Pages

click new

Thursday, May 26, 2011

बाबा का असली ''संघी'' चेहरा

डॉ पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' Mob : 98285-02666

toc news internet chainal
बाबा रामदेव भगवान के लिए कुछ तो बोलिए राजीव दीक्षित की मौत का राज तो खोलिए
रामदेव ने योग के नाम पर इस देश के लोगों के दिलों में तथाकथित सर्वोच्च स्थान बनाया। लोगों के स्वास्थ्य के लिये बाबा ने बहुत बड़ा काम किया हैं। लोगों को अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक बनाया। कुछ समय बाद राजीव दीक्षित नाम के एक विद्वान व्यक्ति को साथ में लेकर अपने मंच से और आस्था चैनल के माध्यम से तथ्यों तथा आंकड़ों के आधार पर घर-घर में जानकारी दी गयी कि देश के राजनेता न मात्र भ्रष्ट हैं, बल्कि ऐसी व्यवस्था को देश में लागू किया जा रहा है कि जिसके चलते देश को लूटकर विदेशी कम्पनियॉं भारत के धन को विदेशों में ले जा रही हैं।
जब श्री दीक्षित जी बाबा रामदेव के मंच से आँकड़ों सहित यह जानकारी देते तो लोगों का तालियों के रूप में अपार समर्थन मिलता था, लेकिन ये क्या जो बाबा रामदेव लाखों लोगों के हृदय रोग का सफलतापूर्वक उपचार करने का दावा करते रहते हैं, उन्हीं का अनुयाई, उन्हीं का एक मजबूत साथी पचास साल की आयु पूर्ण करने से पहले ही हृदयाघात के चलते असमय काल के गाल में समा गया। जिसका दाह संस्कार करने में साथ जाने वालों का आरोप है कि मृतक को हृदयाघात नहीं हुआ, बल्कि उसे कथित रूप से जहर दिया गया था, क्योंकि उसका शव नीला पड़ गया था! कौन था यह इंसान? जो बाबा रामदेव का इतना करीबी होते हुए भी हृदयाघात का शिकार हो गया और जिसका शव नीला पड़ जाने पर भी, जिसका पोस्टमार्टम तक नहीं करवाया गया? वो दुर्भाग्यशाली व्यक्ति राजीव दीक्षित ही था।
राजीव दीक्षित बाबा के अभियान के लिये रात दिन एक करके तथ्य और आँकड़े जुटा कर बाबा के लिये राजनैतिक भूमि तैयार कर रहा था, जिसे कथित रूप से इस बात का इनाम मिला कि वह बाबा के मंच से बाबा से अधिक पापूलर (लोकप्रिय) होता जा रहा था। बाबा से ज्यादा लोग राजीव दीक्षित को सुनना पसन्द करने लगे थे। राजीव दीक्षित के चले जाने के बाद अनेक कथित हिन्दू सन्तों का आरोप है कि राजीव दीक्षित की मौत नहीं हुई, बल्कि उसकी हत्या करवाई गयी। जिसमें बाबा रामदेव सहित, उनके कुछ बेहद करीबी लोगों पर सन्देह है! इस प्रकार बाबा रामदेव का आन्दोलन योग से, स्वदेशी और राजीव दीक्षित के अवसान के रास्ते चलता हुआ ’’भारत स्वाभिमान’’ की यात्रा पर निकल पड़ा है।
देश भर में अनेकों लोगों द्वारा बाबा पर बार-बार आरोप लगाये जाते रहे हैं कि उनका असली या छुपा हुआ ऐजेण्डा हिन्दुत्वादी ताकतों और संघ सहित भाजपा को लाभ पहुँचाना है, लेकिन बाबा की ओर से इन बातों का बार-बार खण्डन किया जाता रहा है। यद्यपि सूचना अधिकार कानून के जरिये यह बात प्रमाणित हो चुकी है कि देश के लोगों से राष्ट्र के उत्थान के नाम पर लिए गए चंदे में से बाबा के ट्रस्ट से भारतीय जनता पार्टी को चुनावी खर्चे के लिये लाखों रुपये तो चैक से ही दिये गये हैं। बिना चैक नगद कितने दिये गये होंगे, इसकी केवल कल्पना ही की जा सकती है! इस प्रकार बाबा का असली ’’संघी’’ चेहरा जनता के सामने आने लगा है। ’’भारत स्वाभिमान’’ के समर्थकों की ओर से जनता को बेशक बेवकूफ बनाया जाता हो कि बाबा का संघ या भाजपा या नरेन्द्र मोदी के मकसदों को पूरा करने से कोई वास्ता नहीं है,
लेकिन कथित राष्ट्रवाद और हिन्दुत्व के प्रखर समर्थक लेखक श्री सुरेश चिपलूनकर जी, जो अनेक मंचों पर संघ, हिन्दुत्व, राष्ट्रवाद, संस्कृति, रामदेव और भारत स्वाभिमान के बारे में अधिकारपूर्वक लम्बे समय से लिखते रहे हैं। जिनके बारे में कहा जाता है कि वे तथ्यों और सबूतों के आधार पर ही अपनी बात कहना पसन्द करते हैं यही नहीं, इनके लिखे का आर एस एस, विश्व हिन्दू परिषद् और भाजपा से जुड़े हुए तथा कथित राष्ट्रवाद, हिन्दुत्व और भारतीय संस्कृति के समर्थक लेखक, विचारक तथा टिप्पणीकार आँख बंद करके समर्थन भी करते रहे हैं। ऐसे विद्वान समझे जाने वाले संघ, नरेन्द्र मोदी, भाजपा और बाबा रामदेव के पक्के समर्थक लेखक श्री सुरेश चिपलूनकर रामदेव अण्णा भगवा गाँधी टोपी सेकुलरिज़्म? (भाग-2)शीर्षक से लिखे गए और प्रवक्ता डोट कॉम पर 27 अप्रेल, 2011 को प्रकाशित अपने एक लेख में साफ शब्दों में लिखते हैं कि- ’’......बाबा रामदेव देश भर में घूम-घूमकर कांग्रेस, सोनिया और भ्रष्टाचार के खिलाफ़ माहौल तैयार कर रहे थे, सभाएं ले रहे थे,
भारत स्वाभिमान नामक संगठन बनाकर, मजबूती से राजनैतिक अखाड़े में संविधान के तहत चुनाव लडऩे के लिये कमर कस रहे थे, मीडिया लगातार 2जी और कलमाडी की खबरें दिखा रहा था, देश में कांग्रेस के खिलाफ़ जोरदार माहौल तैयार हो रहा था, जिसका नेतृत्व एक भगवा वस्त्रधारी (बाबा रामेदव) कर रहा था, आगे चलकर इस अभियान में नरेन्द्र मोदी और संघ का भी जुडऩा अवश्यंभावी था। विवादो में रहना बाबा की फितरत रही हैं इसालिए वे हमेशा लोगो के निशाने पर रहते हैं। बाबा पर अपने ही गुरू की हत्या करने का आरोप कोई आम आदमी ने नहीं बल्कि देश भर के साधु संतो की जमात ने लगाया हैं।

लेखक डॉ। पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' राष्ट्रीय संगठन-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास) के मुख्य संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।

No comments:

Post a Comment