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Monday, July 25, 2011

दिग्विजय सिंह गद्दारों का वंशज :ह्त्या का आरोपी !!

हटमल को जैसे संस्कार अपने पुरखों से मिलते हैं ,उसके अनुरूप ही उसका स्वभाव ,चरित्र और विचार बन जाते हैं .यह एक निर्विवाद सत्य है .और दिग्विजय के ऊपर पूरी तरह से लागू होती है .दिग्विजय खुद को प्रथ्वी राज चौहान का वंशज बताता है .लेकिन इसका कोई प्रमाण नहीं मिलता है .दिग्विजय क्षत्रिओं की एक उपजाति "खीची "से सम्बंधित है .इसका विवरण "खीची इतिहास संग्रह "में मिलता है .इसके लेखक A .H .Nizami और G .S .Khichi है .पुस्तक का संपादन R .P .Purohit ने किया है .किताब "खिची शोध संस्थान जोधपुर "से प्रकाशित हुई थी .एक और पुस्तक "Survay of khichii History "में खीचियों के बारे में जानकारी मिलती है .खिची धन लेकर किसी राजा के लिए युद्ध करते थे .आज दिग्विजय खुद को मध्य प्रदेश में गुना जिला के एक छोटी सी रियासत "राघोगढ़ "का राजा कहता है .उसके चमचे उसे दिग्गी राजा पुकारते है .
1 -दिग्विजय का पूर्वज कौन था
पुस्तक के अनुसार दिग्विजय के हाथों जो रियासत मिली एक "गरीब दास "नामके सैनिक को अकबर ने दी थी .जब राजपुताना और मालवा के सभी क्षत्रिय राणा प्रताप के साथ हो रहे थे .गरीब दास अकबर के पास चला गया .अकबर ने उसकी सेवा से प्रसन्न होकर मालवा के सूबेदार को हुक्म भेजा की गरीब दास को एक परगना यानि पांच गाँव दे दिए जाएँ . गरीब दास की मौत के बाद उसके पुत्र "बलवंत सिंह (1770 -1797 ) ने इसवी 1777 में बसंत पंचमी के दिन एक गढ़ी की नींव रखी और उसका नाम अपने कुल देवता "राघोजी "के नाम पर "राघोगढ़ "रख दिया था .
कर्नल टाड के इतिहास के अनुसार बलवंत सिंह ने 1797 तक राज किया .और अंगरेजों से दोस्ती बढ़ाई.जब सन 1778 में प्रथम मराठा युद्ध हुआ तो बलवंत सिंह ने अंगरेजी फ़ौज की मदद की थी
इसका उल्लेख जनरल Gadred ने "Section from State Papers .Maratha Volume I Page 204 में किया है .बलवंत सिंह की इस सेवा के बदले कम्पनी सरकार ने Captain fielding की तरफ से बलदेव सिंह को पत्र भेजा ,जिसमे लिखा था कंपनी बहादुर की तरफ से यह परगना जो बालामेटमें है उसका किला राघोगढ़ तुम्हें प्रदान किया जाता है और उसके साथ के गावों को अपना राज्य समझो .यदि सिंधिया सरकार किसी प्रकार का दखल करे तो इसकी सूचना मुझे दो ..
बाद में जब 1818 में बलवंत सिंह का नाती अजीत सिंह (1818 -1857 )गद्दी पर बैठा तो अंगरेजों के प्रति विद्रोह होने लगे था ,अजीत सिंह ने ग्वालियर के रेजिडेंट को पत्र भेजा कि,आजकल महाराज सिंधिया बगावत की तय्यारी कर रहे हैं .उनके साथ झाँसी और दूसरी रियासत के राजा भी बगावत का झंडा खड़ा कर रहे हैं .इसलिए इन बागियों को सजा देने के लिए जल्दी से अंगरेजी फ़ौज भेजिए ,उस पत्र का जवाब गवालियर के रेजिडेंट A .Sepoyrs ने इस तरह दिया "आप कंपनी की फ़ौज की मदद करो और बागियों साथ नहीं दो .आप हमारे दोस्त हो ,अगर सिंधिया फ़ौज येतो उस से युद्ध करो .कंपनी की फ़ौज निकल चुकी है .
