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Tuesday, May 17, 2011

जनसंवेदना ने किया समाजसेवियों का सम्मान

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भविष्यवाणियों के आधार पर कर्म को नहीं त्यागें राजेन्द्र शर्मा

भोपाल। जीवन का यथार्थ मृत्यु है ईश्वर जो करता है वह अच्छा करता है, जीवन में सुख दुःख तो आते जाते हैं, जीवन को सदकार्यों में लगायें। अगला जीवन सुधारने का कार्य जनसंवेदना कर रही है, सदकर्मी अंत में प्रभु को प्राप्त होते हैं। भविष्यवाणियों के आधार पर कर्म को नहीं त्यागें।
उक्त विचार दैनिक स्वदेश समूह के चेयरमैन श्री राजेन्द्र शर्मा ने मानवसेवा को समर्पित संस्था जनसंवेदना की सातवीं वर्षगांठ पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में जीवन का यथार्थ और भाविष्यवाणियों का औचित्य? विषय पर बतौर मुख्य अतिथि के रूप व्यक्त किये। इस अवसर पर सांध्य प्रकाश पत्र समूह के चेयरमैन भरत पटेल, राष्ट्रीय एकता परिषद के उपाध्यक्ष पत्रकार चिंतक एवं विचारक रमेश शर्मा, माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष पुष्पेन्द्र पाल सिंह, संयुक्त सचिव शिक्षा के. के. पाण्डे विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थें श्री राजेन्द्र शर्मा ने कहा कि हिन्दुस्तान तो आकाशवाणियों एवं भविष्यवाणियों का देश रहा है। परन्तु भविष्यवाणियों को आधार बनाकर घर में हाथ पर हाथ रखकर बैठ जाना उचित नहीं है।
उन्होने राजा परीक्षित का उदाहरण देते हुये कहा कि हमें समाज का कृतज्ञ होना चाहिये। ईश्वर में विश्वास करें और जीवन को सदकार्य में लगायें।
सांध्य प्रकाश समाचार पत्र समूह के चेयरमैन भरत पटेल ने कहा कि मनुष्य का जीवन ईश्वर की देन है। जीवन और मरण ईश्वर की कृपा पर निर्भर करता है। भविष्यवाणियों पर विश्वास करने के बजाय कर्म पर विश्वास करें तो भविष्य अपने आप ही सुखमय हो जायेंगा।
राष्ट्रीय एकता परिषद् के उपाध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार चिंतक एवं विचारक रमेश शर्मा ने कहा कि भविष्यवाणियों को वह्म के रूप में माना गया है। भविष्यवाणियों में नही जायें तभी जीवन सार्थक होगे। वचनबद्धता और संकल्प को जीवन का उद्देश्य बनायें।
भगवान राम और राजा दशरथ का उदाहरण देते हुये उन्होनें कहा कि वे सदैव अपने वचन पर अटल रहें।
माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष पुष्पेन्द्र पाल सिंह ने कहा कि भले ही वैज्ञानिक इसमें विश्वास नहीं करते कि भविष्य में क्या होगा, वह क्या था और क्या हैं को मानते है, लेकिन वह उपाय जरूर बताते हैं। शून्य में विलीन मोछ ही मृत्यु हे। भविष्यवाणियॉ मदद जरूर करती है लेकिन इसमें सुखद और अनिष्ट दोनों ही होते है।
संयुक्त सचिव शिक्षा के. के. पाण्डे ने कहा कि भविष्यवाणियां चिंता का विषय होती हैं। भारतीय संस्कृति में कर्म को पिछले जन्म से जोड़ा गया है। कर्म अच्छे है तो कष्ट कम हो जाएगे जन्म पत्री नहीं कर्म पत्री देखें। भविष्यवाणिया आंशिक रूप से सत्य होती हैं वरन देखा जाए तो वह काल्पनिक होती है।
कार्यक्रम में समाज सेवा के विभिन्न क्षेत्रां में विशिष्ट योगदान देने वाले समाजसेवियों सर्वश्री ओम मेहता, दयाल सिंह सलूजा, श्रीमती माधुरी मिश्रा, प्रहलाद दास मंगल, सुश्री गीता माता, सरदार खान, मम्तेश शर्मा, अजय दुबे, प्रमोद नेमा, ललित जैन, शोभराज सुखवानी, जर्नादन सिंह, ओम प्रकाश ह्यारण, भरत पमनानी, दीपक शर्मा का जनसंवेदना अलंकरण से सम्मान किया गया।
इस अवसर पर मिलन म्यूजिकल ग्रुप के कलाकार राजेश खड़का, श्रीमती रानी दुबे, अजय दुबे, गणेश एवं प्रकाश ने भक्ति रस की गंगा बहाई।
कार्यक्रम का शुभारम्भ अतिथिद्वय ने मॉ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित कर किया। कार्यक्रम का संचालन राजकुमार गर्ग ने तथा अतिथियों का पुष्पाहार से स्वागत संस्था के अध्यक्ष राध्श्याम अग्रवाल, मनमोहन कुरापा, टीकाराम यादव, रामबाबू शर्मा, टी. एस. सोखी ने किया। स्वागत उद्बोधन एवं आभार संस्था अध्यक्ष राधेश्याम अग्रवाल ने व्यक्त किया।

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