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Thursday, October 27, 2011

मजीठिया वेजबोर्ड से डर क्यों.. खबर की ऐबीसीडी भूले मिडिया घराने

मजीठिया वेजबोर्ड से डर क्यों.. खबर की ऐबीसीडी भूले मिडिया घराने


by Krishna Kant Agnihotri

इस देष के मीडिया घराने खबर की एबीसीडी ही भूल गए है, क्योंकि वे अखबार के मालिक हैं और खबर के साथ मनमर्जी का इससे उन्हें हक मिल जाता है। खबर लिखने का एक सामान्य नियम यह है कि पहले खबर लिखो, फिर उस पर संबंधित प्रतिक्रिया लिखो और किसी अन्य पक्ष की प्रतिक्रिया आए, तो उसे भी उसी महत्व के साथ प्रकाषित करो। लेकिन अफसोस कि सभी अखबारों में कल केन्द्रीय कैबिनेट द्वारा लिए गए निर्णयों की खबर तो प्रकाषित की है, लेकिन पत्रकारों एवं गैर पत्रकारों के वेतन पुनरीक्षण के लिए गठित जस्टिस मजीठिया वेतनबोर्ड की सिफारिषें मंजूर करने संबंधी खबर ‘सेंसर‘ कर दी है। 
भारत का सबसे बड़ा समाचार पत्र समूह ‘भास्कर‘ के भोपाल एडीषन और राजस्थान पत्रिका का भोपाल से प्रकाषित दैनिक अखबार ‘पत्रिका‘ ने इस खबर को सेंसर कर दिया गया है, तो विष्व का सर्वाधिक पढ़ा जाने वाला अखबार ‘जागरण‘ ने केवल इंडियन न्यूज पेपर सोसायटी का पक्ष प्रकाषित किया है, जबकि मूल खबर और उस पर पत्रकार संगठनों की प्रतिक्रिया ‘सेंसर‘ कर दी है। सच कहने का साहस और सलीका ‘राज एक्सप्रेस‘ और भारत का पहला संपूर्ण हिन्दी आर्थिक अखबार ‘बिजनेस स्टैंडर्ड‘ ने जरूर मूल खबर को प्रकाषित किया है, लेकिन उन्होने भी दोनो प़क्षों की प्रतिक्रिया नहीं छापी है। 
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि महंगाई के इस दौर में अपने पत्रकार एवं गैर पत्रकार कर्मचारियों को उनका वाजिब हक देने से कतरा रहे मीडिया घराने और अखबार मालिक उनके प्रति कितने असंवेदनषील हैं, जिनके भरोसे उनके संस्थान चल रहे हैं। यदि उनके संस्थान घाटे में चल रहे हैं, तो किसने सीने पर बंदूक रखकर उन्हें अखबार चलाने को बाध्य किया है, वे चाहें, तो अपना ‘धंधा‘ बंद कर सकते हैं। वह यह भी बताएं कि उनके यहां कितने स्थाई कर्मचारी कार्यरत हैं, आज हर संस्थान में ‘कान्ट्रेक्ट‘ पर पत्रकार एवं गैर पत्रकार रखे जा रहे हैं और उन पर मजीठिया वेतनबोर्ड की सिफारिषें लागू नहीं होती हैं..... फिर ये बेवजह की चिल्ल-पों किसलिए ?

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