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Saturday, May 28, 2011

थम नहीं रही कोयले की तस्करी

ब्यूरो प्रमुख // राजेन्द्र कुमार जैन (अम्बिकापुर // टाइम्स ऑफ क्राइम)
ब्यूरों प्रमुख से सम्पर्क : 98265 40182
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अम्बिकापुरकुछ ट्रक पकड़ाए, पुलिस की भूमिका भी संदिग्ध सरगुजा जिले से बड़े पैमाने पर हो रही कोयले की तस्करी के मामले में पुलिस का हाथ भी काला होने से नही बचा है। पिछले कुछ समय से पुलिस ने कोयले की तस्करी को रोकने के लिए जाच पड़ताल तेज कर दी है। और यह कार्रवाई पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी ही अपने स्तर से का रहे है। कोयले के कुछ ट्रक पकड़े भी गये है, मगर ज्यादातर मामलो में पुलिस की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है। कोयले की तस्करी बदस्तूर जारी है। जिले में तस्करी दो तरह से हो रही है। एक ओर एसईसीएल की खदानो से चुरी को कोयला पार हो रहा है तो दुसरी ओर जिले के कुछ क्षेत्रो में जमीन की ऊपरी सतह पर पाये जाने वाले कोयले की अवैध निकासी हो रही है। लखनपुर, भैयाथान, तथा बसंतपुर, थाने क्षेत्र में कोयले की ऐसी अवैध खदाने देखी जा सकती है।
जिन खदानो से करोड़ो का कोयला निकालकर बेचा जा चुका है। कुछ कोयला ट्रांसपोर्ट कंपनियॉ भी इसमें सक्रिय है, जो एसईसीएल कोयला खरीदकर उत्तरप्रदेश ले जाया करती है। ऐसी ही कुछ कंपनियों ने अम्बिकापुर में अवैध रूप से डंप एरिया भी बना लिया है। इन कंपनियों की ट्रके कोयले के परिवहन के लिए कालरी द्वारा जारी किये जाने वाले एक अनुज्ञा पत्र पर कई ट्रक कोयले पार कर रही है। जिले में कोयले की इस तस्कार को पुलिस का संरक्षण बताया जा रहा है। उत्तरप्रदेश के ईट भ_ो में कोयले की मांग बढ़ गई है। बमाया जाता है। कि सरगुजा से जाने वाले दो नम्बर के कोयले की ट्रको का एक बाजार ही वहॉ विकसित हो गया है। ट्रके बाजार में खड़ी हो जाती है। और कोयले क्वालिटी देखकर खरीददार बोली लगाकर पुरा कोयला खरीद लेता है। इस समय इस बाजार में कोयले की भारी मांग है। कोयले की तस्करी में सक्रिय लो इस मौके का पूरा फायदा उठाने उठाने की कोषिष में है। इसी कोषिष में इन निदो जिले में कोयले की तस्करी काफी बढ़ गई है।
वरिष्ठ पुलिस अधिकारियो को कोयले की तस्करी को खूब पता है। वे यह भी जानते है कि थाने के स्तर पर कार्रवाइया कैसी होती रही है। या हो रही है। इसे ही ध्यान में रखते हुए ऐसे मामले वे खुद सक्रिय हो गये है। कोयले की ट्रक बनारस रोड़ होकर उत्तरप्रदेश के लिय निकलती है। बनारस रोड़ पर ही गाधीनगर बेरियर के ठीक सामने पुलिस थाना है। इस थाने मे आजकल वरिष्ठ पुलिस अधिकरी काफी समय दे रहे है। ट्रको को रोककर उसकी जॉच कराते है और कोई आपत्तिजन कारण पकड़ में आता है। तो देहात थाने मे ट्रक को खड़ा करा देते है। पुरी जॉच पड़ताह होने के बाद यह तय किया जाता है कि क्या मामला बन सकता है ? इसी महीने के शुरू में भी कोयले की तस्करी के एक मामले को पुलिस ने