए 20 हजार से लेकर 50 हजार रूपए तक वसूल रहे हैं। रोजगार के नाम पर इन्दौर , भोपाल जैसे महानगरो में तीन हजार रूपए मासिक भुगतान पर जाब तो देते हैं जहां पर काम करने के एक महिने के अंदर ही वहां से लोग तथाकथित सुन्योजित प्रताडना एवं मानसिक यातना के चलते भाग जाने को मजबुर हो जाते हैं। सबसे ज्यादा ऐसे लोगो पर आरोप लगे हैं जिन्होने रोजगा दिलवाने के नाम पर एक मोटी किस्त वसूलती हैं। जिला मुख्यालय पर हाल ही में कुछ पीडि़त छात्रों ने पुलिस और प्रशासन दोनों से शिकायत की है। जिसके चलते बैतूल एसडीएम संजीव श्रीवास्तव ने कम्प्यूटर सेंटर संचालक को एसडीएम कोर्ट में तलब किया। सेंटर के संचालक सभी तथाकथित दस्तावेजो के साथ और चला गया। कार्यवाही क्या हुई भगवान ही जाने। गुरूद्वारे के समीप पिछले दो साल से संचालित हो रहे डियू साफ्ट कम्प्यूटर एजुकेशन सेंटर द्वारा छात्र-छात्राओं को टेली, बेसिक, पीजीडीसीए, डीसीए आदि कोर्स करवाए जा रहे हैं। कोर्स के बाद जो डिप्लोमा दिया जा रहा है वह शासन की भर्तियों में मान्य नहीं किया जा रहा है।
शिकायत करने वाली छात्रा हेमलता पंवार ने बताया कि उक्त संचालक द्वारा कहा गया था कि पढ़ाई करने के साथ-साथ चेन सिस्टम में एडमिशन कराएंगे तो आप लोगों को हर महीने तीन हजार रूपए मिलेंगे। इस तरह उसने करीब दो-ढ़ाई सौ एडमिशन सात-सात हजार रूपए के हिसाब से किए हैं लेकिन किसी को भी तीन हजार रूपए महीने नहीं दिए। हाल ही में रेलवे की भर्ती में सेंटर द्वारा दिया गया डिप्लोमा भी खारिज कर दिया गया। जब उन लोगों ने सेंटर संचालक से अपने पैसे वापस मांगें तो वह कहने लगा कि उन्हें माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय का डिप्लोमा दिलवा देगा जो सभी जगह मान्य है। उक्त छात्रा ने बताया कि उसके परिवार में चार लोगों ने यहां पर 21 हजार रूपए जमा किए थे। इसकी शिकायत गंज चौकी में भी एक महीने पहले की गई थी लेकिन एफआईआर दर्ज नहीं की है। कम्प्यूटर एज्युकेशन सेंटर के संचालक का तो यह आरोप हैं कि यदि मैं चोर हूं तो बाकी कौन से साहुकार हैं...? संचालक के अनुसार जिस तरह शहर में अन्य कम्प्यूटर सेंटर चल रहे हैं उसी तरह संचालित किया जा रहा है। इस पूरे प्रकरण में बताया गया कि जो दस्तावेज हैं उसके अनुसार कम्प्यूटर एज्युकेशन सेंटर को शासन से मान्यता नहीं है और ऐसी स्थिति में उसके सर्टिफिकेट किसी भी भर्ती में उपयोग ही नहीं होंगे। बैतूल जिले में कोई भी कम्प्यूटर एज्युकेशन संचालक द्वारा अपने बोर्ड पर यह लिखा रहता हैं कि उसके सेंटर को मान्यता प्राप्त है। इधर पूरे प्रकरण में बैतूल जिले में इन पंक्तियों के लिखे जाने तक किसी भी सेंटर के खिलाफ जालसाजी या धोखाधड़ी की शिकायत नहीं की गई हैं। बैतूल जिला मुख्यालय पर बेव डिजाईनींग का कोर्स सिखाने वाले कम्प्यूटर एज्युकेशन सेंटर की संचालिका का कहना था कि उन्हे वेब पेज डिजाइनींग नहीं आती हैं...?
