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Sunday, June 26, 2011

पहली दलित महिला आत्मकथा ’दोहरा अभिशाप’ की लेखिका कौशल्या बैसंत्री का निधन

खबर / पहली दलित महिला आत्मकथा ’दोहरा अभिशाप’ लिखने वाली सुप्रसिद्ध दलित लेखिका कौशल्या बैसंत्री का दिनांक २४.०६.११ को परिनिर्वाण हो गया । इस दुखद खबर पर दलित लेखक संघ उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि देता है । और उनके शोकाकुल परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करता है । इस दुखद घटना पर दलित लेखक संघ के पदाधिकारियों नें अपनी भावनाएं व्यक्त की । प्रो. तुलसी राम (अध्यक्ष, दलेस) ने श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि कौशल्या बैसंत्री जैसी सशक्त महिला रचनाकार का हमारे बीच में न रहना दलित साहित्य और समाज के लिए अपूर्णीय क्षति है । उनके लेखन में दलित महिलाओं के उत्पीड़न और संघर्ष की सशक्त अभिव्यक्ति मिलती है । जो पुरुषवादी मानसिकता पर गहरा प्रहार करती है ।

प्रो. विमल थोरात (संरक्षक, दलेस) ने अपनी संवेदनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि ’दोहरा अभिशाप’ दलित महिला आत्मकथा की लेखिका कौशल्या बैसंत्री ने अपनी आत्मकथा के माध्यम से दलित स्त्री मुक्ति के संघर्ष को मजबूत और विकसित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है । उनके लेखन ने दलित महिला रचनाकारों को प्रेरणा और बल दिया । उनका निधन निश्चित ही हमारे लिए गहरी क्षति है ।

प्रो. हेमलता महिश्वर (उपाध्यक्ष, दलेस) ने कौशल्या बैसंत्री के प्रति श्रद्धासुमन प्रकट करते हुए कहा कि कौशल्या जी ने स्त्री लेखन, मुक्ति और संघर्ष को नए आयाम दिए है । दलित साहित्यिक आंदोलन में उनका योगदान सदा याद किया जाता रहेगा ।

डॉ. राम चन्द्र (महासचिव, दलेस) ने अपनी संवेदनाओं में कहा कि दलित साहित्य में महिला रचनाकारों का अभाव है । ऐसे में कौशल्या बैसंत्री द्वारा पहली दलित महिला आत्मकथा का लिखा जाना अपने आप में साहसपूर्ण और चुनौतियों से भरा था । कौशल्या जी ने इस साहस को निभाया और अन्य दलित महिला लेखिकाओं की प्रेरणास्रोत बनी । दलित साहित्य में उनका योगदान अविस्मरणीय है ।

डॉ. सूरज बड़त्या (सदस्य, दलेस) ने कहा कि कौशल्या बैसंत्री ने अपने लेखन में जातीय उत्पीड़न के साथ साथ पुरुष प्रधान समाज की विषमताओं को सामने रखा । स्त्रियों के दोहरे अभिशाप का दर्द अभिव्यक्त किया । उन्होंने ही दलित महिला लेखन को मजबूत आधार दिया । दलित साहित्य में उनकी उपस्थिति सदा बनी रहेगी ।

दिलीप कठेरिया (कोषाध्यक्ष, दलेस) ने कहा कि दलित साहित्य को उन्नत करने में प्रथम दलित महिला आत्मकथा की लेखिका कौशल्या बैशंत्री की भूमिका महत्वपूर्ण है । वे रचनाकार के साथ साथ आंदोलनकर्मी भी थी । पितृसत्तात्मक समाज में दलित स्त्रियों के जातीय व स्त्री आधारित उत्पीड़न, दर्द को अपने लेखन में अभिव्यक्त किया । उन्होंने अपनी रचनाओं से दलित महिला मुक्ति के संघर्ष को विकसित किया । उनका नाम दलित साहित्य में प्रमुख बना रहेगा ।

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प्रस्तुति-दिलीप कठेरिया
कोषाध्यक्ष, दलित लेखक संघ, नई दिल्ली


Dalip Katheria
Associate Fellow
Indian Institute of Dalit Studies (IIDS)
D-2/1, Road No. 4, Andrews Ganj, New Delhi
Ph. 011-26252081, 26251807
Mob. No. 9811135667 begin_of_the_skype_highlighting 9811135667

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