लेकिन सन 1856 में एक दुर्घटना में अजीत सिघ की मौत हो गयी .उसके बाद 1857 में उसका लड़का "जय मंगल सिंह "(1857 -1900 )गद्दी पर बैठा इसके बाद "विक्रमजीत सिंह राजा बना (1900 -1902 (.लेकिन अंग्रेज किसी कारण से उस से नाराज हो गए .और उसे गद्दी से उतार सिरोंज परिवार के एक युवक "मदरूप सिंह "को राजा बना दिया जिसका नाम "बहादुर सिंह "रख दिया गया ( 1902 -1945 )अंगरेजों की इस मेहरबानी के लिए बहादुर सिंह ने अंगरेजी सरकार का धन्यवाद दिया और कहा मैं वाइसराय का आभारी हूँ .मैं वादा करता हूँ कि सरकार का वफादार रहूँगा .मेरी यही इच्छा है कि अंगरेजी सरकार के लिए लड़ते हुए ही मेरी जान निकल जाये .
इसी अंगरेज भक्त गद्दार का लड़का "बलभद्र सिंह "हुआ जो दिग्विजय का बाप है .बलभद्र का जन्म 1914 में हुआ था और इसके बेटे दिग्विजय का जन्म 28 फरवरी 1947 को इन्दौर में हुआ था .
बलभद्र सिंह ने मध्य भारत (पूर्व मध्य प्रदेश )की विधान सभा का चुनाव हिन्दू महा सभा की सिट से लड़ा था .और कांग्रेस के उम्मीदवार जादव को हराया था .सन 1969 में दिग्विजय ने भी नगर पालिका चुनाव कांग्रेस के विरुद्ध लड़ा था .और जीत कर अध्यक्ष बन गया था .
लेकिन इमरजेंसी के दौरान गिरफ्तारी से बचने लिए जब दिग्विजय अपने समाधी "अर्जुन सिघ "के पास गया तो उसने कांग्रस में आने की सलाह दी .और कहा यदि जागीर बचाना है तो कांग्रेस में आ जाओ .
इस तरह दिग्विजय का पूरा वंश अवसरवाद ,खुशामद खोरी .और अंगरेजों सेवा करने लगा है
इसी कारण से जब दिग्विजय उज्जैन गया था तो वहां के भाजयुमो के अध्यक्ष "धनञ्जय शर्मा "ने सबके सामने गद्दार करार दिया था .ओर सबूत के लिए एक सी डी बी पत्रकारों को बांटी थी (पत्रिका शुक्रवार 22 जुलाई 2011 भोपाल )
2 -दिग्विजय ने कांग्रेसी नेत्री की हत्या करवायी !
अभी तक अधिकांश लोग इस बात का रहस्य नहीं समझ पा रहे थे कि दिग्विजय R .S .S और हिदुओं से क्यों चिढ़ता है .अभी अभी इसका कारण पता चला है .यद्यपि यह घटना पुरानी है .इसके अनुसार 14 फरवरी 1997 को रत के करीब 11 बजे दिग्विजय उसके भी लक्ष्मण सिंह और कुछ दुसरे लोगों ने "सरला मिश्रा "नामकी एक कांग्रेसी नेत्री की कोई ज्वलन शील पदार्थ डाल कर हत्या कर दी थी .और महिला को उसी हालत में जलता छोड़कर भाग गए थे .इतने समय के बाद यह मामला समाज सेवी और बी जे पी के पूर्व पार्षद महेश गर्ग ने फिर अदालत में पहुंचा दिया है और सी .जे .एम् श्री आर .जी सिंह के समक्ष ,दिग्विजय सिंह ,उसके भाई लक्षमण सिंह ,तत्कालीन टी आई एस.एम् जैदी ,नायब तहसीलदार आर .के.तोमर ,तहसीलदार डी.के. सत्पथी ,डा .योगीराज शर्मा .ऍफ़.एस.एल के यूनिट प्रभारी हर्ष शर्मा और नौकर सुभाष के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 ,201 .212 ,218 ,120 बी ,और 461 अधीन मामला दर्ज करने के आदेश देने के लिए आवेदन कर दिया है .फरियादी महेश गर्ग ने धारा 156 .3 यह भी निवेदन भी किया है कि उक्त सभी आरोपियों के विरुद्ध जल्दी कार्यवाही कि जाये .इसपर सी. जे. एम् महोदय ने सुनवाई की तारीख 28 जुलाई तय कर दी है .यही कारण है कि दिग्विजय सभी हिन्दुओं का गालियाँ देता है (दैनिक जागरण 23 जुलाई 2011 भोपाल )
हम सब जानते है कि आपसी विवाह सम्बन्ध करते समय परिवार का खानदान देखा जाता है .नियोजक किसी को नौकरी देते समय आवेदक की पारिवारिक पृष्ठभूमि देख लेते है .यहांतक जानवरों की भी नस्ल देखी जाती है .
फिर गद्दारों की संतान गद्दार देश भक्त कैसे हो सकते हैं .विदेशी अंगरेजों के चमचे विदेशी सोनिया चमचागिरी क्यों न करेगा .ऐसा व्यक्ति कुत्ते से भी बदतर है ,कुत्ता अपनो को नहीं काटता है .इसने तो कांग्रेसी महिला नेत्री की निर्दयता पूर्वक हत्या करा दी .

