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Sunday, March 25, 2012

स्टैंप पेपर के 2 रुपए ज्यादा लिए, चलेगा केस

स्टैंप पेपर के 2 रुपए ज्यादा लिए, चलेगा केस

नई दिल्ली।। 10 रुपये का स्टैंप 12 रुपये में बेचने के आरोपी के खिलाफ निचली अदालत में मुकदमा चलेगा। इस मामले में आरोपी ने निचली अदालत में तय किए गए आरोप और एफआईआर को रद्द करने के लिए हाई कोर्ट में गुहार लगाई थी। हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता की अर्जी खारिज कर दी।

याचिकाकर्ता ने अपनी अर्जी में कहा था कि उसके खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था , जबकि वह पब्लिक सर्वेंट नहीं है , बल्कि वह वेंडर है। वह प्राइवेट शख्स है , ऐसे में इस एक्ट के तहत उसके खिलाफ मुकदमा नहीं चलाया जा सकता। वहीं सरकारी वकील नवीन शर्मा ने दलील दी कि भ्रष्टाचार निरोधक कानून के प्रावधानों के तहत अगर कोई शख्स सरकारी स्टैंप आदि कमिशन के आधार पर बिक्री करता है और पब्लिक डीलिंग में है , तो वह पब्लिक सर्वेंट के परिभाषा के दायरे में आएगा और उसके खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धाराओं के तहत मुकदमा चल सकता है।

सरकारी वकील ने साथ ही आईपीसी की धारा का भी हवाला दिया और कहा कि आरोपी के खिलाफ करप्शन के तहत केस चल सकता है। आरोपी को 10 रुपये मूल्य के स्टैंप पेपर के लिए 12 रुपये लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया था। मामले की छानबीन पूरी हो चुकी है और चार्जशीट दाखिल किए जाने के बाद चार्ज लग चुका है , ऐसे में याचिकाकर्ता की अर्जी खारिज की जानी चाहिए। अदालत ने सरकारी वकील की दलीलों को तरजीह देते हुए आरोपी की अपील खारिज कर दी।मामला 2003 का है। अभियोजन पक्ष के मुताबिक आरोपी जनकपुरी सबरजिस्ट्रार ऑफिस में स्टैंप वेंडर था। शिव चरण को 10 रुपये का स्टैंप पेपर खरीदना था। 19 दिसंबर , 2003 को वह आरोपी से स्टैंप पेपर खरीदने गया। उसने 10 रुपये के स्टैंप के लिए 12 रुपये की मांग की। शिव चरण ने एंटी करप्शन ब्रांच को सूचित किया। ब्रांच ने जाल बिछाया और शिकायती से कहा कि वह आरोपी से स्टैंप खरीदे। जैसे ही आरोपी ने 10 रुपये के स्टैंप के लिए 12 रुपये लिए , जांच अधिकारी ने रंगे हाथों स्टैंप वेंडर को गिरफ्तार कर लिया।

इस मामले में आरोपी के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत केस दर्ज किया गया। इसी बीच आरोपी वेंडर ने हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा कि वह पब्लिक सर्वेंट नहीं है , ऐसे में भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत मुकदमा नहीं चल सकता। याचिकाकर्ता का कहना था कि यह मामला सिर्फ पब्लिक सर्वेंट पर चलता है , प्राइवेट शख्स पर नहीं।

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