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Thursday, June 2, 2011

दैनिक भास्कर वालों के अवैध माल को तोड़ने की हिम्मत है शिवराज सरकार में!

: मध्य प्रदेश सरकार की जेब में है दैनिक भास्कर, इसलिए शिवराज की आंखें बंद :
सिर्फ एक मीडिया समूह के माल तोड़ने से शिवराज की शुचिता पर उठने लगे सवालिया निशान
: सरकारी कार्रवाई की बढ़ चढ़कर रिपोर्टिंग कर रहा है दैनिक भास्कर ताकि सरकार खुश रहे
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मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में राज एक्सप्रेस के अवैध निर्माण के चर्चे तो शहर के अखबारों और न्यूज चैनलों में आम है.

न केवल राजधानी के बल्कि इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर के अखबारों और न्यूज चैनलों ने भी प्रमुखता से कवर किया. इस मुद्दे की लोकप्रियता को देखते हुए सबसे ज्यादा इस पर दैनिक भास्कर लिख रहा है, क्योंकि इस तरह के जमीन के काले धंधे से राज के साथ-साथ भास्कर भी बहुत गहरे तक जुड़ा हुआ है और उसे डर है कि यदि वह इस लड़ाई में प्रशासन का साथ नहीं देगा तो यही गाज उस पर भी गिर सकती है. गौरतलब है कि भोपाल में भास्कर वालों का प्रदेश का सबसे बड़ा माल ''डीबी सिटी'' बना हुआ है. वह भी शासकीय नियमानुसार अवैध है.
साथ ही भास्कर कार्यालय की पार्किंग और एक कॉलोनी भी शासन के नियमों के खिलाफ निर्मित है. भोपाल के अलावा ग्वालियर और जबलपुर में भी भास्कर के अवैध निर्माण का मुद्दा तेजी से तूल पकडता जा रहा है. जबलपुर में तो मॉल के नियमविरुद्व निर्माण के कारण उसे प्रशासन द्वारा बिजली कनेक्शन नहीं दिया जा रहा है. दैनिक भास्कर प्रशासन को खुश करने की गरज से राज एक्सप्रेस के खिलाफ एक के बाद एक नई खबरें प्रकाशित कर रहा है. वहीं कुछ अखबारों ने भास्कर के अतिक्रमण की पोल खोलना भी शुरू कर दिया है. भास्कर के अवैध निर्माणों की हकीकत जानकर भोपाल वाले हैरान हैं कि इस तरह राज के अतिक्रमण के खिलाफ बड़ी-बड़ी खबरें छापने वाला खुद करोड़ों की जमीन पर अतिक्रमण का फन फैलाए बैठा है.
इन सबके बीच प्रशासन को भी भास्कर में अपने मनमाफिक खबर छपवाने का मौका मिल गया क्योंकि भास्कर के अवैध निर्माणों के खिलाफ जो दबाव प्रशासन पर बनाया जा रहा है उसका खौफ दिखाकर वह भास्कर को अपने फेवर में खबर छापने को बाध्य कर रहा है. आखिर वही हुआ जो कि दूसरे अखबार सदैव से मध्यप्रदेश के पाठकों को समझाने का प्रयास कर रहे थे कि एक ऐसा अखबार कैसे निष्पक्ष खबरें प्रकाशित कर सकता है जो खुद दो नंबर के कार्यों में लिप्त हो और प्रशासन के दबाव में कार्य करता हो.
उधर, अब शिवराज सिंह चौहान, मुख्यमंत्री, पर भी उंगलियां उठ रही हैं. लोग उन्हें दोगले और पूर्वाग्रह से ग्रस्त बताने लगे हैं. आखिर अवैध निर्माण के नाम पर सिर्फ एक उसी बिल्डर को क्यों परेशान किया जा रहा है जिसका अखबार लगातार शिवराज के खिलाफ खबरें छाप रहा था. वही सब नियम पैमाना तो भास्कर वालों पर भी लागू होना चाहिए. पर भास्कर शिवराज की जेब में है, इसलिए शिवराज उसे संरक्षित कर रहे हैं और भास्कर कूद कूद कर शिवराज के फेवर में और राज एक्सप्रेस के खिलाफ खबरें छाप रहा है. पिछले दिनो पत्रिका अखबार ने मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों में भास्कर वालों द्वारा किए गए अवैध निर्माणों के खिलाफ जोरशोर से खबरें प्रकाशित कीं. तब जाकर मध्य प्रदेश के पाठकों को पता चला कि वे जिस अखबार पर इतना भरोसा करते हैं, उसका प्रबंधन किस किस तरह के धंधों में लिप्त है.
भोपाल से एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित

bhadas 4 midia

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