रामकिशोर पंवार ‘‘रोंढावाला’’
रामदेव उर्फ रामकिशन यादव को अपनी कुण्डली बेजान दारूवाला को जरूर दिखानी चाहिए। जिस प्रकार से योग गुरू बाबा रामदेव विवादों में फंसते जा रहे हैं उससे तो ऐसा लग रहा हैं कि बाबा और मैं शनि की साढ़ेसाती से परेशान हैं। इसे संयोग मत कहिए लेकिन बात सोलह आने सच हैं कि रामकिशोर और रामकिशन में मात्रा समान ही हैं। दोनो ही तुला राशी के हैं पंवार और यादव में भी लगभग समानता हैं। बाबा की योग पर और मेरी संयोग पर पकड़ हैं। बाबा लोगों को योग परोस रहे हैं और मैं अपनी लेखनी का सुयोग ..... ऐसे में एक कटु सत्य यह हैं कि इस देश और विदेश में योग गुरू बाबा को रामदेव कह कर पुकारा जाता हैं लेकिन मुझे तो अपने घर के लोग रामूदेव कह कर नही पुकारते हैं। यह बात अलग हैं कि मेरी ससुराल में मेरी सास कभी -कभार मुझे रामूदेव कह देती हैं। उनके जमाने में दामाद को भगवान तुल्य माना जाता था। आपको याद होगा कि जब शिव अपनी ससुराल पहुंचे तो उनकी सास मैना देवी ने उनकी भगवान तुल्य आरती उतारी थी वह इसलिए कि ससुराल में दामाद देव तुल्य होता हैं। बाबा रामदेव तो अपनी सास को सामने लाए बिना ही केवल श्वास को छोडऩे और लेने के चलते देव बन गए। बाबा के बारे में इन दिनो क्या कुछ नहीं छप रहा हैं। लगता हैं कि बाबा का और विवाद का चोली दामन का साथ बन गया हैं। बाबा कुछ नसीहत देते ही विवादों एवं बयानों में ऐसे फंस जाते कि कोई तुफान आने का अंदेशा हो जाता हैं। बाबा रामदेव अन्ना हजारे के लिए उनके अनशन में तो पहुंच गए पर दोनो अन्ना और रमन्ना इस बात को अच्छी तरह से समझ नहीं पा रहे हैं कि कोई भी व्यक्ति खासकर वह भ्रष्ट्राचारी हो या दुराचारी या फिर अत्याचारी उनकी फूटी आंखो में दोनों लोग किरकिरी बने हुए हैं। वैसे भी कोई इसे मजाक समझे या हकीगत लेकिन बाबा भी इस बात को मुस्करा कर स्वीकार कर चुके हैं कि जबसे उन्होने मल्लिका शेरावत को योग क्या सिखाया ससुरी आंखे बार - बार झपक जाती हैं। बाबा रामदेव को साइकिल छाप बता कर बाबा के कुछ आलोचकों ने उन्हे पहले समाजवादी पार्टी का प्रचारक और अब हेलिकाप्टर में घुमने वाला बता कर बनियों की पार्टी कही जाने वाली भाजपा का प्रचारक बताने में कोई कसर नहीं छोड़ी हैं। बाबा को तो अखाड़ा परिषद के दांवो का जवाब तो आखड़ा के मैदान में ही आकर देना होगा कि आखिर उनके गुरू गायब कैसे हो गए। मात्र दस साल में बाबा के पास ऐसा कौन सा अलाऊदीन का चिराग हाथ लग गया कि चारो ओर बस बाबा की ही माया फैलने लगी। ऐसे में तो काशीराम का नाम जपने वाली मायावति का बाबा के खिलाफ कुछ भी बोलना बुरा नहीं लगना चाहिए क्योकि जयललिता की , ममता की सोनिया की , सुषमा , की वसुध्ंारा की मोहमाया का पूरा संसार मायावति के ऐरावत हाथी के सामाने बौने हैं। रामदेव बाबा को लेकर हिन्दु संगठन के लोग ही बाबा पर सबसे अधिक कीचड़ फेकने लगे तो फिर कांग्रेस को हाथ पर हाथ धरे बैठना शोभा देता हैं क्योकि उसका नारा भी हैं सबका साथ, कांग्रेस का साथ हमारे साथ जगन्नाथ हाालकि बिहारी नेता जगन्नाथ मिश्र का कांग्रेस का साथ कुछ ज्यादा दिनों तक रहा नहीं। इस समय पूरे देश में चुनावी महासग्रंाम और अन्ना का अनशन सुर्खियों में रहा। