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Saturday, December 17, 2011

वर्जिनिटी टेस्ट के नाम पर...

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वर्जिनिटी टेस्ट के नाम पर...

1960 में हेथ्रो एयरपोर्ट पर पाकिस्तान से पहुंची महिला व अन्य लोग.(फाइल फोटो)
ह्यूमा कुरैशी
यह 35 साल पहले की घटना है, लेकिन मेरी मां के जेहन में आज भी तरोताजा है. उस घटना को याद करके वह आज भी परेशान हो जाती हैं. हम पाकिस्तान से हैं. मेरे पिता यूके (इंगलैंड) में बतौर डॉक्टर काम कर रहे थे. उनके पास पहुंचने के लिए मेरी मां को एक साल से ज्यादा इंतजार करना पड़ा. वजह यूके की विजा पॉलिसी.
खैर इस इंतजार के बाद मां फ्लाइट से यूके के हेथ्रो एयरपोर्ट पर पहुंच चुकी थी. मेरी मां की तरह वहां पहुंचे कई लोग इमीग्रेंट की कतार में लगे हुए थे. तभी वहां एक इमीग्रेशन अधिकारी ने मेरी मां की वर्जिनिटी टेस्ट कराने का आदेश दिया. क्यों? यह मेरी मां को पता नहीं था.
 
मेरी मां बताती है, उन्हें मेडिकल टेस्ट रूम में ले जाकर सभी कपड़े उतार देने को कहा गया. नग्न अवस्था में उन्हें लिटा कर वह तथाकथित टेस्ट किया गया. मेरी मां को यह पता नहीं कि टेस्ट किसी पुरूष डॉक्टर ने किया था, या महिला ने. इस घटना की जानकारी उन्होंने मेरे पिता को नहीं दी. दरअसल तब यूके में एशिया से आनेवाली अधिकतर महिलाओं के साथ ऐसा ही किया जाता था. अबतक मैंने जुलू जनजाति के बारे में सुन रखा था कि वहां लड़कियों की वर्जिनिटी टेस्ट की जाती है. विश्व के कुछ अन्य भागों में भी शादी के पहले दिन दूल्हा सुबह उठकर यह जांचता है कि बेडशीट पे खून के धब्बे हैं या नहीं. खून के धब्बे होना लड़की के वर्जिन होने का प्रमाण माना जाता है, लेकिन खुद को मॉडर्न माननेवाले यूके में यह सब होना दुखद था.
 
पिछले सप्ताह ऑस्ट्रेलियन विधि विशेषज्ञ डॉ मेरीनेहा मारमो व डॉ इवेन स्मीथ ने एक अध्ययन में बताया कि 1970 के दशक में यूके में 80 से ज्यादा एशियन महिलाओं की वर्जिनिटी जांच की गयी थी. उस समय यूके में इमीग्रेशन नियम था कि पूर्व से इंगेज्ड लड़की तीन माह के अंदर शादी करने के लिए यूके आती हो, तो उसके लिए विजा की जरूरत नहीं होती थी. लेकिन पहले से विवाहित महिला अपने पति के साथ रहने आ रही हो, तो उसे विजा लेना पड़ता था. यूके अधिकारियों को शक रहता था कि बिना विजा यूके आने के लिए गलत जानकारी दी जाती है, इसलिए तब वर्जिनिटी टेस्ट का वो अपमानजनक खेल किया जाता था.
 
जब इस अपमानजनक टेस्ट का विरोध होने लगा, तो बाद के समय में इसे बंद कर दिया गया. अब यूके सरकार इस मामले में भारी दबाव की वजह से माफी मांग रही है, पर इससे जिन दर्जनों एशियन मिहलाओं का जो अपमान हुआ, उसकी कीमत नहीं चुकायी जा सकती.
(द गार्जियन से साभार)
 

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