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Wednesday, July 20, 2011

डूब रहे है गरीब बच्चें अंधकार की चपेट में

ब्यूरो प्रमुख // राजेश रजक (सागर //टाइम्स ऑफ क्राइम)
प्रतिनिधि से संपर्क:- 94065 56846
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सागर . शासन द्वारा बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोडऩे की तमाम योजनाएं नाकाफी सिद्ध हो रही है। आज भी केवल दर्जनों की संख्या में 8 से 14 वर्ष के बच्चें सडक़ों पर भीख मांगकर एवं पन्निया बीनकर अपने भविष्य की तलाश करते नजर आ रहे है। शिक्षा विभाग द्वारा शाला त्यागी बच्चों को स्कूली शिक्षा से जोडऩे के आंकड़े झूठे साबित हो रहे है। सर्वशिक्षा अभियान के तहत अप्रवेशी बालकों करे शिक्षा की मुख्यधारा से जोडऩे के लिए ब्रिज कोस, सेटेलाईट शाला, शिशु गृह केन्द्र, बालश्रम परियोजना, मानव विकास केन्द्र खोल गए है।
जो बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोडऩे का कार्य कर रहे है। बावजूद इसके अभी सैकड़ों बच्चें स्कूली शिक्षा से दूर है। अप्रवेशी बच्चों का सर्वशिक्षा अभियान के तहत शिक्षा की मुख्यधारा से जोडऩे की योजना कागजों पर तो शतप्रतिशत सफल नजर आ रही है। मगर धरातल पर सारी योजनाएं फ्लॉप शो साबित हो रही है। दर्जनों की संख्या में 8 से 14 वर्ष के बच्चें सडक़ों पर भीख मांग कर योजनाओं के सफल होने की पोल खोल रहे है। - बचपन कर रहे है तबाह - 2 दर्जन से अधिक बच्चें शहर की सडक़ों पर मिले है, जो भीख मांगकर एवं पन्नियां बीनकर अपने बचपन को तबाह कर रहे है। ऐसे बच्चों के माता-पिता से संपर्क कर स्कूल भेजने को प्रेरित कर रहे है।
टाइम्स ऑफ क्राइम टीम ने शहर में ऐसे बच्चों का सर्वे किया जो पढऩे की उम्र में 2 वक्त की रोटी के लिए भीख मांगने के अलावा होटलों एवं ढाबों पर मजदूरी कर रहे है। स्टेशन क्षेत्र में ही आधा दर्जन से अधिक बच्चें परिवार की आर्थिक स्थिति के चलते भीख मांगने को मजबूर है। अभी तक कई बच्चों ने स्कूल का मुंह भी नहीं देखा है। या पन्नियां बीनकर रोटी जुगाड़ करते है। इन बच्चों को अपने माता पिता का नाम भी मालुम नहीं है। इसके अलावा शहर की होटलों एवं ढाबों पर भी कई बच्चें पढऩे की उम्र में मजबूरी में कप-प्लेट धोते े नजर आए। कई बच्चें अन्य बच्चों की तरह बस्ता लेकर स्कूल जाना चाहते है। मगर चाहते हुए भी गरीबी के कारण वह अपनी हसरत पूरी नहीं कर पा रहे है।

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