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Tuesday, March 29, 2011

उल्टा पुल्टा बोल रहा था रामदेव, इसलिए जूता खींचकर मार दिया


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उल्टा पुल्टा बोल रहा था रामदेव, इसलिए जूता खींचकर मार दिया

बाबा रामदेव के खिलाफ उनके शिविरों में आनेवाले लोग ही अब सार्वजनिक रूप से अपने गुस्से का इजहार करने लगे हैं. ऐसी ही एक चौंकानेवाली घटना गुरुवार को नागपुर में घटी जब बाबा रामदेव पर अर्धसैनिक बल के एक जवान मीतू सिंह राठौर ने बाबा रामदेव पर जूता खींचकर दे मारा. मीतू सिंह राठौर का कहना है कि वह रामदेव के पास योग सीखने गया था लेकिन बाबा उल्टा पुल्टा बोल रहा था जिससे उसे गुस्सा आ गया और उसने बाबा के ऊपर जूता फेंककर दे मारा.

26 वर्षीय मीतू सिंह राठौर सीआईएसएफ का जवान है और ग्वालियर का रहनेवाला है. रामदेव के ट्रस्ट द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के रेशिमबाग परिसर में आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा ले रहा था. मीतू सिंह राठौर का कहना है कि वह नागपुर की सभा में बाबा से योग शिक्षा के संबंध में सीखने गया था, लेकिन वहां योग के बारे में एक लाइन भी नहीं बोली गई और जो भी बोला जा रहा था, सब उलटा-पुलटा था। इसलिए सहन नहीं हुआ और उसने जूता फेंककर अपने गुस्से का इजहार किया। जवान का कहना है कि बाबा नागपुर, दिल्ली, गोवा जैसे शहरों में भाषण देकर देशभक्ति की बात करते हैं, तो उन्हें बारामूला, सोपोर, व दंतेवाड़ा जैसे क्षेत्रों में भी कार्यक्रम आयोजित करना चाहिए। मित्तू ने कहा कि वक्ता उल्टा-पुल्टा कुछ भी बोल रहे थे, जो सहन नहीं हुआ।

हालांकि इस घटना के बाद बाबा रामदेव ने उक्त जवान को माफ कर दिया लेकिन बाबा के समर्थक जेड कैटेगरी की सुरक्षा प्राप्त बाबा के लिए और अधिक सुरक्षा की मांग करने लगे हैं. पुलिस ने भी प्राथमिक पूछताछ के बाद जवान को छोड़ दिया है जिसके बाद जवान अपने घर ग्वालियर लौट आया है.

जैन संत भी रामदेव के खिलाफ: जैन समाज भी बाबा रामदेव की खिलाफत करने लगा है. जैन समाज के संत मुनि पुलक सागर ने शुक्रवार को उदयपुर में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि वे बाबा रामदेव को सन्यासी नहीं मानते। बाबा रामदेव तो योग शिक्षक हैं और वे राजनीति में दिलचस्पी लेते हैं तो वह उनकी सोच है।

एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि हर संत का उद्देश्य राष्ट्रधर्म निभाना भी होता है, जिसे जैन संत भी बखूबी निभा रहे हैं। पर्यावरण, दहेज विरोध, कन्या भ्रूण हत्या, जल संरक्षण, धर्म एवं संस्कृति के प्रति जागरुकता और भी ऐसे कई मुद्दे हैं जिन्हें जनता के सामने रखकर संत चेतना जाग्रत करते हैं।

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