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता का बयान मैं टीवी पर सुन रहा था उनका कहना था कि अन्ना यदि इतने लोकप्रिय हैं तो नगरपालिका का चुनाव लड़ कर बताए...? अन्ना स्वंय भी स्वीकार कर चुके हैं कि वे यदि चुनाव लड़े तो उनकी जमानत जप्त हो जाएगी। अन्ना को दुसरा महात्मा गांधी कहने से मुझे भी दुख हुआ क्योंकि देश में दुसरे महात्मा गांधी का सम्मान सिर्फ एक ही व्यक्ति को मिला था। गफ्फार खान को ही दुसरा गांधी सीमांत गांधी का सम्मान मिला था। सीमांत गांधी ने आजादी की लड़ाई लड़ी हैं वे कई बार जेल तक गए लेकिन अन्ना हजारे जेल जाना तो दूर उन्होने ऐसा मौका किसी को दिया ही नहीं और जेल जाने के पहले ही अपने आन्दोलन से चलता बने। मैं कटट्र कांग्रेसी हूं इसलिए बाबा और अन्ना के बारे में ऐसा लिख रहा हूं ऐसा नहीं हैं। मैं पहले इस देश का नागरिक हूं इसलिए कम से कम से राष्ट्रपिता के नाम का उपयोग हर किसी को करने नहीं दुंगा। मुन्ना भाई एमबीबीएस में संजय दत्त ने गांधी गिरी का तरीका क्या अपनाया कोई आदमी अपनी तुलना गांधी से करवाने में मजा लेने लगा। सवाल यह उठता हैं कि अन्ना और अपने रमन्ना उर्फ रामदेव बाबा का काला इतिहास आखिर ऐसा क्या हैं कि उनकी जब भी चर्चा होती दोनो की भौंहे तन जाती हैं। बाबा रामदेव के योगा आसन को यदि उसकी सफलता का माध्यम माना जाए तो एक बात नहीं भूलनी चाहिए कि योग और संभोग दोनो ही ऐसे विवादास्पद विषय रहे हैं जिस पर जिसने भी खुल कर प्रवचन दिया है या तो रामदेव बन गया या फिर ओशो.... आचार्य रजनीश को मैं मानता हूं क्योंकि उन्होने भारत के मान सम्मान के लिए गोरे विदेशियों के कपड़े उतरवा कर उन्हे अपने पीछे भूखा और नंगा अमेरिकी संसद तक मार्च करवाया। आचार्य रजनीश ने कहा कि समाधी में जाना हैं ईश्वर को पाना हैं तो पहले सब प्रकार का भोग कर लो क्योकि तृप्ति ही आंनद का प्रतीक हैं और संभोग से ही आनंद और परमानंद को प्राप्त किया जा सकता हैं। बाबा रामदेव कहते हैं कि योग निरोगी बनाता हैं लेकिन हमें यह नही भूलना चाहिए कि कुएं से भरी बाल्टी पानी खीचते समय थोड़ी सी लापरवाही भी किसी बड़े हादसे को जन्म दे सकती हैं। बाबा रामदेव के पूरे देश एवं विदेशों में बड़े - बड़े आश्रम हैं आखिर बाबा ने क्या लोगों को संजीवनी बुटी दे दी हैं कि लोग उसका सेवन करने के बाद मरने वाले नहीं हैं। बाबा का किसी भी ब्राण्ड को अपना नाम या काम बता कर बेचना भी एक प्रकार का धंधा हैं। बाबा जाति के ग्वाला हैं वे इस बात को कैसे भूल जाते हैं कि कई बार दुध देने वाली गाय और भैसें लात मार कर कुद जाती हैं ऐसे में वह दुध दुहने वाली को तो मारती हैं साथ ही दुध की बाल्टी अगल पलटा देती हैं। बाबा को और अन्ना दोनो अलग- अलग राज्यों के निवासी हैं। दोनों की वेशभुषा से लेकर भाषा तक अलग हैं लेकिन एक तीसरी तक पढ़ा हैं दुसरा पता नहीं कहां तक ...? एक सरकारी नौकरी में था दुसरा खुद नौकर था। ऐसे में दो चतूर कहे जाने वाले कौवें भूल कर भी कोई ऐसा काम न कर जाए कि पूरे देश को उन पर अफसोस हो जाए। रही बात भ्रष्टाचार की तो इस देश में जब भगवान को ही रिश्वत के रूप में नारियल और प्रसाद चढ़ाने का खुले आम रिवाज चल पड़ा हैं जहां पर बिना कुछ दिये भगवान तक के दर्शन नहीं हो पाते हैं उस देश में भ्रष्टाचार को कैसे समाप्त किया जा सकता हैं। उपहार देना या बेटी बिहा देना भी तो एक प्रकार का भ्रष्टाचार ही हैं। इतिहास के काले पन्नों