http://bhandafodu.blogspot.com/2011/07/blog-post_24.html




RAGHOGARH (Thikana)


AREA: xx km2 REVENUE: xx ACCESSION: xx
STATE: Madhya Pradesh (Gwalior) DYNASTY: Khichi Chauhan RELIGION: Hindu

POPULATION: 16,920 (1892)




PRESENT RULER: Raja DIGVIJAY SINGH (1967/-) (P.O. Raghogarh, Distt. Guna-473 001, Madhya Pradesh)
Raja Digvijay Singh of Raghogarhborn 28th February 1947 in Indore, Madhya Pradesh , B.E. (Mechanical), educated at Daly College and S.G.S.I.T.S., Indore (Engineering graduate) and at St. Stephen's College, Delhi; at school he was an outstanding sportsman in cricket, hockey and soccer, he also was the national squash champion, the youngest ever to win; he entered politics in 1971 and was elected Member of State Legislative Assembly (M.P.) in 1977, President of MP Congress Committee 1984, Minister of State and later a Cabinet Minister under the M.P. Government in 1980-1984, elected as an MP in 1984 and 1991; general secretary of the Congress in Assam and Maharashtra, 25th Chief Minister of Madhya Pradesh 1993/2003 (two terms); married 11th December 1969, Rani Asha Kumari of Ambotah in Himachal Pradesh, and has issue, four daughters and one son.
  • Yuvaraj Jaivardhan Singh
  • HH Maharani Mandakini Kumari, born 13th February 1973, married 9th December 1993, HH Maharana Shri Paranjayaditya Krishnakumarsinhji, Raja of Sant, and has issue.
  • Rajkumari Mradima Kumari, married Yuvraj Saheb Ranjitsinhji of Muli.
  • Rajkumari (name unknown) Kumari, married Raja Ratnakar Singh of Ramnagar-Dhameri (#2).
  • Yuvrani Karnieka Kumari, born 27th April 1979, married 23rd November 2005, Yuvraj Siddharthsinhji Chaitanyadevsinhji Jhala of Wadhwan, and has issue.
PREDECESSORS AND SHORT HISTORY: Founded in 1673. Rulers were....
  • Raja LAL SINGH 1673/1697
  • Raja DHIRAJ SINGH 1697/1726
  • Raja GAJ SINGH 1726/1729
  • Raja VIKRAMJEET SINGH 1730/1744
  • Raja BALBHADRA SINGH I 1744/1770, married and had issue.
    • Raja Balwant Singh (qv)
    • Raja Budh Singh, he was granted a tract of land by his brother in 1776, which later became the state of Maksudangarh, married and had issue (see Maksudangarh). He died 1795.
  • Raja BALWANT SINGH 1770/1797, married and had issue.
    • Raja Jai Singh (qv)
  • Raja JAI SINGH 1797/1818, died sp 1818.
  • Raja AJIT SINGH 1818/1857, married and had issue.
    • Raja Jaimandal Singh (qv)
  • Raja JAI MANDAL SINGH 1857/1900, born 1821, succeeded 1857 (#1 ), married (amongst others), Rajkumari Anand Kumari [Rani Anand Kumari of Raghogarh], daughter of Raja Udai Singhji of Banera, and his wife, Rani Jhaliji, and had issue.
    • Raja Bikramajit Singh (qv)
    • Rajkumari (name unknown), married 1875, the Raja of Sheopur-Baroda.
  • Raja BIKRAMAJIT SINGH 1900/1902
  • Raja BAHADUR SINGH 1902/1945, born 8th March 1891, succeeded 14th December 1902; married (a), Baijilal Krishna Kumari [Rani Krishna Kumari of Raghogarh], daughter of Raja Akshay Singh of Banera, and his third wife, Rani Shubhra Kumari, married (b), Baisaheb Manak Kunverba, daughter of Maharaj Saheb Dalel Singh of Kachhi-Baroda, and had issue.
    • Raja Balbhadra Singh (qv)
  • Raja BALBHADRA SINGH II 1945/1967, born 1914, elected to the first Vidhan Sabha, married Rani Aparna Kumari, died 1986, daughter of Maharaja Bahadur Chandra Mouleshwar Prasad Singh of Gidhaur, and had issue. He died 1967.
    • Raja DIGVIJAY SINGH (qv)
    • Kanwar Laksman SinghKanwar Laksman Singh, B.A. (Hons), educated at St. Stephen’s College, University of Delhi in Delhi, born 14th January 1955 in Indore, Madhya Pradesh. Member of the Madhya Pradesh Legislative Assembly 1990/92 and 1993/94, Member of the 10th (1994), 11th (1996), 12th (1998), 13th (1999) and 14th (2004) Lok Sabha, Member of the following committees.. Committee on Labour and Welfare 1996/97; Consultative Committee, Ministry of Non-Conventional Energy Sources 1996/97; Committee on Human Resource Development and its Sub-Committee on Drug Control 1998/99; Consultative Committee, Ministry of Tourism 1998/99; Committee on Agriculture 1999/2004. Interests and pastimes include.. music, travelling, social work, meeting people and reading, squash and cricket; Member of the Yeshwant Club, Indore, Madhya Pradesh; represented Parliament XI in Cricket at Goa in 1996, married 1stly, 14th December 1978, Kanwarani Jagriti Kumari, daughter of Rajkumar Bikram Bahadur Singh of Khairagarh, and his wife, Rajkumar Rani Brijraj Kanwar, married 2ndly, 14th January 2002, Kanwarani Rubina Kumari [née Bal], and has issue, one son and one daughter.
  • Raja DIGVIJAY SINGH (see above)
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1. "The Golden Book of India"; LETHBRIDGE, Roper, MacMillan & Co., 1893 p. 430
2. Private communication, Kunwar Dr. Nishant Ranawat, December 2010.

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