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Thursday, April 7, 2011

अन्‍ना के अनशन से मनमोहन सरकार की सांस चढ़ी

: अन्‍ना के समर्थन में 8 करोड़ लोगों ने उपवास रखा :

कृष्‍णमोहन सिंह

प्रख्यात गांधीवादी अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी अभियान और आमरण अनशन से सोनिया मोइनो गांधी सरकार की सांस अटकने लगी है, हाफा–डाफा शुरू हो गया है। सूत्रों के मुताबिक सोनिया मोइनो गांधी व उनके कीर्तनी कनफुकवों (सलाहकारों) को भय होने लगा है कि अन्ना का यह भ्रष्टाचार विरोधी अभियान, सोनिया सरकार हटाओ अभियान बन सकता है। सो अन्ना हजारे, उनके संगठन और “भ्रष्टाचार के खिलाफ भारत” कार्यालय की हर गतिविधि पर बारीक नजर रखने के लिए खुफिया एजेंसियों को चौकस कर दिया गया है। कुछ सत्ताप्रसादलोभी दोहरे चरित्रवाले पुलिस अफसरो, विवि शिक्षकों, सामाजिक-राजनीति नेताओं को अन्ना का करीबी, उनके इस अभियान व संगठन में पदाधिकारी बनने के लिए लगा दिया गया है। ताकि पल-पल की सूचना मिलती रहे।

4 अप्रैल 2011 को 1, रायसीना रोड स्थित “प्रेस क्लब आफ इंडिया” में सायं लगभग साढ़े चार बजे अन्ना हजारे संवाददाता सम्मेलन कर रहे थे उस समय खुफिया विभाग के तीन आदमी बड़े ध्यान से सुन रहे थे, देख रहे थे कि कौन-कौन आया है, उनमें कौन किससे क्या कह रहा है। खुफियावाले इस तरह खुफियागिरीरत हैं, पर इससे बेपरवाह अन्ना हजारे 5 अप्रैल की सुबह राजघाट पर महात्मा गांधी की समाधि पर शिश नवा आशिष ले, वाया इंडिया गेट जंतर-मंतर पर आमरण अनशन के लिए एक योद्धा की तरह बढ़ते गये।

72 वर्षीय बुजुर्ग अन्ना ने आहत भाव से कहा– 62 साल बीत गया आजादी को,1950 में जनता इस देश की मालिक हो गई, हम मांग कर रहे हैं कि भ्रष्टाचार के विरूद्ध कड़ा कानून बनाओ, इसके लिए जनलोकपाल बनाओ, तो ये सत्ता में बैठे लोग कानून नहीं बना रहे हैं। इसी तरह महाराष्ट्र में जनसूचना अधिकार का नियम बनाने की मांग की गई तो पहले सरकार नहीं मानी। जब अनशन किया तब मजबूर होकर महाराष्ट्र सरकार ने हमलोगों के बनाये ड्राफ्ट को जनसूचना अधिकार कानून का रूप दिया। महाराष्ट्र में 2003 में आरटीआई कानून बनी। उसी तरह से हमलोगों ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मांग किये कि केन्द्र में जनलोकपाल बनाओ। प्रत्येक राज्य में जनलोकायुक्त बनाओ। जो भ्रष्टाचार की शिकायत लेंगे, उसकी जांच 6 माह में करके दोषी को सजा देंगे। लेकिन प्रधानमंत्री ने हमारी इस मांग को नहीं मानी। तो हमने आमरण अनशन करने का निश्चय किया।

अन्ना हजारे ने कहा- मैं देश के लिए समर्पित हो गया हूं तो मौत से नहीं डरता। ए. राजा इतने साल से भ्रष्टाचार कर रहा था, क्या इनको (प्रधानमंत्री मनमोहन, यूपीए चेयर परसन सोनिया) पता नहीं था। शरद पवार इतने साल से घोटाला कर रहा है, इनको पता नहीं है। सब पता है, लेकिन कुछ कर नहीं रहे हैं। जब तक लोकपाल बिल नहीं आयेगा तब तक मैं वापस नहीं जाऊंगा, चाहे इसके लिए प्राण चला जाये। अन्ना ने कहा- केन्द्र सरकार ने एक लोकपाल बिल ड्राफ्ट किया है, जो इतना कमजोर है कि भ्रष्ट नौकरशाहों, नेताओं, मंत्रियों आदि को सजा देने के बजाय उसे बचाने का काम करेगा। सरकार ने इस ड्राफ्ट को तैयार करने के लिए एक मंत्री समूह बनाया है, जिसमें शरद पवार, कपिल सिब्बल, मोइली हैं। ये लोग इस देश का भ्रष्टाचार विरोधी कानून बनायेंगे। जो सिब्बल, पवार कहते हैं कि 2-जी स्पेक्ट्रम एलाट करने में घोटाला हुआ ही नहीं, क्या यह एक मजाक नहीं है? ऐसे मंत्री तो भ्रष्ट मंत्रियों, नेताओं, अफसरों आदि को बचानेवाला ही कानून बनायेंगे।

अन्ना का कहना है कि यह कानून बनाने के लिए एक संयुक्त समिति बने जिसमें सिविल सोसाइटी के लोग –प्रशांत भूषण, शांति भूषण, जस्टिस संतोष हेगड़े जैसे लोग रहें और बाकी आधे लोग सरकार के रहें। यह कमेटी जनलोकपालबिल (समाज सेवियों द्वार तैयार ड्राफ्ट) को इसका वर्किंग ड्राफ्ट माने। यह संयुक्त समिति मई 2011 के मध्य तक अपनी रिपोर्ट जमा कर दे और सरकार इस समिति द्वारा तैयार किये बिल को संसद में रखे, पास करावे। इस तरह की सात कमेटी द्वारा बनाये बिल को महाराष्ट्र में कानून के तौर पर सरकार ने मंजूरी दी है। जिसमें से अन्ना हजारे द्वारा बनाया आरटीआई बिल प्रमुख है। जंतर –मंतर पर आमरण अनशन पर बैठ गये अन्ना हजारे का कहना है – मैं अपनी मांग पूरी होने तक अनशन पर रहूंगा। इधर अन्ना हजारे के इस भ्रष्टाचार विरोधी अभियान के समर्थन में देशभर में लगभग 8 करोड़ लोगों ने उपवास व प्रार्थना किया। इसकी अन्दरूनी सूचना से सोनिया मोइनो गांधी की सरकार हलकान है।

लेखक कृष्‍णमोहन सिंह डेटलाइन इंडिया से जुड़े हुए हैं. इसे डेटलाइन से साभार लेकर प्रकाशित किया गया है.

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