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Saturday, March 5, 2011

घोंसला

पंकज त्रिवेदी

चिड़ियाँ को घोंसला

बनाते हुए देख रहा हूँ मैं आजकल

एक एक धागे और तिल्लीयों से

अपना घोंसला बनाने को मथती

रहती हैं हरदम, हर पल पुरुषार्थ में

डूबी सी...

आनेवाली खुशियों की

भनक लगी हैं उन्हें और

उसकी मेहनत रंग लाती हैं...

दिन बीतता हैं और घोंसला

बनता जाता हैं....

भूचाल के बाद -

मैंने भी बड़ी कोशिश की थी...

अब, चिड़ियाँ को देखकर

सुकून मिलता हैं मुझे और भी ज्यादा...!!!

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