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Wednesday, February 22, 2012

रजिस्ट्रार और कालोनाइजर की मिली भगत से राज्य

रजिस्ट्रार और कालोनाइजर की मिली भगत से राज्य 



सरकार को लग रहा करोड़ो का चूना , नही हुई वसूली


बैतूल // रामकिशोर पंवार


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बैतूल जिला मुख्यालय पर रजिस्ट्रार विभाग एवं कालोनाइजरो के गठबंधन के चलते राज्य सरकार को करोड़ो का चूना लग रहा है। राज्य सरकार को एक जागरूक पत्रकार बद्री प्रसाद वर्मा द्वारा की गई शिकायत पर एक करोड़ पचास लाख रूपए की स्टाम्प शुल्क चोरी के मामले में लंबित प्रकरणो में ती साल पूर्व पचास लाख रूपए की वसूली के आदेश इस कार्यालय से उस कार्यालय के चक्कर लगा रहे है। नेशनल हाइवे से लगी डान बास्को से जुड़ी नजूल विभाग की लीज पर दी गई भूमि को बिना कलैक्टर की रजामंदी के 96 प्लाट बना कर उन पर आलीशान कालोनी का निमार्ण कर उस कालोनी के आवास गृहो को प्लाट के रूप में बेचा गया। कुल 78 प्लाट को बेचा गया जबकि उलकी रजिस्ट्री भवन के रूप में किया जाना था। सूत्र बताते है कि श्री वर्मा द्वारा की गई शिकायत पर 78 प्रकरणो में से 43 प्रकरणो का निपटारा हो चुका है जिसकी स्टाम्प चोरी की कथित राशी पचास लाख रूपए देना बाकी है। वैसे बहुचर्चित कालोनाइजर पर एक करोड़ पचास लाख रूपए की वसूली की कार्रवाई का पूरा मामला कलैक्टर , रजिस्ट्रार एवं एसडीएम की अदालतों में चल रहा है। कई प्रकरणो में वसूली के आदेश भी जारी हो चुके है लेकिन धनबल एवं बाहुबल तथा वर्तमान में पत्रकारिता की धौंस मार कर प्रकरण को दबाया जा रहा है। इस पूरी कालोनी में सरकारी राजस्व विभाग के 12 चांदो पर ही नियम विरूद्ध कालोनी का निमार्ण कार्य किया गया जो अपने आप में संगीन अपराध है। डान बास्को एवं नेशनल हाइवे 69 से लगी 11 एकड़ भूमि 1968 के दस्तावेजो में किसी मदन बाई के नाम पर दर्ज है जो बैतूल के बिरदीचंद गोठी की बहन बताई जाती है। उक्त नजूल की पटट्े की भूमि बाद में श्रीमति मदन बाई पति बिरदीचंद को बेची गई जिसे उसके दत्तक पुत्र राजेश द्वारा सुनील उदयपुरे नामक कालोनाइजर को बेची गई। सबसे मजेदार बात तो यह है कि इटारसी के किसी राजेश मांगीलाल ने उक्त जमीन राजेश बिरदीचंद के रूप में बेच दी गई। 2025 तक श्रीमति मदन बाई बिरदीचंद के नाम की उक्त भूमि संतान न होने की स्थिति राजेश नामक व्यक्ति को दत्तक पुत्र बता कर उसके नाम पर परिवर्तित कर दी गई लेकिन वही जमीन बाद में राजेश मांगीलाल ने राजेश बिरदीचंद के रूप में स्वंय को चिन्हीत कर बेच दी गई। पूरे प्रकरण में शिकायत कत्र्ता का आरोप है कि 1992 में मदनी बाई जौजे बिरदीचंद का निधन हो गया तबसे लेकर 2003 तक उक्त भूमि बेनामी रही लेकिन 1992 में मृत मदनीबाई के दत्तक पुत्र के रूप में अचानक सामने आए राजेश मांगीलाल ने उक्त विवादास्पद भूमि पर 2003 के बाद फिल्मी स्टाइल से अपना स्वामीत्व बता कर उक्त जमीन को सुनील उदयपुरे नामक किसी कालोनाइजर को बेच दी गई। एक करोड़ से अधिक की जमीन की 25 लाख रूपए में रजिस्ट्री किए जाने का मामला राज एक्सप्रेस में वर्ष 2008 से छप रहा है। अब नए घटनाक्रम में जिस समाचार पत्र ने स्टाम्प चोरी का समाचार छाप कर कालोनाइजर सुनील उदयपुरे को बेनकाब किया था अब उसी सुनील उदयपुरे द्वारा उसी राज एक्सपे्रस की कथित ठेकेदारी लेकर समाचार पत्र का सर्वे सर्वा बन कर प्रशासन पर अनाधिकृत दबाव बना कर पूरे प्रकरण को ठंडे बस्ते में डालने का काम किया जा रहा है। अब देखना बाकी है कि उज्जवल छबि के धनी जिले के इमानदार कलैक्टर करोड़ो की जमीन के स्टाम्प घोटाले एवं चोरी के मामले में क्या कार्रवाई करते है।    

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