पकड़े की कोशिश की थी पुलिस अधिक्षक अपराधो के अनुसंधान के जिस तकनीक के जानकार है, उसमें सफलता मिलने के संभावनाएॅ बहुत अधिक रहती है। ऐसा करके वे इसी जिला मे शुरूआती दिनो में दिखा भी चुके है। जिले में हो रही कोयले की तस्करी को रोकना पुलिस के लिए बहुत कठिन नही है, लेकिन वह इसे कितनी गंभीरता से ले रही है इसका अंदाजा शहर मे कोल ट्रांसपोर्ट कंपनियो द्वारा अवैध रूप से कोल डंपिग एरिया बना लेने से जाहिर है। तात्कालिन कलेक्टर ने जिले में कोयले की तस्करी की बढ़ती शिकायतों को ध्यान में रखते हुए जिले मे कही भी कोयले की डंपिंग पूर्वानुमति के बगैर करने पर रोक लगा दी थी।
शहर में धारा 144 के तहत कोयले की डंपिंग को पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया था। उनका यह आदेश आज प्रभावी है या नही लेकिन जिस तरह से शहर में कोयला डंप किया जा रहा है, उससे साफ है कि आदेश पूरी तरह निष्प्रभावी हो चुका है। कलेक्टर के इस आदेश को लागू करने की जिम्मेदारी पुलिस को दी गई थी । धारा 144 के तहत वह कोयला की अवैध डंपिंग पर कर्रवाई कर सकती थी, लेकिन उसने किसी प्रकार की कार्रवाई नही की । इसे लेकर यदि शहर मे उसकी भूमिका पर संदेह किया जाने लगा है। तो यह कोई अप्रत्याशित बात भी नही रह गई है। खनिज विभाग का कहना है कि किसी भी कोल ट्रांसपोर्ट कंपनी को शहर मे या आसपास कही भी कोयला डंप लाइसेस जारी नही किया है।
खबर तो यह है कि पुलिस कोयले तस्करी को संरक्षण देकर जेबे भरने में मशकुल हैं। कोयले को अवैध उतखन्न एंव तस्करी उसे संरक्षण में आज भी चल रहा है। लखनपुर थाने के गांव गुमगरा, परसोड़ी, अमेरा, चिलबिल और कटकोना में बडे पैमाने पर कोयले का अवैध उत्खन्न होता रहा है। भैयाथान और बसंतपुर थाना क्षेत्र में भी कोयले का अवैध उत्खन्न इसी तरह से हों रहा है। उदयपुर के भकुरमा क्षेत्र में वनभूमि से भी कोयले का अवैध्स उत्खन्न हो रहा है। जानकारी को मोटा अनुमान यह है कि तस्करी के जरिए हर साल करोड़ो का कोयला जिले से पार हो रहा है। जाहिर है करोड़ो के इस अवैध कारोबार को पुलिस का संरक्षण यू ही नही मिल सकता है। वरिष्ठ पुलिस अधिकारियो ने इसे रोकने के लिए जो नई कवायदा शुरू की है, उसका भी कोई नतीजा निकलता हुआ दिखाई नही दे रहा है। अभी तक इक्के दुक्के मामलो मे कार्रवाई के अलावा पुलिस कोयला तस्करो के खिलाप कोई उल्लेखनीय कार्रवाई नही कर पाई है। अलबता कार्रवाइयों में उसकी भूमिका संदिग्ध भी बताई जाने लगी है। विश्रामपुर और भटगंाव कालरियो से कोयले की चोरी बदस्तूर जारी है।
कोयलेा चोरी का पेशा बन चुके लोग कोयले बोरे में भरकर साइकिल से ले जाते हुए मुख्य मार्गो में भी दिख जाते है। इन लोगो से कोयला तस्कर चोरी का यह कोयला खरीद लेते है, और बाद में कोयला लेते है और बाद में यह कोयला या स्थनीय उद्योगो में खपा दिया जाता है या ट्रको में भरकर उत्तरप्रदेश भेज दिया जाता है। कोयला तस्करी में शोगी समर्थक कांग्रेस नेताओं का संरक्षण है।

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