Pages

click new

Wednesday, July 13, 2011

इलाज के अभाव में काल के गाल में समा गयी सविता

सिटी चीफ // आनंद कुमार नेमा (नरसिंहपुर // टाइम्स ऑफ क्राइम)
प्रतिनिधि से संपर्क:- 94246 44958
toc news internet channal

नरसिंहपुर। एक ओर शासन जहां जननी सुरक्षा गर्भवती महिलाओं को सुविधायें प्रदान करने नित नई योजनायें चला रही है। वहीं ग्रामीण क्षेत्र की रहने वाली एक वर्ष पूर्व ही ब्याहकर आई नवविवाहिता अपनी पहली संतान को जन्म देने के पूर्व त्वरित इलाज के अभाव में जिला चिकित्सालय पहुंचते ही काल के गाल में समा गयी।

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार ग्राम गंगई निवासी चोखेलाल सेन का एक वर्ष पूर्व २० जून को विवाह सविता सेन के साथ हुआ था। जिसकी डिलेवरी का समय चल रहा था अचानक पेट दर्द होने की स्थिति में परिजनों ने आशा कार्यकत्र्ता को फोन करके बुलाया।
आशा कार्यकत्र्ता मौके पर पहुंची और सविता सेन की बिगड़ती हालत देख उसने जननी सुरक्षा का वाहन सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र से गंगई आने कहा लेकिन उसे यह कहकर टाल दिया गया कि वाहन लाने को नहीं ले जाने के लिए है। समय ज्यादा होता देख परिजन किसी भी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र आये एवं उसकी गंभीर हालत को देखते हुए त्वरित नरसिंहपुर जिला चिकित्सालय ले जाने कहा, मरता क्या नहीं करता की स्थिति में त्वरित जिला चिकित्सालय ले जाया गया जहां भर्ती कराकर उपचार प्रारंभ हुआ ही था की प्रसव होने के पूर्व ही उसका अंत हो गया। चूंकि तेंदूखेड़ा तहसील मुख्यालय के लिए यह कोई पहली घटना नहीं है ऐसी अनेक महिलाएं असमय काल के गाल में समाती चली जा रही है, महिला विशेषज्ञ डाक्टर की नियुक्ति को लेकर लगभग डेढ दशक से हमेशा मांग उठती रहती है लेकिन आवाज नक्कार खाने में तूती की आवाज बनकर रह जाती है। प्रश्न उठता है कि यदि समय पर वाहन व्यवस्था हो जाती या त्वरित इलाज मिल जाता तो उस युवती को भी बचाया जा सकता था एक परिवार बनने के पूर्व नहीं उजड़ पाता?
आज तेंदूखेड़ा एवं आसपास ग्रामीण क्षेत्रों की कुल आबादी मिलाकर १ लाख से अधिक जनसंख्या होगी, इस पूरे क्षेत्र में ६० से १२० किमी के दायरे में एक भी महिला विशेषज्ञ डाक्टर नहीं है जहां महिलाएं अपना इलाज करा सके यहां तक कि सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में पदस्थ महिला स्वास्थ्य कार्यकत्र्ताओं का स्थानांतरण कर दिया गया है जिनके बदले में एक भी नई कार्यकतर्ता नहीं आई एक मात्र स्टाफ नर्स के हवाले अस्पताल चल रहा है कर्मचारियों सुविधाओं का आज भी अभाव है। स्थिति यह है कि प्रत्येक रविवार को प्रायवेट चिकित्सा इलाज के मान से एक शासकीय महिला विशेषज्ञ डाक्टर तेंदूखेड़ा आती है जिनके पास करीब १५० से २०० महिलाए इलाज कराने सुबह से शाम तक नंबर लगाकर इलाज कराती है।
शासन जिस तरह खुद की तरीफों के पुल बांधता है उसके विपरीत अधिकारी कर्मचारी योजनाओं को पलीता लगा रहे है क्योंकि योजनाओं को क्रियान्वित करने वाली कड़ी ही कर्मचारी है। तेंदूखेड़ा आज जरूर नगर पंचायत और तहसीली अंदाज में कागजों पर काले घोड़े दौड़ा रहा है पर मूलभूत सुविधाओं का आज भी अभाव है लोग अपनी जरूरतों की पूर्ति के लिए १०० से २०० किमी दूर जाकर भटक रहा है। समय ही बढ़ती रफ्तार और जनसंख्या के बढ़ते घनत्व को देखते हुए सुविधाओं का विस्तार होना जरूरी है।च

No comments:

Post a Comment