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Wednesday, February 1, 2012

गले की फंास क्यों बना परसमानिया पठार


ब्यूरो प्रमुख // अभिमन्यु मिश्रा (सीधी  // टाइम्स ऑफ क्राइम)
ब्यूरो प्रमुख से संपर्क:-9827602126
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रीवा . प्रदेश सरकार के मंत्रियों व प्रशासनिक नुमाइंदों की करामात का सच है सतना जिले के परसमनिया पठार में चल रहा अवैध उत्खनन जो प्रदेश सरकार के गले का फंास बन गया है। जहां एक ओर जांच पर जांच हो रही है वहीं प्रमुख विपक्षी दल ने इस मामलें को लेकर सीबीआई जांच की मांग की है। मध्यप्रदेश शासन के ऊर्जा एवं  खनिज राज्य मंत्री राजेन्द्र शुक्ला, पीडब्ल्यूडी मंत्री नागेन्द्र सिंह व सतना के सांसद गणेश सिंह हो इस गड़बड़झाले के लिए जिम्मेदार बताया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि इनके लालच के वजह से ही करोड़ों रूपए के राजस्व का नुकसान राज्य सरकार को उठाना पड़ा । इधर परसमानिया कांड की गंंभीरता को हल्का बनाने व कमजोर करने की प्रशासनिक कवायद तेज हो गई है। लेकिन इस पूरे मामले की जांच करने वाले अधिकारी जगदीश शर्मा ने जो रिपोर्ट विभाग सौंपी है, उसके बाद सभी अफवाहों पर विराम लग गया है। मामले की सच्चाई दूध से पानी की तरह साफ नजर आ रही है। विडंबना तो यह है कि खुद को किसान का बेटा कहकर खुद को ईमानदार बताने वाले सूबे के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अभी तक इस मामले पर कोई कार्यवाही नहीं की है। मामले की गंभीरता यह है कि शिवराज सिंह चौहान को चाहिए कि वे इस भ्रष्टाचार में लिप्त मंत्रियों से तत्काल इस्तीफा ले लें। उन पर कठोर कार्रवाई करें। यदि उन्होंने देर की तो इसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ सकता है। 

कैसे शुरू हुआ खेल 

कुछ माह पहले परसमानिया अवैध उत्खनन कांड के शिकायतकत्र्ता गोरे लाल ताम्रकार ने जांच करने पहुंची टीम पर आरोप लगाया कि यह टीम अपने साथ उन लोगों को लेकर चल रही है जिन पर खुद अवैध उत्खनन के गंभीर आरोप हैं। जिसके बाद ताम्रकार की शिकायत पर अपर प्रधान वन संरक्षक जगदीश प्रसाद शर्मा ने गोपनीय तरीके से परसमनियां क्षेत्र का निरीक्षण किया था। उन्होंने यहां कर्नाटक के बेल्लारी जैसे उत्खनन की बात कहते हुए इसमें वन विभाग के अधिकारियों सहित मंत्रियों की भी मिली भगत का सच उजागर किया।  

कुर्ते का दाग छुड़ाओगे कैसे? 

भ्रष्टाचार इस समय देश का प्रमुख राजनीतिक मुद्दा बन गया है। इस मामले में रीवा संभाग इन दिनों देश भर में सुर्खियों में है। सूबे के ऊर्जा व खनिज राज्यमंत्री सहित कई बड़े नेता इसके घेरे में है। मामला है अवैध उत्खनन का, जिससे इन्होंने काली  व मोटी कमाई कर राजस्व विभाग को करोड़ों का चूना लगाया है। बावजूद इसके उन्हें अभी भी शर्म नहीं आ रही और ये आरोप सिद्ध होने का इंतजार करने की बात कह रहे है। लेकिन जनता इतनी पागल नहीं जो इसे न समझे। भले कुछ भी हो लेकिन इन पर अभी कार्रवाई की गाज न गिरना इस बात की ओर इशारा करती है कि अभी भी इन्हें बचाने का भरसक प्रयास किया जा रहा है। ये अभी भी लालबत्तियों से सैर कर रहे हैं और राजस्व को चूना लगाने का कार्यक्रम निरंतर जारी है। 

आश्वासन देकर टरकाते हैं नेता 

अधिकारी संभाग में सालों से अवैध उत्खनन का धंध चल रहा है। इसके बावजूद नेताओं और अधिकारियों को इससे कोई लेना देना नहीं है। जब भी उनसे इन संबंध में प्रश्र पूछा जाता है तो वे कहते है कि हम निरंतर कार्रवाई कर रहे हैं। आपने जानकारी दी जो अनमोल है। हमें आपके जरिए ही खनन की गड़बडिय़ों का पता चला है। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। हम मामले की जांच करवाकर दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाएंगे। हर बार एक जैसी प्रतिक्रिया दी जाती है। माफिया के साथ मिली भगत की वजह से न तो अवैध कारोबारियों पर कार्रवाई हो रही है और न ही अधिकारी अपने कत्र्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं। ऊपरी स्तर पर सांठगांठ की वजह से निचले अधिकारी भी दबी जुबान स्वीकारते हैं कि गड़बडिय़ां नीचे नहीं ऊपर तक है। आप कुछ नहीं बिगाड़ पाओागे। अधिकारी भी मिले हुए हैं।

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