Pages

click new

Tuesday, February 21, 2012

सबका मान बढ़ाएगी पत्रकारों की महापंचायत


toc news internet channal

भोपाल // आलोक सिंघई

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पत्रकारों की पंचायत बुलाने की घोषणा करके सत्ता के गलियारों में हलचल मचा दी है। प्रदेश के पत्रकारों के अलावा पूरे हिंदुस्तान में पत्रकारिता की नई परिभाषा लिखने के उनके इस अंदाज ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि मध्यप्रदेश वास्तव में राजनीति की प्रयोगशाला है जहां से पूरे देश के सुशासन के फार्मूले तैयार हो रहे हैं। पत्रकारों की समस्याओं के समाधान खोजने की इस पहल का हम प्रदेश के पत्रकारों की ओर से स्वागत करते हैं और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का अभिनंदन करते हैं। इसके साथ साथ हम पत्रकारों से अपील भी करते हैं कि वे आगे बढक़र अपने सुझाव सरकार तक पहुंचाएं ताकि पत्रकारों की पंचायत का आयोजन सफल हो और पत्रकारों की बेहतरी के नए तरीके लागू किये जा सकें। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की इस घोषणा से सत्ता के दलालों के पेट में मरोड़ शुरु हो गई है। 

उन्हें लग रहा है कि यदि मुख्यमंत्री जी प्रदेश के आम पत्रकारों से सीधे जुड़ जाएंगे तो उनकी पोल खुल जाएगी कि किस तरह वे अब तक झूठी सूचनाएं फैलाकर सरकार को गुमराह करते रहे हैं। पत्रकारों की इस पंचायत का स्वागत करने के लिए आज प्रदेश के पत्रकारों की ओर से श्री आदित्य नारायण उपाध्याय, श्री ओम प्रकाश हयारण और श्री आलोक सिंघई ने प्रेस वार्ता आयोजित की। उन्होंने बताया कि इस मुद्दे पर पत्रकारों के विचार सरकार तक पहुंचाने के लिए पांच सदस्यीय कमेटी बनाई गई है जो पत्रकारों की ओर से मिलने वाले सुझाव एकत्रित करेगी। प्रदेश के पत्रकार ये सुझाव ईमेल या पत्र के माध्यम से भेज सकते हैं।  

ये ईमेल patrakarpanchayat @yahoo.in पर भेजे जा सकते हैं। पत्रकारों की समस्याओं और सुझावों को बिंदुवार रूप में संकलित करके सरकार तक पहुंचाया जाएगा.इस जानकारी में सुझाव भेजने वाले पत्रकार का नाम, पता, फोन नंबर, मोबाईल नंबर,और ई मेल पता भी दर्शाया जाएगा। पत्रकारों ने बताया कि माननीय मुख्यमंत्री महोदय ने पत्रकारों की समस्याओं पर विचार करने और प्रदेश में स्वस्थ संवाद का तंत्र कायम करने की दिशा में जो रुचि दिखाई है वह सराहनीय है। हाल ही में पत्रकार भवन को बारह सालों बाद पहली बार पत्रकारों की समिति को सौंपा गया है। इससे प्रदेश के पत्रकारों को राजधानी में एक बार फिर अपना स्थायी मंच मिल गया है। उन्होंने बताया कि भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष जस्टिस मार्केंण्डेय काटजू ने कई मंचों पर पत्रकारिता की स्थितियों पर क्षोभ व्यक्त किया है। उनका प्रयास है कि देश में लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को मजबूती प्रदान की जाए और उसे संवैधानिक आधार प्रदान किया जाए।  

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भारतीय प्रेस परिषद की उसी मंशा के अनुरूप पत्रकारों से संवाद करने और प्रेस को मजबूत आधार प्रदान करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं।  पत्रकार पंचायत का स्वागत करने वाले पत्रकारों का मानना है कि भारत गणराज्य के संविधान में कानून बनाने का अधिकार भले ही संसद को दिया गया हो पर उन कानूनों की स्थापना का मार्गदर्शन राज्य सरकार के पास सुरक्षित है। इस लिहाज से राज्यों को देश की सत्ता में सबसे ऊंचा दर्जा प्रदान किया गया है। एक राज्य यदि किसी सामाजिक परिस्थितियों को देखते हुए कोई कानून बनाता है या कोई प्रावधान करता है तो वह उदाहरण पूरे देश में लागू किया जा सकता है। मध्यप्रदेश में पत्रकार पंचायत के माध्यम से राज्य सरकार जो प्रावधान करने का प्रयास करेगी वे आगे चलकर चौथे स्तंभ को मजबूती देने वाले कानून की शक्ल अख्तियार करेंगे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के ही मार्गदर्शन में भ्रष्टाचारियों की संपत्ति राजसात करने का कानून राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद लागू हो चुका है।  

पत्रकारों की समस्याओं से सरकार को अवगत कराने के इन प्रयासों में ये तथ्य भी उजागर किया गया है कि वर्तमान सरकार ने जनसंपर्क विभाग का बजट पांच गुना बढ़ाकर लगभग दो सौ करोड़ रुपए कर दिया है। इससे प्रदेश की पत्रकारिता को मजबूत आधार प्रदान किया जा रहा है। सरकार अपने इन प्रयासों से बेहतर जनसंवाद कायम करने जा रही है। इसके बावजूद सत्ता के दलाल इस बजट को अवैधानिक तरीकों  से हथियाने में जुटे हैं,जिससे सरकार के प्रयासों का लाभ पत्रकारों को नहीं मिल पा रहा है। पत्रकार पंचायत के माध्यम से इस बजट के बेहतर वितरण की व्यवस्था की जा सकेगी।  इससे पत्रकारों की समस्याएं तो दूर होंगी ही साथ में सरकार को भी सुशासन कायम करने में सहयोग मिलेगा. व्यवस्था मे सुधार के इन प्रयासों से सबसे ज्यादा लाभान्वित प्रदेश के वे साढ़े छह करोड़ लोग होंगे जिनके लिए सरकार करीब 165 कल्याणकारी योजनाएं चला रही है. अब तक कुशासन के चलते इन योजनाओं की राशि का अधिकतर हिस्सा फिजूलखर्ची में बर्बाद हो जाता था,लेकिन बेहतर संवाद के तंत्र के कारण जनता को योजनाओं का लाभ ठीक तरह दिलाया जा सकेगा. 

पत्रकार पंचायत के आव्हान की गंभीरता को न समझकर जो सत्ता के दलाल इसे चौथे स्तंभ की बेईज्जती बता रहे हैं उनकी मंशा को बेनकाब करने के लिए पत्रकार पंचायत का आयोजन बहुत जरूरी है। जो लोग पत्रकारों की पंचायत को आज चौथे स्तंभ का अपमान बता रहे हैं वे इस पंचायत के आयोजन में सबसे अग्रिम कतार में बैठे नजर आएंगे। पत्रकारों की पंचायत से डरने वाले लोग वही हैं जिन्होंने अब तक लोकतंत्र के नाम पर चलने वाली बजट की लूट की मलाई खाई है। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को सशक्त बनाने का एसा अभिनव प्रयोग अब तक देश में पहले कभी नहीं हुआ है। माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस साहसिक पहल के लिए बधाई के पात्र हैं।

No comments:

Post a Comment