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Monday, March 5, 2012

बाचावानी. - न्यास को एक और सम्मान


क्राइम रिपोर्टर// राजपाल यादव (बाचावानी // टाइम्स ऑफ क्राइम) 
क्राइम रिपोर्टर से संपर्क:-9303957483
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बाचावानी. भाऊ साहब मुस्कुटे स्मृति लोक न्यास गोविन्द नगर के नाम पर पहचान बनाने वाला न्यास 1991 मे ग्राम पलिया पिपरिया मे भाऊसाहब मुस्कुटे लोक न्यास का गठन किया और वेणुभारती स्वयं सहायता समूह के साथ यह न्यास प्रगति पथ पर है। 

बनवासी समाज की सेवा विकास ग्राम शिक्षा गौ सवर्दुन केन्द्र आधारित ग्राम विकास ग्राम स्वावलंबन ग्राम विकास हेतु कृषि विकास जैविक कृषि विकास व प्रशिक्षण सुविधा उपलब्ध कराना महिला स्वावलंबन हेतु स्व सहायता समूह का गठन व स्वावलंबन कार्यक्रमों का संचालन किया जा रहा है। उसी मे एक स्व सहायता समूह वेणु भारती के नाम से गठन किया गया। जिसमें बाँस कारीगरों से बाँस उत्पाद एवं निर्माण का काम लिया जा रहा है। कारीगरों को रोजगार मिला है। और परिवार की आर्थिक स्थिति मे सुधार लाने के उद्देश्यों से न्यास द्वारा मार्गदर्शन किया गया वह सराहनीय है।  यह न्यास कुल 162 एकड़ भूमि पर स्थापित है जिससे से 150 एकड़ भूमि शासन से लीज पर 19 वर्ष के लिए प्राप्त है। और 12 एकड़ भूमि न्यास द्वारा क्रय की गई है। यहां अथक परिश्रम से बन संपदा खड़ी की गई है।

जिसमे विभिन्न प्रकार के फल, लकड़ी, बाँस, उपयुक्त वृक्ष तथा वनोषधि के पौधे लगाये गये है। यहां पर बाँस का उपयोग सैकड़ों तरह से हो रहा है टोकरी, सूपड़ा गांव स्तर तक एवं समूह के द्वारा मोबाइल स्टैण्ड, कुर्सी, सोफा, फूल स्टैण्ड, पेन स्टैण्ड और भी कई तरह से उपयोग करने के लिए यहां प्रशिक्षण कार्यक्रम भी किया जाता है। बाँस के विविध उत्पाद बनाकर इस उद्योग मे लगे लोग कमाई करने से अब वह सामाजिक व्यवस्था पर बोझ नहीं है। कारीगरों की नई पीढिय़ों ने इस काम को छोड़ कर गांव से रूझान हटा के अब शहर की ओर बढ़ती जा रही है। लेकिन वेणुभारती समूह से और शासन जिला पंचरायत जनपद पंचायत के सहयोग एवं म.प्र. विज्ञान एवं प्रोद्यौगिक परिषद के विशेष सहयोग से बनखेड़ी की ओर से पांच कारीगरों को न्यास के द्वारा प्रशिक्षण देकर रोजगार प्राप्त करवाने मे मदद मिली है। 

आज यह स्थिति है न्यास मे वर्ष भर कारीगरों को काम मिलता है इन्ही कारीगरों के द्वारा अब हस्तशिल्प आकर्षक करने के लिए हल्दी रंग, गौमूत्र रंग, चायपत्ती रंग उपयोग करने लगे है। अब हाथ से बने रंगों का उपयोग करते है इस प्रकिया मे बाँस पत्ती, पट्टियां रंग के पानी मे 40 से 60 मिनिट उबालकर ठंडे से पानी से धोने पर रंग पक्का होता है। यह प्रक्रिया कारीगरों के द्वारा की जाती है। ग्रामीणों को प्रशिक्षण देने से लाभ हुआ है। वेणु भारती स्वयं सहायता समूह और न्यास के कार्यकत्र्ताओं के द्वारा देश के विभिन्न प्रदेशों मे अपने समाज उत्पाद एवं निर्माण का शासन के द्वारा आयोजित मेला मे स्टॉल लगाकर आजीविका का साधन बनाया गया है।  जो समय के अनुसार परिवार को चलाने के लायक हो गया है। रोटी, कपड़ा, मकान और रोजगार सब करने के लिए व्यक्ति को जरूरत होती है अब वह जरूरत स्वयं समूह के सहयोग से पूरी हो रही है। जो आज वर्तमान मे देखने को मिला। समूह द्वारा लगाये गये जयपुर सरस मेला के स्टॉल में अच्छी कमाई हुई। फरवरी माह में भोपाल विज्ञान मेला लाल परेड ग्राउंड हस्तशिल्प के कई स्टॉल मे एक स्टॉल भाऊ मुस्कुटे न्यास के द्वारा लगाई गई विज्ञान मेला स्तर मे राज्यस्तरीय प्रथम पुरस्कार हेतु चुना गया। 

न्यास इसके पूर्व भी बाँस डिजाइन के लिए भाभा संसधान मंत्रालय नई दिल्ली द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार तथा अंतराष्ट्रीय हर्बल मेला मे पुरस्कार दिया जा चुका है। और इसी मेला मे रमेश दोषी देवास कारीगर के और प्रयास महिला मंडल मंडला को भी अच्छे प्रदर्शन के लिए चयनित किया गया। और सभी को शील्ड प्रदान किया गया। शासन की योजना के अनुसार स्वयं सहायता समूहों को आजीविका चलाने के लिए मेला आयोजित किया जाता है। 

पुरस्कार किसान कृषक मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह, प्रमोद सिंह वर्मा महानिर्देशक, एस.पी.सी.एल.टी, शुक्ला अध्यक्ष प्रदर्शन बोर्ड डॉ. सुधीर शर्मा विज्ञान भारती डॉ. नवीन चंदा द्वारा प्रदान किया गया। बाँस के कारीगर कार्यकत्र्ता माधव नरसरपुरकर द्वारा यह प्ररस्कार स्वीकार किया गया। इस पुरस्कार के मिलने पर राष्ट्रीय मंत्री विद्या भारती सोमकांत उमालकर सेवा भारती, चाणक्य बक्शी, सचिव श्री अनिल अग्रवाल, रूपेश विश्वकर्मा सचिव अमिताभ गोयल एवं सीईओ विकास मोहरीर द्वारा अभिनंदन एवं बधाई प्रेषित की गई। ग्राम ज्ञानपीठ कार्यकत्र्ता द्वारा शुभकामनाएं दी गई। न्यास को अभी तक बाँस एवं कारीगर कार्य हेतु राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय राज्य से 3 पुरस्कार  तथा गौशाला हेतु राज्य स्तरीय पुरस्कार भी प्राप्त हुआ है।

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