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Tuesday, March 27, 2012

फांसी की सजा बरकरार, बलवंत भी तैयार


 

पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने मंगलवार को पंजाब केमुख्यमंत्री बेअंत सिंह हत्याकाड में सजा पाने वाले बलवंत सिंह राजोआना की फासी पर रोक लगाने की माग वाली याचिका को खारिज कर दिया। अमृतसर के एनजीओ खालड़ा मिशन कमेटी की ओर से दाखिल जनहित याचिका में बलवंत सिंह राजोआना की फासी पर रोक लगाने और इसे उम्रकैद में बदलने की माग की गई थी। वहीं, राजोआना ने भी कहा था कि वे माफी नहीं चाहते हैं और तय तिथि व तय समय पर ही फांसी पर लटकने को तैयार हैं। 
उल्लेखनीय है कि अतिरिक्त जिला व सत्र न्यायालय ने राजोआना की फासी की तिथि 31 मार्च मुकर्रर की थी। इसके बावजूद सोमवार को पटियाला जेल के अधीक्षक ने अदालत में पेश होकर डेथ वारंट वापस कर दिए थे। जेल प्रशासन की तरफ पंजाब के एडिशनल एडवोकेट जनरल एसएस ग्रेवाल ने पैरवी करते हुए डेथ वारंट को आगे टालने की अपील की। सीबीआई के वकीलों ने इसका विरोध किया। एडिशनल एडवोकेट जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में मामले से जुड़ी लंबित दो अपील और फासी से मिलते-जुलते कुछ फैसलों का हवाला देकर राजोआना को फासी दिया जाना उनके अधिकार क्षेत्र में होने से इनकार किया। उन्होंने अंतिम निर्णय होने तक फासी की तिथि आगे बढ़ाने की माग की। यह भी तर्क दिया कि एक ही मामले में अपील के विचाराधीन होते हुए फासी दिया जाना सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवेहलना होगी। अदालत को बताया गया कि इस मामले में आरोपी जगतार सिंह हवारा की फासी की सजा को उम्रकैद में तब्दील किए जाने के विरोध में सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर रखी है, जबकि अन्य आरोपी लखविंदर सिंह की उम्रकैद के खिलाफ अपील भी पेडिंग हैं।
दूसरी ओर, सीबीआई की तरफ से पेश वकीलों ने कहा कि पूरे मामले की कानूनी प्रक्रिया में जेल अक्षीक्षक का कोई अधिकार नहीं है। वकीलों का तर्क था कि राजोआना ने अपने पूरे होश में गुनाह कबूलते हुए खुद को फासी पर लटकाए जाने की बात कही थी।

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