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Wednesday, May 25, 2011

बौखलाये तहसीलदार बहोरीबंदका फर्जी केश दर्ज कराने की षडय़त्र

प्रतिनिधि// उदय सिंह पटेल ( सिहोरा //टाइम्स ऑफ क्राइम )
प्रतिनधि से संपर्क:- 9329848072
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अगर ऐसा हुआ तो कार्यवाही की जायेगी: कलेक्टर कटनी


बहोरीबंद का घोटालेबाज तहसीलदार धुर्वे के खिलाफ सक्त कार्रवाई की मांग वरना आंदोलन की चेतावनी- संरक्षक पत्रकार संघ, तहसीलदार धु्रर्वे को राजनैतिक संरक्षण नियम कानून को बलाए ताक पर रख कर रहा मनमानी


उल्लेखनीय है, कि बहोरीबंद के तहसीलदार धु्रर्वे की कृपा से बचैया ग्राम पंचायत में बहुत सारे लोग जो गरीबी रेखा के अंतर्गत पात्र नहीं हैं। फिर भी उन सम्पन्न लोगों के नाम गरीबी रेखा की सूची में जोड़े गए है। जिसमें उक्त तहसीलदार की मेहरबानी मानी जा रही है। मालुम हो कि 43 वर्षीय आवेदक मनोज तिवारी ने इस बावद आपत्ति उठाई और सूचना अधिकार के तहत बहोरीबंद तहसील की समस्त पंचायतों में निवास कर रहे गरीबी रेखा तथा अतिगरीबी रेखा के तहत जीवन यापन करने वाले हितग्राही (कार्डधारियों) की सूची की जानकारी उपलब्ध कराने हेतु तहसीलदार बहोरीबंद को विगत 2 अप्रैल को एक अर्जी नियमानुसार प्रस्तुत कर उक्त सूची उपलब्ध कराने की मांग की थी।
गौरतलब है, कि तहसीलदार धु्रर्वे द्वारा मांगी गई सूची की जानकारी आवेदक को उपलब्ध नहीं कराई गई और इस हेतु आवेदक को बार-बार पेशी दी गई। किन्तु जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई। जानकारी के अनुसार आवेदक मनोज तिवारी ने तहसीलदार की मिली भगत के कारण सम्पन्न लोगों के नाम गरीबी रेखा की सूची में जोड़े जाने के संदर्भ में लिखित शिकायत कटनी जिला कलेक्टर को पेश की, जिस कारण तहसीदार धु्रर्वे की पोल खुल गई और वह आग बगूला हो गया। जाहिर है, कि जब एक बचैया ग्राम पंचायत में अनेक लोगों के फर्जी नाम गरीबी रेखा की सूची में जोडक़र घोटाला किया गया है। तो बहोरीबंद तहसील की समस्त पंचायतों में न मालुम कितना घोटाला किया होगा। अत: इस प्रकार तहसीलदार बहोरीबंद की कार्यप्रणाली संदिग्ध है जिसकी जांच होना नितान्त आवश्यक है। म.प्र. श्रमजीवी पत्रकार संघ सिहोरा जिला ईकाई ने तहसीलदार धु्रर्वे के खिलाफ आरोपों की जांच कराने की मांग जिला प्रशासन से की है।

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सूचना अधिकार अधिनियम की उड़ा रहा धज्जियां तहसीलदार बहोरीबंद

प्रतिनिधि// उदय सिंह पटेल ( सिहोरा //टाइम्स ऑफ क्राइम )
प्रतिनधि से संपर्क:- 9329848072
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सिहोरा । केन्द्र सरकार ने 10 अक्टूबर 2005 को संसद में सूचना का अधिकार को कानून का अधिकार दर्जा दे दिया है, किन्तु भारत वर्ष के किसी भी केन्द्रीय तथा राज्य सरकार के कार्यालयों में इसका पालन उस ढंग से नही हो रहा है, जिसकी उम्मीद थी। आज भी अधिकारी जनता द्वारा जानकारी तांगे जाने पर या तो जानकारी अपूर्ण या उसके सामने कायदे कानून का इतना झमेला खडा़ कर देते हैं, कि जानकारी मांगने वाला इसकी हिम्मत नहीं जुटा पाता। जिसके कारण शासकीय कार्यालयों में अधिकारी, कर्मचारियों की मनमानी ढर्रा चल रहा है। यदि इसक शीघ्र नहीं रोका गया तो इसके गंभीर परिणाम होंगे। और फिर कोई अन्ना हजारे जैसे लोग आन्दोलन छेडऩे के लिए बाध्य होंगे। उल्लेखनीय है कि सूचना अधिकार क तहत जानकारी मांगने हेतु आवेदक मनोज तिवारी ने एक आवेदन पत्र तहसीलदार बहोरीबंद को प्रेषित कर और गरीबी रेखा के अंतर्गत 2008 में नये नामों को जोड़ा गया थ। अत: आदेश की कॉपी माँगी गई थी। किन्तु उन्होंने उक्त आदेश की कॉपी नहीं दी, बल्कि आवेदक को बार बार पेशी दी गई, जिस कारण आवेदक जानकारी के लिए तहसीलदार बहोरीबंद के कार्यालय के चक्कर लगाते लगाते हताश हो गया। गौरतलब है कि इस प्रकार अधिकारी सूचना अधिकार अधिनियम 2005 की धज्जियों किस तरह उड़ा रहे है यह बात किसी से छिपी नहीं है। जिला प्रशासन इस ओर भी ध्यान दे। यह जनता ने मांग की है।

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