मे दर्ज राजा - महाराजाओं की संधि भी तो भ्रष्टाचार का एक प्रतिक हैं। कोई स्वेच्छा से देता हैं कोई दुसरी की इच्छा से देता हैं। यदि देश का नागरिक यह समझ ले कि वह किसी टीसी को बिना भेट दिए खड़ा रह कर अपनी यात्रा पूरी कर लेगा तो अपने देश में भ्रष्ट्राचार स्वत: समाप्त हो जाएगा। टीसी पैसे नहीं मांगता हम स्वंय टीसी को पैसे देकर स्वंय के लिए सुविधा चाहते हैं। साहब एक कड़वा सच कहता हूं कि आज कल बच्चे पैदा नहीं होते उसके पहले ही मां बाप उसे जन्म देने का ब्याज तक पाने की इच्छा रखते हैं। क्या इंसान ही बच्चों को जन्म देता हैं जीव - जन्तु नहीं....? आखिर इस देश में जीव जन्तु कभी भ्रष्टाचार के खिलाफ में क्यों नहीं उतरते हैं क्योंकि उन्हे मालूम हो चुका हैं कि इंसान जानवर कहलाने के लायक भी नहीं रहा। ऐसे में रामदेव बाबा और अन्ना बाबा देश में लोकपाल या जगतपाल को ही क्यों न ले आए इस देश का भ्रष्टाचार समाप्त नहीं होने वाला क्योकि किसी शायर ने कहा हैं कि ‘‘हर साख पर उल्लू बैठा हैं, अंजामे गुलिस्तां क्या होगा.....’’ मैं इन सबसे हट कर अपनी सोच रखता हूं कि आदमी आलसी हो गया हैं वह चमत्कार पर भरोसा करने लगा हैं। जो आदमी घर से बाहर नहीं निकल सकता वह व्यक्ति रामदेव या अन्ना हजारे से कोई न कोई चमत्कार की उम्मीद तो रखेगा ही। मुझं अच्छी तरह से याद हैं कि किसी लेखक ने अपने लेख में उदाहरण दिया था कि एक गधे ने दुसरे गधे से ‘‘कहां भाई तू इतना खौफजदा क्यों हैं .....?’’ दुसरे गधे ने कहा कि ‘‘आज से दिल्ली में गधों का सम्मेलन हैं कहीं लोग मुझे मंचासीन न कर दे। यदि ऐसा हो गया तो मेरा मालिक मुझे तो मार ही डालेगा क्योकि उसने मुझसे बार - बार कहा था कि मैं तो इस गधे से बदतर हो गया हूं आज भी पूरे घर के लोग मुझे गधा समझ कर पूरा बोझ डाल देते हैं।’’ यदि मालिक ने मुझसे सवाल कर दिया कि ‘‘तुझे गधा बनने को किसने कहा था...?’’ तब मेरे पास कोई जवाब नहीं होगा। आज का समय आदमी के गधा बनने का ही हैं। हर कोई अपने - अपने हुनर से लोगों को गधा बनाने में लगे हुए हैं। बाबा रामदेव को तो मैं सिर्फ सलाह दे सकता हूं कि भैया एक नाम राशी होने के कारण कम से कम साढ़े साती शनि की महादशा में मेरी तरह आप भी मां सूर्यपुत्री ताप्ती की शरण में आ जाओं , वरना कहीं ऐसा न हो जाए कि शनि की दशा के चलते राजा भोज को गंगू तेली के घर पर नौकर बन कर काम करना पड़ा था। बाबा मेरी बाते माने या न माने उनकी मर्जी क्योंकि उनके द्वारा भी सुबह दोपहर शाम को जो योगासन दिखाये एवं बताये जाते हैं मैं भी नहीं मानता क्योकि जमाना ही खराब आ गया हैं। डाक्टर बोलता हैं ‘‘वेट कम करो’’, बीबी बोलती हैं ‘‘पेट कम करो’’, देने वाला बोलता हैं ‘‘रेट कम करो’’ .....? आखिर किसकी सूने किसकी नहीं...? यदि वेट कम हो जाएगा तो अपनी बात का वजन नही रहेगा, यदि रेट कम हो जाएगा तो लोग चवन्नी छाप समझ कर चवन्नी फेंक कर देगा। इन सबसे हट कर यदि पेट कम हो जायेगा तो बीबी कम से कम पेट पर तो नहीं बैठ पायेगी क्योकि उसे मालूम हैं कि बेड़ोल पेट के कारण वह कई बार स्लीप खा चुकी हैं। अंत में एक बार फिर बाबा रामदेव से कहना चाहता हूं कि ‘‘आंख क्या मारते हो तीर मार दो, बार - बार दुबला होने से अच्छा एक ही बार में मार दो....’’
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