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Tuesday, April 12, 2011

यूडीए लेखाधिकारी चंद्रकांत पटेल पर लोकायुक्त छापा

२० लाख नकद, आधा दर्जन बैंकों की पासबुक जब्त
उज्जैन//डॉ. अरुण जैन

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विकास प्राधिकरण के लेखाधिकारी चंद्रकांत पटेल के ऋषिनगर एक्सटेंशन स्थित निवास पर लोकायुक्त पुलिस ने छापा मारा। शाम तक चली कार्रवाई में 20 लाख नकद, मकान सहित करीब दो करोड़ रूपए की अनुपातहीन संपत्ति का खुलासा किया। खबर लिखे जाने तक जांच जारी थी। इधर रात ही लोकायुक्त का एक दल पटेल के पैतृक निवास गुजरात के आणंद के लिए रवाना हुआ था।

आणंद में भी जांच की जा रही है। - लोकायुक्त पुलिस के मुताबिक 1978 में नौकरी ज्वाइन करने वाले पटेल को 1 अप्रैल को प्राधिकरण संपदा अधिकारी पद से लेखा अधिकारी बनाया गया था। इनके खिलाफ लंबे समय से शिकायतें आ रही थीं। पटेल के बेडरूम की अलमारी से 20 लाख नकद व बैंक की आधा दर्जन पासबुक जब्त की गईं।
लोकायुक्त के मुताबिक पटेल रिश्वतखोरी के मामले में भी गिरफ्तार हो चुके हैं। 1982 में उन्हें लोकायुक्त टीम ने 150 रूपए की रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था। उनके खिलाफ 2006 में धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज हो चुका है।
छत पर स्वीमिंग पुल, घर में थिएटर भी
जो शख्स 33 साल पहले प्राधिकरण में महज 150 रुपए की तनख्वाह पाता था, अब करोड़पति हो गया है। फिल्मी स्टाइल में बना शानदार बंगला, जिसे देखकर हर किसी की आंखें चौंधिया सकती है। छत पर मिनी स्वीमिंग पूल तो नीचे दरवाजे पर कैमरा। जिसने अपनी पूरी नौकरी में 28 लाख रुपए कमाए उसके घर में 20 लाख रुपए के नोटों के बंडल निकले। लोकायुक्त पुलिस ने गुरुवार को 13 घंटे कार्रवाई की तो ये बातें सामने आईं। सुबह 5.30 बजे पुलिस का दल दो राजपत्रित अधिकारियों सहायक आपूर्ति अधिकारी बीपी जायसवाल व सहायक संचालक एससी पंचोली के साथ ऋषिनगर एक्सटेंशन स्थित मकान नंबर 5 पर पहुंचा। तब पटेल घर पर मौजूद नहीं थे। वे शहर से बाहर थे और घर में पुत्री थी। बाद में करीब 7.30 बजे पटेल पहुंचे। तब तक पुलिस दल घर की तलाशी में जुट गया था। इस प्रकरण से पुराने अधिकारियों पर भी आंच आ सकती है क्योंकि पटेल पूर्व सीईओ अवध श्रोंित्रय के विश्वसनीय थे। उनके ही कार्यकाल में आशियाना इंफोटेक प्रा.लि. को इंदौररोड पर त्रिवेणी विहार योजना में आवंटित भूखंड को बोर्ड द्वारा निरस्त करने के बाद नियमित कर दिया गया था। हाल ही मेें रिश्वत मामले में एक कर्मचारी को ट्रैप किया था। अलमारियों से निकले नोटों के बंडल - कार्रवाई के दौरान कमरों में रखी अलमारियों को खोला गया तो उसमें से नोटों के बंडल मिले। जिनमें 1000, 500 व 100 रुपए के नोट थे। पुलिस का अनुमान है कि लंबे समय से इनको संभालकर रखा गया था।
35 लाख में बंगला बेचने की कोशिश - ऋषिनगर के मकान को पटेल ने वीरबाला पति प्रकाशचंद्र कासलीवाल को 35 लाख रुपए में बेचने की तैयारी कर ली थी। इसके लिए जाहिर सूचना दी थी, जिसमें सात दिन का समय दिया गया था। रजिस्ट्री की कवायद चल रही थी। इसी बीच एडवोकेट अजय गुप्ता ने आपत्ति ली और पटेल सहित वीरबाला कासलीवाल, संपदा अधिकारी, सीईओ व वरिष्ठ जिला पंजीयक को पत्र दिया था। ऑडिट ने भी इस पर आपत्ति ली। इससे रजिस्ट्री पर प्राधिकरण प्रशासन की स्वीकृति नहीं मिली।
सरकार को बताया 9 लाख का - पटेल ने संपत्ति का विवरण सरकार को उपलब्ध कराया था, जिसमें उन्होंने ऋषिनगर एक्सटेंशन स्थित मकान को केवल 9 लाख रुपए का बताया था। एप्रेंटिस से बने लेखाधिकारी: पटेल 1978 में प्राधिकरण में एप्रेंटिस के रूप में आए थे। तब तनख्वाह 150 रुपए थी। एक साल बाद ही जूनियर एकाउंटेंट बने। 1981 में एकाउंटेंट और 2005 में लेखाधिकारी बन गए। तत्कालीन सीईओ अवध श्रोत्रिय के कार्यकाल में संपदा अधिकारी भी बने। लोकायुक्त एसपी अरुण मिश्र के अनुसार पटेल ने पूरी नौकरी में करीब 28 लाख रुपए कमाए। उन पर सेवा रिकॉर्ड में हेराफेरी कर उच्च वेतनमान प्राप्त करने की शिकायत जांच में है।



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