उक्त कोर्स को सिखाने वाली मुम्बई में हैं। लोगो को भ्रमित करने के लिए लोग अपने बोर्ड पर क्या कुछ नहीं लिख लेते हैं। अनुभव प्रमाण पत्र देने वाले कम्प्यूटर एज्युकेशन सेंटर यदि डिग्री - डिप्लोमा देने लगे हैं तो सबसे शर्मनाक बात होगी। जिले में ऐसे सेंटरो में बहुचर्चित नामों में जीटी , आइसीए , नीफा , जैसे कई सेंटरो पर कम्प्यूटर हार्ड वेयर एण्ड साफट वेयर का तथाकथित अधकचरा ज्ञान परोसा जा रहा हैं और बदले में मोटी रकम वसूली जा रही हैं। सबसे शर्मनाक स्थिति तो यह हैं कि ऐसे सेंटरो से पास लड़को को मोनीटर का और सीपीयू का आंतरीक ज्ञान तक नहीं होता हैं। कई बार ऐसे लड़के - लड़किया जो कि इंजीनियर बनने के चक्कर में घनचक्कर बन जाते हैं वे तो घर के रहते हैं और घाट के.....? बैतूल जिले के युवक - युवतियों को ठगी के शिकार बनने से बचाने का दंभ भरने वाले दुसरे तथाकथित मान्यता प्राप्त कम्प्यूटर एज्युकेशन सेंटर उन्हे सही डिग्री - डिप्लोमा देने के नाम पर लूटने से बाज नहीं आते हैं। बैतूल जिले में कम्प्यूटर एज्युकेशन सेंटर के नाम पर लम्बी चौड़ी दुकान लगाने वाले सेंटर संचालको की कुछ पत्रकारो से भी यारी - दोस्ती हैं तो कुछ पत्रकार भी बने बैठे हैं ताकि उनकी आड़ में दुकानदारी चलती रहे। बैतूल जिले की यदि हम बात करे तो जिले के हर प्रमुख शहरो में कम्प्यूटर एज्युकेशन सेंटर खुलते जा रहे हैं। सारनी में तो बकायदा ऐसे फर्जी विद्यालयो एवं संस्थान के संचालक के खिलाफ मुकदमा तक दर्ज हुआ लेकिन अन्य लोगो पर कार्यवाही के नाम पर पुलिस ने जम कर वसूली कर ली। बैतूल जिला मुख्यालय के बारे में बकायदा यह प्रमाण के साथ कहा जाता हैं कि एक नामचीन कम्प्यूटर एज्युकेशन सेंटर के संचालक द्वारा पुलिस और प्रशासन के अलावा जिला मुख्यालय के कुछ चुनिंदा पत्रकारो को साल भर समाचार पत्रों में विज्ञापन छापने एवं कम्प्यूटर एज्युकेशन के खिलाफ किसी भी प्रकार के समाचार छापने के नाम पर वसूली करके बाटी जाती हैं।
ऐसे दलालो में वे लोग शामिल हैं जो कि खुद पिछले छै सात सालों से कम्प्यूटर एज्युकेशन के नाम फर्जीवाड़ा करते चले रहे हैं। एक छोटे से कमरे में दिन भर और देर रात तक कम्प्यूटर एज्युकेशन की क्लास की आड़ में लोगो को मात्र दो व्यक्ति द्वारा ज्ञान बाटा जाता हैं बाकी उन्हे पुस्तको से पढ़ कर समझ लेने की सलाह देकर परीक्षा में अव्वल नम्बर से पास करवा देने की भी ग्यारंटी तक दी जाती हैं। बैतूल जिले में पता नहीं तक उक्त कम्प्यूटर एज्युकेशन की आड़ में जालसाजी का गोरखधंधा चलता रहेगा।

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