Pages

click new

Thursday, December 1, 2011

दिया तमाचा एक करारा नेताजी घबडाये।

दिया तमाचा एक करारा नेताजी घबडाये।
थप्पड़ पुराण
दिया तमाचा एक करारा नेताजी घबडाये।
पुछा हमने हरमिंदर को, थप्पड़ क्यों लगाये॥
मेरे हाथो ने गालो को प्यार सहित सहलाया।
बोले अपने कामों का तोहफा उसने है पाया ॥
महंगाई की मार बड़ी है थप्पड़ से भी ज्यादा!
महंगाई को दूर करेंगे , करते हमको वादा ॥
महंगाई में पीस रहे हैं , जरूरत से भी ज्यादा
पेट में पड़ती लात हमारी थप्पड़ क्या है ज्यादा॥
नेताओ की रोज दिवाली , जनता का दीवाला।
नहीं एक के और अलावा, कोई थप्पड़ वाला॥
वीर बहादुर हरविंदरसा, है कोई साहस वाला।
नेताओ के गालो को, कोई है सहलाने वाला॥
तेग बहादुर के बालक ने, बड़ी वीरता दिखलाई।
कानून को रख आड़ आज जो, बहुत बढाई महंगाई ॥
उसके टेढ़े मूह को सीधा, करने हाथ उठाया।
थप्पड़ मार हाथ को अपने, कर लिया तुने गन्दा ॥
जूते के लोगो को तुमने, हाथ से किया पिटाई।
इतना छोटा काम किये,हो हमें पसंद नहीं आया
खेल खेलना था जो तुमने, क्यों नहीं शतक लगाया॥
अन्ना जी ने आखिर पुछा ,कितने थप्पड़ मारा।
रामदेवजी ने बोला, उत्तर सही करारा॥
हम तो रहे बोलते केवल, तुमने कर दिखलाया।
तुम सा युवक सभी हो जावे, स्वर्ग देश हो सारा ॥

कवि-थप्पड़ चंद"क्रोधी"

No comments:

Post a Comment